शिक्षा प्रशासन से आप क्या समझते हैं शिक्षा प्रबंध एवं शैक्षिक प्रशासन में अन्तर?

शैक्षिक प्रशासन का सम्बन्ध मुख्यत: शिक्षा से ही होता है। अतएव शिक्षा के क्षेत्र में संगठन (Organization) जिस ढाचे या तन्त्र को खड़ा करता है, शैक्षिक प्रशासन उसे कार्यान्वित करने में सहायक होता है जिससे शैक्षिक उद्देश्यों की अधिकाधिक प्राप्ति सम्भव होती है। शैक्षिक प्रशासन को आज केवल शिक्षा की व्यवस्था करना ही नहीं समझा जाता अपितु शिक्षा के सम्बन्ध में योजना बनाना, संगठन पर ध्यान देना, निर्देशन तथा पर्यवेक्षण आदि अनेक कार्यो से इसका गहरा सम्बन्ध है। शिक्षा के क्षेत्रों में अनेक व्यक्ति अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। 

कक्षाभवन, पुस्तकालय, व्ीड़ा-स्थल, कार्यालय, पाठ्येनर क्रियाओं का सफलतापूर्वक संयोजन करना और निरन्तर प्रगति के लिये प्रयत्न करना शैक्षिक प्रशासन का ही कार्य होता है। शिक्षा के सम्पूर्ण ढाचे में कौन व्यक्ति कितनी लगन से कार्य कर रहा है इसका ठीक प्रकार से पर्यवेक्षण करना भी शैक्षिक प्रशासन का कार्य है। सभी व्यक्तियों के पारस्परिक सम्बन्धों को मधुर बनाना तथा उनकी कार्यक्षमता को उचित प्रोत्साहन देना, सहयोगपूर्ण ढंग से कार्य करने, प्रशासन के कार्यो में ही सम्मिलित है। 

विद्यालयों के प्रधानाचार्य, प्रबन्धक, शिक्षा, विद्यार्थी, अन्य कर्मचारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, निर्देशक, उपनिदेशक आदि सभी मिलकर शिक्षा के स्तर को उचा उठाने का प्रयास करते हैं। इन सभी सम्बन्धित व्यक्तियों के कर्तव्यों तथा अधिकारों को ठीक प्रकार से समझने तथा उन्हें कार्यान्वित करना प्रशासन का ही कार्य है।

शैक्षिक प्रशासन की परिभाषा

ब्रुक एडम्स के अनुसार-शैक्षिक प्रशासन में अनेक को एक सूत्र में बाधने की क्षमता होती है। शैक्षिक प्रशासन प्राय: परस्पर विरोिमायों तथा सामाजिक शक्तियों को एक ही संगठन में इतनी चतुराई से जोड़ता है कि वे सब मिलकर एक इकाई के समान कार्य करते हैं।

डा. एस. एन. मुखर्जी के अनुसार-शैक्षिक प्रशासन वस्तुओं के साथ-साथ मानवीय सामानों की व्यवस्था से सम्बन्धित है अर्थात् व्यक्तियों के मिलजुलकर और अच्छा कार्य करने से सम्बन्धित है। वास्तव में, इसका सम्बन्ध मानवीय सजीवों से अपेक्षाछत अधिक है तथा अमानवीय वस्तुओं से कम।

फाक्स, बिश तथा रफनर के अनुसार-शैक्षिक प्रशासन एक ऐसी सेवा करने वाली गतिविधि है जिसके माध्यम से शैक्षिक प्रक्रिया के लक्ष्य प्रभावशाली ढंग से प्राप्त किये जाते हैं।

Encyclopaedia of Educational Research के अनुसार-शैक्षिक प्रशासन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा सम्बन्धित व्यक्तियों के प्रयासों का एकीकरण तथा उचित सामग्री का उपयोग इस प्रकार किया जाता है जिससे मानवीय गुणों का समुचित विकास हो सके।

जे. बी. सीयर्स के अनुसार-शिक्षा के क्षेत्र में प्रशासन का आशय ‘सरकार’ शब्द से है जिसका निकटतम सम्बन्ध विशेष सन्दर्भ में इन शब्दों से होता है जैसे-अधीक्षण पर्यवेक्षण योजना, त्रुटि, निर्देशन, संगठन, नियन्त्रण, समायोजन, नियम आदि।

हेनरी फेयॉल (Henry Fayol) ने ‘प्रशासन प्रक्रिया’ को पिता कहकर पुकारा जाता है उसके शब्दों में- अन्य प्रशासन की भाति शैक्षिक प्रशासन पाच तत्वों-नियोजन, संगठन आदेश, समन्वय तथा नियन्त्रण की एक प्रक्रिया है।

