खाद्य परिरक्षण वह है जिसके द्वारा खाद्य पदार्थों को उनकी सही तथा अच्छी अवस्था
में ही काफी लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
एक अति सरल उदाहरण लें-दूध का उबलना। हम दूध क्यों उबालते हैं? इसे
लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए। आप जानते हैं कि दूध को उबाल देने से
दूध लम्बे समय तक खट्टा नहीं होगा। आप कह सकते हैं आपने दूध को
संसाधित (process) कर दिया है और इसे कम समय के लिए ही सही परिरक्षित कर
दिया है।
यह दूध को उबालने जैसा सरल काम हो सकता है या आम या नींबू का अचार बनाने जैसा जटिल काम हो सकता है। खाद्य को परिक्षित करके, हम उस खाद्य पदार्थ की उम्र (शेल्फ लाईफ) बढ़ा देते हैं। क्या आप पहले से भोजन के ‘शेल्फ लाईफ’ के अर्थ को जानते हैं? हाँ, इसका अर्थ उस समायावधि से है जिस में भोजन को दोबारा मनुष्य के उपभोग के लिए सही रखा जा सकता है।
खाद्य परिरक्षण की आवश्यकता
- खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाईफ को बढ़ाना।
- नये उत्पाद जैसे जैम, पापड़, अचार आदि बनाना। इन खाद्य पदार्थों को वर्ष भर सभी पसंद करते हैं।
- परिरक्षण करने के उपरान्त खाद्य पदार्थ का आयतन घट जाता है जिससे उसे भंडारित करना और आवागमन सरल हो जाता है। उदाहरण के लिए, 1 कि.ग्रागाजर 1 कि.ग्रा. गाजर के मुरब्बे से कहीं अधिक स्थान घेरती हैं।
- मौसमी फल या सब्जी जब स्वादिष्ट और सस्ती हो उस समय ही उसे भंडारित कर लेना चाहिए।
खाद्य परिरक्षण के सिद्धांत
हमने पहले ही यह सीखा है कि दूध को उबालकर हम उसे लम्बे समय के लिए परिरक्षित करते हैं। पर वास्तव में दूध को उबालने में सिद्धान्तत: हम करते क्या हैं? हम दूध का तापमान बढ़ाकर उसमें उपस्थित सूक्ष्म जीवाणुओं को मारते हैं। सूक्ष्म जीवाणु अधिक तापमान पर जीवित नहीं रह सकते हैं। यह खाद्य परिरक्षण का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है।- सूक्ष्म जीवाणुओं को मारना।
- सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रभाव को रोकना या विलम्बित करना।
- एन्जाइम के प्रभाव को रोकना।
2. सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रभाव को रोकना और विलम्बित करना - हम जानते हैं कि छिला हुआ सेब जल्दी खराब होता है बजाय उस सेब के जो साबुत
होता है। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है? ऐसा इसलिए होता है कि सेब का
छिलका रक्षा कवच की तरह होता है जो कि सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रवेश को रोकता है।
इसी प्रकार, मूंगफली और अंडे का छिलका, फलों व सब्जियों का छिलका रक्षा आवरण
की तरह होता है और सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रभाव को रोकता व कम करता है।
पॉलीथीन के थैलों या एल्युमिनियम के कवर में पैक किया हुआ खाद्य पदार्थ भी सूक्ष्म जीवाणुओं से सुरक्षित रहता है। हम पहले ही पढ़ चुके हैं कि सूक्ष्म जीवाणुओं को पनपने के लिए हवा और पानी की आवश्यकता होती है। अगर ये हटा लिये जाते हैं तो हम इनका प्रभाव रोक सकते हैं और भोजन को खराब होने से बचा सकते हैं।
ताप को कम करना और खाद्य पदार्थ को जमा देना भी खाद्य परिक्षण का एक तरीका है। आपने जमा हुआ खाद्य पदार्थ देखा होगा। जमे हुए खाद्य पदार्थ को ताजे खाद्य पदार्थ की तुलना में लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। ऐसा इसलिए होता है कि सूक्ष्म जीवाणु कम तापमान पर क्रियाशील नहीं होते हैं। इस प्रकार, जब हम खाद्य पदार्थ को फ्रिज में या फ्रीजर में रखते हैं तो हम वास्तव में सूक्ष्म जीवाणुओं को वृद्धि करने से रोकते हैं। कुछ रसायन जैसे सोडियम बेनजोएट और पोटैशियम मेटा-बाई-सल्फाइट भी सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि को रोकते हैं।
इस प्रकार आपने यह सीखा कि सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रभाव को विलम्बित किया जा सकता है और रोका जा सकता है।
एन्जाइम के प्रभाव को हल्के ताप के प्रभाव से रोका जा सकता है। डिब्बाबंद करने या जमाने से पूर्व सब्जियों को गर्म पानी में डुबोया जाता है या कुछ देर तक के लिए ताप के सम्पर्क में रखा जाता है। इस प्रक्रिया को ब्लांचिग कहते हैं। जब हम दूध को उबालते हैं तो न सिर्फ उसमें उपस्थित सूक्ष्म जीवाणुओं को मारते हैं बल्कि एनजाइमों के प्रभाव को भी रोकते हैं। इससे दूध की शेल्फ लाईफ बढ़ती है।
पॉलीथीन के थैलों या एल्युमिनियम के कवर में पैक किया हुआ खाद्य पदार्थ भी सूक्ष्म जीवाणुओं से सुरक्षित रहता है। हम पहले ही पढ़ चुके हैं कि सूक्ष्म जीवाणुओं को पनपने के लिए हवा और पानी की आवश्यकता होती है। अगर ये हटा लिये जाते हैं तो हम इनका प्रभाव रोक सकते हैं और भोजन को खराब होने से बचा सकते हैं।
ताप को कम करना और खाद्य पदार्थ को जमा देना भी खाद्य परिक्षण का एक तरीका है। आपने जमा हुआ खाद्य पदार्थ देखा होगा। जमे हुए खाद्य पदार्थ को ताजे खाद्य पदार्थ की तुलना में लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। ऐसा इसलिए होता है कि सूक्ष्म जीवाणु कम तापमान पर क्रियाशील नहीं होते हैं। इस प्रकार, जब हम खाद्य पदार्थ को फ्रिज में या फ्रीजर में रखते हैं तो हम वास्तव में सूक्ष्म जीवाणुओं को वृद्धि करने से रोकते हैं। कुछ रसायन जैसे सोडियम बेनजोएट और पोटैशियम मेटा-बाई-सल्फाइट भी सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि को रोकते हैं।
इस प्रकार आपने यह सीखा कि सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रभाव को विलम्बित किया जा सकता है और रोका जा सकता है।
- सुरक्षा आवरण प्रदान करके
- तापमान को बढ़ा कर
- तापमान को घटा कर
- रसायनों का प्रयोग करके
एन्जाइम के प्रभाव को हल्के ताप के प्रभाव से रोका जा सकता है। डिब्बाबंद करने या जमाने से पूर्व सब्जियों को गर्म पानी में डुबोया जाता है या कुछ देर तक के लिए ताप के सम्पर्क में रखा जाता है। इस प्रक्रिया को ब्लांचिग कहते हैं। जब हम दूध को उबालते हैं तो न सिर्फ उसमें उपस्थित सूक्ष्म जीवाणुओं को मारते हैं बल्कि एनजाइमों के प्रभाव को भी रोकते हैं। इससे दूध की शेल्फ लाईफ बढ़ती है।