प्रतिनिधि नौकरशाही क्या है प्रतिनिधि नौकरशाही की मुख्य विशेषताएं?

साधारण तौर पर प्रतिनिधि नौकरशाही (Representative bureaucracy) एक ऐसी नौकरशाही है जिसमें समाज में विद्यमान प्रत्येक जाति, वर्ग, समुदाय एवं धर्म के लोगों का उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व पाया जाता है। 

एस. एन. झा के अनुसार - प्रतिनिधि नौकरशाही का सिद्धान्त इस बात पर जोर डालता है कि नौकरशाही की सामाजिक आर्थिक बनावट समाज के समस्त रूप से मिलती हो तथा समाज के प्रत्येक समूह व वर्ग का नौकरशाही के अन्दर स्वयं का होना चाहिए ताकि समूह में स्वार्थो (Self Interests) की रक्षा की जा सके।

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प्रतिनिधि नौकरशाही की मुख्य विशेषताएं

  1. प्रतिनिधि नौकरशाही सामाजिक समता की अवधारणा से जुड़ी हुई है। इस सम्बन्ध में यह इस सिद्धान्त पर आधारित है कि एक वास्तविक प्रजातन्त्र को लोक सेवाओं में लिंग, जाति, धर्म आदि के आधार पर पूर्ण प्रतिनिधित्व होना चाहिए ताकि एक उत्तरदायी लोकनीति तैयार की जा सके।
  2. प्रतिनिधि नौकरशाही भर्ती की संरक्षण प्रणाली (Patronage System) से मेल खाती है जबकि मेरिट प्रणाली की विरोधाभाषी है क्योंकि मेरिट प्रणाली में लोगों को योग्यता के आधार पर चयनित किया जाता है।
  3. प्रतिनिधि नौकरशाही में लोक सेवकों को समाज के विभिन्न वगोर्ंं के प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है न कि तटस्थ एवं निष्पक्ष लोक सेवकों के रूप में।
  4. प्रतिनिधि नौकरशाही इस मान्यता पर आधारित है कि सरकारी तन्त्र के प्रत्येक स्तर पर रोजगार में प्रत्येक अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधित्व उस वर्ग की समग्र में कुल जनसंख्या के अनुपात में होगा।
  5. प्रतिनिधि नौकरशाही इस सिद्धान्त पर आधारित है कि नौकरशाही जनता को न केवल जन सेवाएं देने कि लिए हैं बल्कि उसी जनता को नौकरियां एवं आर्थिक लाभ प्रदान करना भी इसका काम है।

प्रतिनिधि नौकरशाही का महत्व

1. सामाजिक समस्याओं की पूर्ण समझ- प्रतिनिधि नौकरशाही क्योंकि समाज के प्रत्येक वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है इसलिए समाज में व्याप्त प्रत्येक वर्ग से सम्बन्धित समस्या की इसे पूर्ण समझ होती है जिसके आधार पर यह यथोचित नीतियों का निर्माण करके उन समस्यओं का आसानी से समाधान निकाल सकती है।

2. जनसहयोग को बढ़ा़वा- प्रतिनिधि नौकरशाही जनता का विश्वास जीतने में एक कारगर कदम और इस प्रकार यह प्रशासनिक कार्यवाही में जनसहभागिता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रत्येक वर्ग से सम्बन्धित होने के कारण विकासात्मक कार्यक्रमों एवं नीतियों के निर्माण एवं क्रियान्वयन में यह जनता की भागीदारी को बढ़ाने में सक्ष्म है।

3. प्रशासन में बेहतर Feedback तन्त्र को बढ़ावा- नए विकासात्मक नीतियों एवं कार्यक्रमों के सफलता पूर्वक निर्माण हेतू, पूर्व में विभिन्न वर्गों के विकास के सम्बन्ध में चलाए गए कार्यक्रमों का पूर्ण विवरण (Feedback) प्रशासनिक अधिकारियों के लिए अति आवश्यक होते हैं। प्रतिनिधि नौकरशाही समाज के विभिन्न वर्गों के साथ जन सम्र्पक स्थापित करके इस ढ़ंग की Feedback प्राप्त करने में अहम भूमिका निभा सकती है। इस प्रकार यह प्रशासन में बेहतर Feedback तन्त्र को बढ़ावा देती है।

4. उच्च लोक सेवाओं के सामाजिक-आर्थिक आधार को विस्तृत करना- प्रतिनिधि नौकरशाही में समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व होने के कारण उच्च लोक सेवाओं में स्थान पाने वाले candidates का दायरा Professional Middle Class, Exclusive Schools and Colleges एवं शहरों तक ही सीमित न होकर काफी अधिक विस्तृत हो जाता है क्योंकि प्रतिनिधि नौकरशाही में गांव व शहरों में निवास करने वाले सभी वर्गों के लोगों को उनकी समग्र में जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाता है।

5. विकास कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन को प्रोत्साहन- प्रतिनिधि नौकरशाही में क्योंकि समाज के सभी वर्गों कें लोगों का उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व है इसी कारण यह विकास प्रशासन द्वारा विभिन्न वर्गों के लिए संचालित कार्यक्रमों में अपने-अपने वर्ग के लोगों को बढ़चढ़ कर भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। जिससे उन कार्यक्रमों के उद्देश्यों की सफलतापूर्वक प्राप्ति की जा सकती है। 

