भाषा कौशल भाषा का व्यावहारिक पक्ष है। तथ्यों, भावों, विचारो तथा कौशल में शारीरिक अंगो, ज्ञान-इन्द्रियों, कर्म-इन्द्रियो को क्रियाशील रहना पडता है। भाषा कौशल मुख माध्यम का कार्य करती है। भाषा कौशल के मुख के अंगो को अधिक क्रियाशील होना पड़ता है। शारीरिक अंगो के साथ ज्ञान-इन्द्रियॉं तथा कर्म-इन्द्रियॉं भी सक्रिय रहती है। इस प्रकार भाषा की पूर्णता हेतु भाषा विज्ञान, व्याकरण तथा भाषा का बोध होना आवश्यक होता है।
भाषा कौशल का अर्थ
भाषा एक अभिव्यक्ति का साधन है। अभिव्यक्ति का माध्यम कौशल होते है। भाषा विज्ञान तथा व्याकरण अभिव्यक्ति का सैद्धान्तिक पक्ष होता है। और भाषा कौशल अभिव्यक्ति का व्यावहारिक पक्ष होता है। व्यक्ति की संप्रेषण की सक्षमता भाषा कौशलों की दक्षता पर ही निर्भर होती है। भाषा की प्रभावशीलता का मानदंड बोधगम्यता होती है। जिन भावो एवं विचारों की अभिव्यक्ति करना चाहते है उन्हें कितनी सक्षमता से बोधगम्य कराते है यह भाषा कौशलों के उपयोग पर निर्भर होता है।भाषा कौशल की विशेषताएँ
भाषा कौशल के विस्तृत विवेचन से विशेषताओं एवं प्रकृति का बोध होता है। भाषा कौशल की सामान्य विशेषताए भाषा इस प्रकार है -- कौशल भाषा का व्यावहारिक पक्ष है।
- भाषा कौशल सम्प्रेषण का साधन तथा मुख्य माध्यम है।
- भाषा कौशल में मानसिक शारीरिक अंगों, ज्ञान-इन्द्रियॉं तथा कर्म-इन्द्रिया क्रियाशील होती है।
- भाषा कौशल अर्जित किए जाते है, इसके लिए प्रशिक्षण तथा अभ्यास किया जाता है।
- भाषा कौशल में प्रत्यक्षीकरण तथा मानसिक व्यवस्था की आवश्यकता होती है।
- भाषा कौशल के दो घटक - (अ) पाठ्यवस्तु तथा (ब) अभिव्यक्ति होते है।
- भाषा कौशल के दो प्रवाह- (अ) लिखना- पढ़ना तथा (ब) बोलना- सुनना है।
- भाषा कौशल का उद्देश्य बोधगम्यता है।
- भाषा कौशल से सम्प्रेषण की सक्षमता का विकास होता है।
- भाषा कौशल से शाब्दिक अत: प्रक्रिया होती है।
- भाषा कौशल की प्रभावशीलता का आकलन कौशलों की शुद्धता तथा बोधगम्यता से किया जाता है।
- भाषा कौशलों का भाषा विज्ञान तथा व्याकरण ही मुख्य आधार होता है।
- भाषा कौशल के मुख्य रूप-लिखना, पढ़ना बोलना तथा सुनना है।