SWOT स्वोट विश्लेषण क्या है स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ?

SWOT स्वोट विश्लेषण

स्वोट विश्लेषण किसी विशेष परिस्थिति को मूल्यांकित करने की विश्लेषणात्मक प्रविधि है। स्वोट (SWOT) चार शब्दों का संक्षिप्त रूप है। S से तात्पर्य Strength अर्थात् शक्तियां, W से Weakness कमजोरियां, O से Opportunities अवसर तथा T से Threats चुनौतियां। किसी भी परिस्थिति के ये चार पक्ष होते हैं जो उसका समग्र विश्लेषण करने के लिए आवश्यक हैं। विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक प्रबंधन के साथ-साथ शैक्षिक प्रबंधन में भी इसका महत्व बढ़ गया है। 

स्वोट (SWOT) के चार पक्षों में से दो पक्ष, अवसर तथा चुनौतियाँ बांहा कारक हैं, जबकि शक्तियां तथा कमजोरियां आन्तरिक कारक हैं। शैक्षिक प्रबंधन तथा नियोजन की रणनीतियों में SWOT विश्लेषण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 

किसी भी संगठन के समुचित विकास के लिए नियमित मूल्यांकन (continuous evaluation) आवश्यक है। वस्तुत: मूल्यांकन समग्र प्रबंधन प्रक्रिया का अविभाज्य अंग है। समुचित, वैध एवं विश्वसनीय मूल्यांकन किसी भी संगठन का सुदृढ़ आधार है, जिस पर किसी भी संगठन का भावी विकास निर्भर करता है।

SWOT स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ

  1. इसके आधार पर विद्यालयों में प्रशासनिक सिद्धांतों का प्रयोग किया जा सकता है।
  2. इसके आधार पर प्रशासक सहज ही अनुमान लगा लेते हैं कि विद्यालय प्रणाली की उप-प्रणालियों में कहा क्या कमी है व इसे कैसे दूर किया जा सकता है।
  3. जो प्रबंधक, प्रणाली के दृष्टिकोण से संगठन में आने वाली समस्याओं को देखता है, वह आसानी से समस्या-समाधान के विकल्पों का पता लगा लेता है।
  4. प्रबंधक समस्या या विद्यालय पर डालने वाले प्रभावों (यथा संस्थागत, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक) का विश्लेषण कर पाता है।
  5. यह एक ऐसा ढांचा है जिसके आधार पर शिक्षा जैसे जटिल संगठनों की समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है तथा भविष्य में संबंध में निर्णय लिया जा सकता है।
  6. यह एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है कि प्रबंधक एक समग्र प्रणाली के कार्य कर रहा है।
  7. यह पूर्व प्रबंध-नौकरशाही मान्यताओं के विपरीत, विद्यालय संगठन को एक गतिमान, परस्पर क्रियापूर्ण व तर्कसंगत व्यापक प्रणाली मान कर चलता है।
  8. इसके आधर पर शैक्षिक समस्याओं की पहचान कर उनका समाधान ढूंढा जा सकता है, चाहे ये समस्याएं गिरते शैक्षिक स्तर, अनुशासन या अन्य किसी भी प्रकार की क्यों न हों। यही कारण है कि अनेक विद्वानों, यथा- कूट्ज तथा ओडोनेल (Koontz and O’Donnel, 1976) ह्यूज तथा बोडिच (Huse and Bowdetch, 1977) एवं वुड निकल्सन तथा पिफन्डले (Wood Nicholson and Findley, 1979)

इन्होंने मत व्यक्त किये हैं कि आज वर्तमान जटिल संगठन होने की स्थिति में कोई भी प्रबंधन सिद्धांत या अभिगम की उपेक्षा नहीं कर सकता है।

इस सिद्धांत के व्यापक महत्व पर प्रकाश डालते हुए टजेल्स तथा गुवा लिखते हैं-यह अभिगम किसी संगठन में कार्यरत व्यक्तियों या उनके व्यवहार का विश्लेषण करने का आदान-प्रदान करती है। इसके आधार पर विद्यालय प्रणाली के प्रत्येक व्यक्ति के व्यवहार को चाहे वह प्रिंसीपल, शिक्षक या विद्यार्थी हो समझा जा सकता है कुछ अपेक्षित व्यवहार होते हैं, उनके यह व्यवहार, उनके निजी दृष्टिकोण पर आधारित होते हैं। व्यक्तियों के व्यवहार के मध्य अंत:क्रिया चलती रहती है। टकराव की स्थिति तब होती है, जब अपेक्षित व्यवहार तथा व्यवहार करने वाले व्यक्ति के दृष्टिकोण में अंतर होता है। इस अभिगम के आधार पर कुशल प्रशासक तनाव व संघर्षों को कम करता हुआ विद्यालय प्रणाली के विकास के लिए अग्रसर हो सकता है।

SWOT स्वोट विश्लेषण के लाभ तथा सीमाएं

स्वोट (SWOT) विश्लेषण के विभिन्न लाभ हैं जो हैं-

  1. स्वोट (SWOT) विश्लेषण द्वारा बांहा कारक तथा आन्तरिक क्षमताएं समझने के लिए आकड़े उपलब्ध कराता है।
  2. बांहा अवसरों तथा चुनौतियों का मूल्यांकन करने में अवसर प्रदान करता है।
  3. बांहा अवसरों तथा चुनौतियों का मूल्यांकन करने में सहायता प्रदान करता है।
  4. सुधार हेतु नवीन तकनीक तथा कार्यक्रम नियोजित करता है।

स्वोट की सीमाएं

  1. इस प्रक्रिया में बहुत अधिक समय लगता है।
  2. पुराने आकड़े उपलब्ध होने के कारण सही परिणाम नहीं निकलते।
  3. स्वोट (SWOT) प्रक्रिया में विभिन्न मतों के चलते विभेदीकारिता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

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