6. Social Cleavages को दूर करने में सहायक प्रतिनिधि नौकरशाही समाज के विभिन्न वर्गों के बीच उत्पन्न खाईयों (Cleavages) को खत्म करने में काफी हद तक सहायक है। ये खाईयां विभिन्न वर्गों के मध्य नौकरशाही में उनके उचित प्रतिनिधित्व के न होने के कारण उत्पन्न हो जाती है। नौकरशाही में उचित प्रतिनिधित्व न होने के कारण विभिन्न वगोंर्ं के लोगों में अपने-अपने स्वाथार्ं की पूर्ति को लेकर भय का वातावरण उत्पन्न हो जाता है। लेकिन प्रतिनिधि नौकरशाही सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देकर इन सभी शंकाओं को दूर करके समाज के एकीकरण में अहमभूत भूमिका निभाती है।

7. प्रशासन एवं जनता की दूरी को कम करना- प्रतिनिधि नौकरशाही में समाज के सभी वर्गो का उचित प्रतिनिधित्व होने के कारण ऐसी नौकरशाही प्रशासन में सभी लोगों का विश्वास जीतने में काफी हद तक सहायक है। जनसाधारण का प्रशासन में विश्वास पैदा होना, उनकी प्रशासन में भागीदारी का प्रतीक होता है। इस प्रकार जनता की प्रशासनिक कार्य प्रणाली में बढ़ती हुई भागीदारी, इन दोनों के बीच की दूरी को कम कर देती है। 

8. प्रशासनिक तन्त्र को स्थायित्व प्रदान करना- प्रतिनिधि नौकरशाही क्योंकि समाज के सब वगार्ंे का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए यह समाज के विभिन्न वगार्ंे की प्रशासन से शिकायतों को दूर करने में कारगर भूमिका निभा सकती है। इस प्रकार ऐसी नौकरशाही समाज के विभिन्न वर्गो की नाराजगी को दूर करने में अहमभूत कदम है। यह प्रशासन के अन्दर जनसाधारण का विश्वास बनाए रखने में काफी हद तक सहायक है। इस कारण यह प्रशासनिक तन्त्र को जड़ों को मजबूती प्रदान करके इसे स्थायित्व प्रदान करने की कोशिश करती है।

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नौकरशाही में अधिक प्रतिनिधित्व प्रदान करने की तरीके

1. शिक्षा को अधिक से अधिक बढ़ा़वा- समाज में शिक्षा को अधिकाधिक बढ़ावा देकर नौकरशाही को अधिक प्रतिनिधित्व प्रदान किया जा सकता है। समाज का अगर प्रत्येक वर्ग शिक्षित होगा तभी उसकी entry को नौकरशाही में सुनिश्चित किया जा सकता है। भारत जैसे विकासशील देशों में आज भी अनपढ़ता की समस्या मुख्य रूप से बनी हुई है। इस समस्या के समाधान हेतु निम्नलिखित तरीके अपनाए जा सकते हैं -
  1. अधिक से अधिक स्कूल खोलकर
  2. शिक्षा को सस्ता बनाकर
  3. व्यवसायी शिक्षा प्रदान करके
  4. दोपहर का भोजन प्रदान करके
  5. गरीब बच्चों को पुस्तकें व वर्दी मुफ्त प्रदान करके
  6. प्रत्येक स्कूल में पूर्ण मात्रा में अध्यापक उपलब्ध कराके
  7. पढ़ाने के तरीकों में सुधार करके इत्यादि।
इस प्रकार शिक्षा के प्रसार हेतु इन सभी तरीकों का इस्तेमाल करके शिक्षा सम्बन्धी सुविधाओं को समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाया जा सकता है।

2. भर्ती के तरीकों में सुधार- आजकल भारतीय प्रशासनिक सेवाओं, भारतीय पुलिस सेवाओं, भारतीय विदेश सेवओं आदि में भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर की जाती हैे तथा उसके पश्चात् साक्षात्कार लिया जाता है। लेकिन केवल परीक्षां एवं साक्षात्कार के माध्यम से ही व्यक्ति की सभी योग्यताओं का परीक्षण नहीं हो पाता। डेविड सी. पोटर के अनुसार कुछ लोग Cramming के आधार पर ही लिखित परीक्षा में सफल हो जाते है। इस ढंग की Cramming पर बल को कम करने हेतु हाल ही में Objective type test की शूरूआत की गई। हालांकि इसके बाद भी भर्ती प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है हार्वड मनोवैज्ञानिक प्रो. होर्वाड गार्डनर के अनुसार बुद्धिमता (Intelligence) सात ढ़ंग की होती है - (i) Linguistic (2) Logical Mathematical (3) Spatial (4) Bodily - kinaesthetic, (5) Musical (6) Knowledge of Self (7) Knowledge of others. विभिन्न प्रकार की Jobs के लिए अलग-अलग प्रकार की बुद्धिमता की आवश्यकता होती क्यांकि भिन्न-भिन्न Jobs की आवश्यकताएं भी भिन्न-भिन्न होती हैं। साक्षात्कार को Personality test के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि Military की तरह अब तक भी Personality tests को वैज्ञानिक ढ़ंग से लोक सेवाओं में लागू नहीं किया जा सका है। प्रार्थियों (Candidates) का वैज्ञानिक ढ़ंग से चयन, न केवल नौकरी की आवश्यकता के अनुरूप प्राथ्र्ाी के चयन में मदद करता है बल्कि नौकरशाही के आधार को भी ज्यादा विस्तृत बनाता है। विभिन्न योगताएं समाज के भिन्न-भिन्न वर्गो में बंटी हुई होने के कारण उन्हें Various Test apply करके खोजा जा सकता है। इसलिए अगर हम Essay writing के अतिरिक्त प्रार्थी की अलग-अलग योग्यताओं की खोज करें तो हम रवइे की आवश्यकताओं के अनुरूप समाज के विभिन्न Social Background के लोग इन सेवाओं के लिए मिल सकते हैं जो नौकरशाही को अधिक से अधिक प्रतिनिधि प्रदान करने में मदद करेगा।

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