प्रतिबद्धता का अर्थ, परिभाषा एवं घटक

प्रतिबद्धता का अर्थ है कि विशेष व्यक्ति, सिद्धान्त अथवा कार्य के प्रति वचन देना, किसी भी सामाजिक व्यवस्था के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना एवं अपनी ऊर्जा को उस सामाजिक कार्य में समर्पित कर देने की तत्परता। 

प्रतिबद्धता किसी कार्य के प्रति समर्पित होने अथवा कार्य के प्रति वचनबद्धता को कहा जा सकता है। अपने कार्य के प्रति किसी व्यक्ति के समर्पित होने की पूर्ण इच्छा शक्ति एवं विश्वास प्रदर्शित करने की भावना को प्रतिबद्धता कहते हैं। एक प्रतिबद्ध व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से अपने कार्य के प्रति पूर्णतः समर्पित होता है एवं अपने लक्ष्यों के प्राप्त करने के लिए उच्च स्तर का प्रयास करता है। वह अपने कार्य को नैतिक दायित्व की भावना से देखता है तथा यह मानता है कि उसका अपने कार्य के प्रति प्रतिबद्ध होना आवश्यक है।

प्रतिबद्ध व्यक्ति अपने मूल्यों के प्रति अडिग रहता है। अपने कार्य को समान उत्साह से निरन्तर करता है वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह मनोवैज्ञानिक रूप से अपने कार्य से निरन्तर जुड़ा रहता है। प्रतिबद्धता एवं विश्वास किसी भी सम्बन्ध के लिए महत्वपूर्ण कारक माने जाते हैं क्योंकि उनके द्वारा ही सहयोगी व्यवहार प्राप्त किया जा सकता है। प्रतिबद्ध व्यक्ति अपने कार्यों के प्रति दृढ़ प्रतिज्ञा एवं आत्मविश्वास वाला होगा।

प्रतिबद्धता के घटक

मेयर और ऐलन और स्मिथ (1991) ने प्रतिबद्धता के 3 घटक बताए हैं –

  1. सतत् प्रतिबद्धता (Continuance Commitment)
  2. मानक आधारित प्रतिबद्धता (Normative Commitment)
  3. भावात्मक प्रतिबद्धता (Affective Commitment)
1. सतत् प्रतिबद्धता - इस प्रकार की प्रतिबद्धता में व्यक्ति अपने फायदे एवं नुकसान के बारे में विचार कर उचित निर्णय लेता है। सतत् प्रतिबद्धता किसी संगठन में निरन्तर बने रहने से प्राप्त लाभ एवं छोड़ने की स्थिति में होने वाली हानि के कारण होती है। इसमें व्यक्ति एक संगठन में बने रहने या छोड़ने पर होने वाली हानि का मूल्यांकन करता है।

2. मानक आधारित प्रतिबद्धता - इस प्रकार की प्रतिबद्धता में व्यक्ति संगठन के मानकों के आधार पर अपने लक्ष्यों को पाने के लिए वह पहले संगठन के लक्ष्य को अपना मानकर लिए उसके नियमों का आन्तरिक दबाव होता है। इसमें व्यक्ति ऐसा व्यवहार करता है जिससे प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है।

3. भावात्मक प्रतिबद्धता - इस प्रकार की प्रतिबद्धता में व्यक्ति में भावात्मक रूप से संगठन से जुड़ कर अपने संगठन के साथ सामन्जस्य स्थापित कर लेता है। संगठन के प्रति व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक लगाव, संगठन के प्रति व्यक्ति का विश्वास, संगठन के मूल्यों में विश्वास तथा संगठन में सक्रिय भागीदारी निभाता है एवं भावात्मक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post