ईरानी सभ्यता का इतिहास

लौह युग में फारस (आधुनिक इराक) में आर्य कबीले रहते थे। मीडिज नामक उनकी एक शाखा देश के पश्चिमी हिस्से में रहती थी। एक दूसरी शाखा दक्षिणी और पूर्वी हिस्से में रहती थी और फारसी कहलाती थी। मीडीज ने एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना की, जिसमें ईरान का विशाल इलाका शामिल था। पहले फारसियों को भी उनका प्रभुत्व स्वीकार करना पड़ा पारसी राजाओं में से एक साइरस ने 550 ईसा पूर्व में पारसियों को एकताबद्ध किया और मीडीज को पराजित कर एकेमेनी साम्राज्य की स्थापना की। उसने एक ताकतवर सेना संगठित की और एक-एक कर बेबीलोन, असीरिया और एशिया माइनर को जीत लिया। दारा प्रथम ईरान का महानतम सम्राट था। उसका साम्राज्य सिंधु नदी से लेकर भूमघ्य सागर के पूर्वी छोर तक फैला था। उसने पर्सेपोलिए के अपनी राजधानी (518 ईसा पूर्व) बनाया। एकेमेनी वंश के इस सम्राट के शासन काल में ईरानी कला, वास्तुकला और मूर्तिकला का विकास हुआ उसने एक शक्तिशाली नौसेना भी संगठित की। फारसी सम्राट योग्य प्रशासक थे। उन्होंने अपने साम्राज्य को प्रांतों में विभाजित किया, जिनका प्रशासन शत्राप (क्षत्राप) करते थे। फारसी अच्छे सैनिक थे और उनके पास मजबूत घुड़सवार सेना तथा नौसेना थी। उनके पास लोहे के हथियार थे। हालांकि सिकन्दर महान ने उन्हें परास्त कर दिया (331 ईसा पूर्व), लेकिन फारसियों का खात्मा नहीं हुआ। पार्थियाई और सासानी सम्राटों के तहत उनकी सभ्यता तथा संस्कृति फलती-फूलती रही। लेकिन अंतत: सातवीं सदी ईस्वी में अरबों ने उन्हें जीत लिया।

हिन्द-आर्यो की तरह फारसी पहले प्रकृति की शक्तियों की पूजा करते थे। वे सूर्य देवता, आकाश देवता और कुछ अन्य देवताओं को मानते थे। वे आग को पवित्राता का प्रतीक मानते थे। वे आग से जुडे़ कर्मकांड करते और पशुओं की बलि दिया करते थे। बाद में एक धार्मिक उपदेशक जरूथ्रुष्थ ने उन्हें सिखाया कि ‘तमाम देवताओं से ऊपर अहुर-मज्द है वह स्वर्ग और प्रकाश का मालिक है जो लोगों को ताकत और ऊर्जा देता है। ‘ जरूथ्रुष्थ के मुताबिक जीवन अच्छाई (प्रकाश) और बुराई (अंधकार) के बीच एक सतत संघर्ष है। पारसियों का पवित्रा ग्रंथ जेंद-अवेस्ता कहलाता है।

Post a Comment

Previous Post Next Post