प्रशासनिक विकास क्या है विकासशील देशों में प्रशासनिक विकास की समस्याएं?

साधारण शब्दों में प्रशासनिक विकास का तात्पर्य विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतू प्रशासन की परम्परागत को कमियों दूर करना तथा उसमें प्रशासनिक कुशलता एवं क्षमता का विकास करके, उसे नवीन व परिवर्तित परिस्थितियों के अनुरूप बनाना है।

प्रशासनिक विकास की परिभाषा

1. जे. एन. खोसला के अनुसार, “प्रशासनिक विकास में नौकरशाही की नीतियों, कार्यक्रमो, क्रियाविधियो, कार्य पद्धतियों, संगठनात्मक संरचनाओं, भर्ती प्रतिमानों, विभिन्न प्रकार के सेवीवर्ग तथा प्रशासन के ग्राहकों के साथ सम्बन्ध, प्रतिमानों की संख्या एंव विशेषता में मात्रात्मक एवं गुणात्मक दोनों प्रकार के परिवर्तनों को सम्मिलित किया जाता है।”

2. टी.एन. चतुर्वेदी के अनुसार, “प्रशासनिक विकास का अभिप्राय: है कि प्रशासन को उत्तरोतर सुचारू और क्रियाशील बनाना तथा प्रशासनिक दक्षता और अक्षमताओं को उत्तरोतर विकसित करना। इसके विचार में यह भाव अन्तर्निहित है कि प्रशासन के परम्परागत रूप में जो कमियाँ हों अथवा रिक्तता हैं उसे दूर करके प्रशासन को नवीन, परिवर्तित तथा विकासशील परिस्थितियों के अनुरूप बनाना।” 

प्रशासनिक विकास की विशेषताएँ

1. कार्यकुशलता से सम्बन्ध - प्रशासनिक विकास का सीधा सम्बन्ध प्रशासन की कार्यकुशलता में वृद्धि से है। प्रशासन में कार्यकुशलता का अर्थ कम से कम संसाधनों और न्यूनतम समय में प्रशासन के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की अधिक से अद्धिाक प्राप्ति, करने से है। प्रशासनिक विकास, प्रशासन में अधिकाधिक कार्यकुशलता लाने के साथ जुड़ा हुआ है।

2. प्रशासनिक आधुनिकीकरण से सम्बन्ध - प्रशासनिक विकास, प्रशासन को अत्याधिक आधुनिक बनाने से सम्बन्धित है। यह प्रशासन में पुरानी व प्राचीन तकनीकों के स्थान पर नई व आधुनिक तकनीकों की स्थापना करता है। इसके साथ सरंचनाओं का पुर्ननिर्माण तथा प्रशासनिक प्रक्रियाओं एंव तौर तरीकों को अत्याधिक तार्किक बनाने से सम्बन्ध रखता ताकि प्रशासन को अधिकाधिक आधुनिकृत बनाया जा सके।

3. प्रजातान्त्रिक मूल्यों से सम्बन्ध - प्रशासनिक विकास का सम्बन्ध प्रजातािन्त्रक मूल्यों के साथ भी है। इसके माध्यम से प्रशासन प्रजातािन्त्रक संस्थाओं एवं व्यवहारों की में स्थापना व अधिकाधिक विकास किया जाता है। इससे प्रशासन में मानव अधिकरों के प्रति सम्मान प्रशासनिक कार्य प्रक्रिया में प्रतिनिधित्व प्रणाली तथा उत्तरदायित्व की भावना का विकास सम्मिलित है। इस प्रकार प्रशासनिक विकास प्रशासन में प्रजातािन्त्रक मूल्यों की स्थापना एवं विकास का पर्यायवाची बन जाता है।

4. विकास प्रशासन की पूर्वावस्था - विकास प्रशासन की पूर्वावस्था प्रशासनिक विकास को ही माना जाता है क्योंकि विभिन्न योजनाओं एवं विकासात्मक कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रशासनिक विकास अत्याधिक आवश्यक हैं। प्रशासनिक विकास के अभाव में विकास प्रशासन के अनेक कार्यक्रम निष्क्रिय हो जाते है। अत: विकास प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक में विकास कार्यक्रमों को सफलता पूर्वक लागू करने के लिए प्रशासन का विकसित होना अनिवार्य है।

प्रशासनिक विकास के उद्देश्य

प्रशासनिक विकास, विकास प्रशासन की सफलता के लिए अत्यधिक आवश्यक है। प्रशासनिक विकास के उद्देश्य हैं:-

1. प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाना -  प्रशासनिक विकास का मुख्य उद्देश्य, प्रशासन की कार्यक्षमता को बढ़ाना है ताकि वह विभिन क्षेत्रों में लागू किए गए विकासात्मक कार्यक्रमों के उद्देश्यों की अधिकाधिक पाप्ति कर सके। पर्याप्त कार्यक्षमता के अभाव में विकास प्रशासन अपने कार्यक्रम का सफल संचालन नहीं कर सकता।

