सरल शब्दों में राजनय एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से राष्ट्र एक-दूसरे के साथ
संबंध बनाये रखते है। राजनय दो राष्ट्रों के मध्य संचार का साधन है, प्रेषित संदेश नहीं। यह बातचीत के माध्यम से राष्ट्रों के मध्य राजनीतिक लक्ष्यों और हितों को प्राप्त करने का साधन है। इनसाइक्लोपीडिया
ऑफ ब्रिटानिका राजनय को परिभाषा देते हुए लिखा है की ‘राजनय, बातचीत, समझौतों
और अन्य उपायों लोगों और विदेशी सरकारों के निर्णयों और व्यवहार को प्रभावित
करने की स्थापित विधि है।’
राजनय की परिभाषा
कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएं जो विद्वानों द्वारा दी गयी है,
3. अर्नेस्ट सेटो के अनुसार, “स्वतंत्र राष्ट्रों के सरकारों के मध्य बुद्धि और चतुरता के प्रयोग द्वारा अधिकारिक संबंधों का संचालन’ राजनय कहलाता है।”
1. ऑर्गेन्स्की के अनुसार, “राजनय से अभिप्राय ‘दो या दो से अधिक राष्ट्रों के
आधिकारिक प्रतिनिधियों के मध्य होने वाली संधि वार्ता’ से है।”
2. पेडेलफोर्ड एवं लिंकन के अनुसार- राजनय को राज्यों के मध्य प्रतिनिधित्व तथा संधिवार्ता
के रूप में परिभाषित किया है, जिसका प्रयोग राज्य शांतिकाल में एक-दूसरे के
संपर्क में रहने के लिए करते हैं।
3. अर्नेस्ट सेटो के अनुसार, “स्वतंत्र राष्ट्रों के सरकारों के मध्य बुद्धि और चतुरता के प्रयोग द्वारा अधिकारिक संबंधों का संचालन’ राजनय कहलाता है।”
4. जॉर्ज कैनन के अनुसार, “राजनय का मुख्य कार्य हैः अपने राष्ट्र की सरकार और
विदेश में अन्य सरकार या व्यक्तियों के बीच संचार को प्रभावित करना और ऐसा
अधिकतम सटीकता, कल्पना, चातुर्य और अच्छी समझ के साथ करना।”
राजनय के कार्य
मार्गेंथाऊ ने राजनय के चार महत्वपूर्ण कार्य बताए हैं-- राज्य के प्रमुख उद्देश्यों और वास्तव में इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उपलब्ध शक्ति का निर्धारण करना।
- राजनय को अन्य राज्यों के उद्देश्यों और उसे पूरा करने के लिए वास्तव में उपलब्ध शक्ति का आकलन करना चाहिए।
- कूटनीति को इस बात तक पहुंचना चाहिए कि ये किस हद तक एक-दूसरे के अनुकूल हैं
- कूटनीति को अपने उद्देश्यों की खोज के अनुकूल साधनों को नियाेजित करना चाहिए।
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