समावेशी शिक्षा का अर्थ, परिभाषा एवं निर्धारण

समेकित या समावेशी शिक्षा का अर्थ अथवा प्रत्यय समावेशी शिक्षा वह शिक्षा होती है, जिसके द्वारा विशिष्ट क्षमता वाले बालक जैसे मंदबुद्धि, अन्धे बालक, बहरे बालक तथा प्रतिभाशाली बालकों को ज्ञान प्रदान किया जाता है। समावेशीशिक्षा के द्वारा सर्वप्रथम छात्रों के बौद्धिक स्तर की जॉच की जाती हैं, तत्पश्चात उन्हें दी जाने वाली शिक्षा का स्तर निर्धारित किया जाता है। 

अत: यह एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है, जो कि विशिष्ट क्षमता वाले बालकों हेतु ही निर्धारित की जाती है। अत: इसे समेकित अथवा समावेशी शिक्षा का नाम दिया गया। 

समावेशी शिक्षा की परिभाषा

यरशेल के अनुसार - समावेशी शिक्षा के कुछ कारण योग्यता ,लिंग, प्रजाति , जाति ,भाषा , चिंता स्तर, सामाजिक -आर्थिक स्तर, विकलांगता लिंग व्यवहार या धर्म से सम्बधित होते हैं। 

 शिक्षा शास्त्री के अनुसार - समावेशी शिक्षा को एक आधुनिक सोच की तरह परिभाषित किया जा सकता है। कि शिक्षा को अपने में सिमटे हुए दृष्टिकोण से मुक्त करती हैं। और ऊपर उठाने के लिये प्रोत्साहित करती हैं। दूसरे शब्दों में समावेशी शिक्षा अपवर्जन के विरूद्ध एक पहल हैं।

स्टीफन तथा ब्लैकहर्ट के अनुसार - शिक्षा की मुख्य धारा का अर्थ बाधित ( पूर्ण रूप से अपंग नहीं ) बालकों की सामान्य कक्षाओं में शिक्षण व्यवस्था करना है। यह समान अवसर मनोवैज्ञानिक सोच पर आधारित है। जो व्यक्तिगत योजना के द्वारा उपयुक्त समाजिक और अधिगम को बढ़ावा देती है।  

समावेशी शिक्षा का निर्धारण

समावेशी शिक्षा का निर्धारण भी छात्रों की बुद्धि लब्धि, शैक्षिक स्तर व योग्यताओं को ध्यान में रखकर ही किया जाता है। इस प्रकार की शिक्षा के कई स्तर होते है। यह स्तर बालकों के स्तरानुसार ही निर्धारित किये जाते हैं। बालकों के स्तरों को निम्नांकित रूप में वर्गीकृत किया गया है -
  1. शारीरिक रूप से
  2. मानसिक रूप से 
  3. सामाजिक रूप से 
  4. शैक्षिक रूप से 
जो कि अन्य बालकों से शारीरिक रूप से भिन्न होते हैं, यह इस श्रेणी में आते हैं, जैसे -
  1. सांवेदिक रूप से विकलांग बालक
  2. गतीय रूप से विकलांग बालक तथा
  3. बहुत विकलांग बालक
वह बालक जो कि मानसिक रूप से विचलित होते हैं, वह इस श्रेणी में आते हैं, जैसे -
  1. प्रतिभाशाली बालक
  2. मन्दबुद्धि बालक तथा
  3. सृजनशील बालक
इस श्रेणी की विषेशता यह है कि जरूरी नहीं वल बालक जो कि मानसिक रूप से कमजोर हों वही इस श्रेणी में आयें वरन वह बालक जो आवश्यकता से अधिक चतुर व समझदार होते हैं, वह भी इस श्रेणी में आते हैं।
वह बालक जो कि सामाजिक रूप से विचलित होते हैं वह इस श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं, जैसे -
  1. सांवेगिक रूप से परेशान बालक
  2. असमायोजित बालक
  3. वंचित बालक
  4. समस्यात्मक बालक
  5. बाल अपराधी
  6. माता पिता द्वारा तिरस्कृत बालक
शैक्षिक रूप से भिन्न बालकों के अन्तर्गत निम्न बालक आते है -
  1. शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक
  2. शैक्षिक रूप से पिछडे बालक
  3. किसी विषय विषेश को न सीख पाने वाले बालक तथा
  4. सम्प्रेशण बाधित बालक
इस प्रकार से इन सभी बालकों को शिक्षा प्रदान करने हेतु ही समेकित अथवा समावेशी शिक्षा का प्रावधान तैयार किया गया। अत: समावेशी शिक्षा प्रणाली वह प्रणाली है, जो कि विषिश्टता ग्रहण किये बालकों हेतु तैयार की गई है।

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