2. प्रशासनिक सरंचनाओं का पुर्नगठन एवं उनमें तार्किकता का विकास - प्रशासनिक विकास का अन्य मुख्य उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था की सरंचनाओं एंव प्रक्रियाओं में समयानुसार आवश्यक परिवर्तन लाकर उनका पुर्नगठन एंव पुन:निर्माण करना है। इसके साथ-साथ यह प्रशासन की प्राकार्यात्मक कार्यवाही (Function working) में अधिकाधिक तार्किकता लाने का प्रयास भी करता है ताकि इसे परिवर्तित परिस्थितियों के अनुरूप बनाया जा सके।

3. विकासात्मक कार्यो में कर्मचारियों की पहलकदमी को बढ़ा़वा - विकास प्रशासन द्वारा संचालित कार्यक्रमों को सफलता पूर्वक लागू करने हेतु कर्मचारियों में पहलकदमी करने की शाक्ति का विकास अत्याधिक आवश्यक है। अत: कर्मचारियों में इस पहलकदमी के विकास को प्रोत्साहित करना भी, प्रशासनिक विकास का एक उद्देश्य है।

4. बाह्य विशेषज्ञों पर प्रशासन की निर्भरता को कम करना - विकास प्रशासन की निर्भरता बाह्य विशेषज्ञों (Foreign Experts) पर कम से कम हो, यह भी प्रशासनिक विकास का उद्देश्य है। यह तभी सम्भव है जब अपने देश में ही पर्याप्त मात्रा में विकासात्मक कार्यक्रमों को संचालित करने हेतू प्रशिक्षित मानवीय शाक्ति उपलब्ध हो। इस प्रकार प्रशिक्षित मानवीय शक्ति का पर्याप्त मात्रा में विकास करके ही किसी देश में बाह्य विशेषज्ञों से छुटकारा पाया जा सकता है।

5. सीमित संसाधनों का उच्चतम प्रयोग - विकास प्रशासन के सामने चुनौतियाँ अधिक एवं उन चुनौतियों से झूझने के लिए संसाधन कम हैं। अत: इन सीमित संसाधनों से ही प्रशासन को इन चुनौतियों का मुकाबला करना होता है। इसके लिए यह अति आवश्यक है कि इन सीमित भौतिक एंव मानवीय संसाधनों का उच्चतम प्रयोग किया जाए जो प्रशासनिक विकास का एक मुख्य उद्देश्य हैं।

6. प्रशासन में आधुनिक तकनीकों के प्रयोग को बढ़ावा -  प्रशासनिक विकास का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य प्रशासनिक कार्यवाही में पुरानी या प्राचीन तकनीकों के स्थान पर नई एवं आधुनिक तकनीकों को स्थापित करना है तााकि विकास प्रशासन की कार्यक्षमता को काफी हद तक बढ़ाया जा सके।

7. नौकरशाही की स्थिलता एवं प्रशासन में व्याप्त भष्ट्रााचार को कम करना - विकासशील देशों में प्रशासन की एक गम्भीर समस्या है इसमें व्याप्त भष्ट्राचार तथा स्थिल नौकरशाही का पाया जाना है जो विकास के मार्ग मे मुख्य बाधक हैं । इन समस्याओं के समाधान हेतु प्रशासनिक विकास अनिवार्य है। प्रशासनिक विकास की मदद से ही नौकरशाही की स्थिलता एवं प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है। अत: प्रशासनिक विकास यह एक अहमभूत उद्देश्य है।

8. प्रशासनिक कर्मचारियों के दृष्टिकोण में परिवर्तन - प्रशानिक विकास का अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्य प्रशासन में कार्यरत प्रशासनिक कर्मचारियों के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना है। ताकि उन्हें विकासोन्मुख बनाया जा सके। अगर प्रशासनिक कर्मचारी विकास के प्रति उन्मुख होंगे तभी वे विकास प्रशासन के क्षेत्रा में अपनी बेहतर भूमिका का प्रदर्शन कर सकते हैं।

प्रशासनिक विकास की समस्याएँ

विकासशील देशों में प्रशासनिक विकास की समस्याएं हैं -
  1. प्रशासन में नवीन-विचार भावना का अभाव,
  2. तकनीकी दक्षता रखने वाले प्रशिक्षित प्रशासकों की कमी,
  3. कार्य करने का परम्परागत तरीका,
  4. अत्याधिक अनावश्यक गोपनीयता तथा पारदर्शिता का अभाव,
  5. अभिप्रेरणा, पहल शक्ति, नवीन तकनीक आदि का अभाव,
  6. प्रशासनिक कार्य में सहयोग एवं समन्वय की कमी,
  7. आधुनिक तकनीक एवं अपर्याप्त संगठनात्मक प्रबन्ध,
  8. पदोन्नित, सेवा सम्बन्धी शर्तों आदि का आकर्षक न होना,
  9. भ्रष्टाचार का बढ़ता स्वरूप,
  10. कागजी कार्यवाही को अधिक महत्व,
  11. लालफीताशाही एवं अनावश्यक विलम्ब,
  12. उत्तरदायित्व के प्रति उदासीनता एवं उससे बचने की प्रवृति आदि।

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