मोर्ट तथा रौस के अनुसार-शैक्षिक प्रशासन का अर्थ है-छात्रों के विकास को निर्धारित उद्देश्यों की ओर मोड़ना, अध्यापकों को सामान के रूप में प्रयुक्त करना तथा सम्बन्धित जनसमुदाय को उद्देश्यों तथा उनकी प्राप्ति के सामानों की ओर मोड़ना, अध्यापकों को सामान के रूप में प्रयुक्त करना तथा सम्बन्धित जनसमुदाय को उद्देश्यों तथा उनकी प्राप्ति के सामानों की ओर प्रेरित करना।

ग्राहम वैल्पफोर के अनुसार-शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य उत्तम छात्रों को योग्य शिक्षकों से समुचित शिक्षा प्राप्त करने हेतु समक्ष या योग्य बनाना है ताकि वे अपने राज्य के अन्तर्गत सीमित सामानों द्वारा प्रशिक्षित होकर अधिकाधिक लाभान्वित हो सके।

शिक्षा प्रबंध एवं शैक्षिक प्रशासन में अन्तर

प्रबंध और प्रशासन को लेकर अनेक मतभेद हैं। इनको लेकर तीन प्रकार की धारणाए प्रचलित हैं-

1. प्रशासन शब्द प्रबंधन की तुलना में अधिक व्यापक है-इसके अनुसार प्रशासन तथा प्रबंध दो पृथक-पृथक क्रियाए हैं। इनमें प्रशासन की सना, प्रबंध से ऊपर है।

2. प्रशासन प्रबंध का अंग है-इस विचार के प्रतिपादक ई एल. एफ ब्रेच है। इनके अनुसार प्रबंध का कार्य उपक्रम की नीतिया तय करना, लक्ष्य निर्धारण करना है, प्रशासन उनको क्रियान्वित करता है। इस तरह प्रशासन, प्रबंधन प्रक्रिया का ही एक अंग है। प्रशासन की प्रबंधन से श्रेष्ठता के समर्थक विद्वानों में िस्प्रंगल, जे. एन. शुल्ज तथा आलीवर शेल्डन है जो प्रशासन को प्रबंध से उपर मानते हैं। प्रशासन नीतिया व उद्देश्य तय करता है प्रबंध उनको क्रियान्वित करता है। 

ऑलीवर शेल्डन के अनुसार-प्रबंध का कार्य प्रशासन द्वारा निर्धारित सीमाओं के अंतर्गत नीतियों को क्रियान्वित करना है तथा निश्चित उद्धेश्यों की पूर्ति के लिए संगठन का कार्य नियोजित करना है।

3. प्रबंधन की प्रशासन से श्रेष्ठता के समर्थक-ई एफ. एल. बेच के अनुसार प्रबंध शब्द, प्रशासन से कहीं अधिक व्यापक है। वे प्रशासन को प्रबंध का ही अंग मानते हैं। इसी तरह जे. एल. लुंडी भी प्रबंधन को प्रशासन से व्यापक मानते हैं। उनके अनुसार प्रबंधन क्षेत्र के अन्तर्गत प्रशासन तथा क्रियान्वयन दोनों समाविष्ट हैं। अमरीकी विचारधारा के समर्थक विचारक प्रशासन को नीति निर्धारक एजेन्सी तथा प्रबंध को नीतियों को क्रियांवित करने वाली एजेंसी मानते हैं।

इस प्रकार प्रबंध एवं प्रशासन में कुछ स्पष्ट अंतर दिखायी पड़ते हैं-

1. प्रशासन वह शक्ति है जो व्यापक नीतियां निर्धारित करता है जिन्हें प्रबंध संगठन के माध्यम से पूरा करने का प्रयास करती है जब कि प्रबंध वह शक्ति जो पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति हेतु संगठन का पथ प्रदर्शन, निर्देशन व नेतृत्व करती है।

2. प्रशासन निर्धारणात्मक भूमिका निभाता है तो वहीं प्रबंध क्रियात्मक भूमिका का निर्वहन करता है।

3. प्रशासन नीति निर्धारण, विन उत्पादन तथा वितरण में समन्वय, संगठन के क्षेत्र का निर्धारण एवं अधिकृतियों के अंतिम निर्णय से सम्बंमा रखता है, वहीं प्रबंध के अंतर्गत नीतियों को कार्य रूप देना, उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए संगठन का नियोजन करना सम्मिलित है।

4. प्रशासन वह अभिकरण है जो संगठन के लक्ष्यों, उद्देश्यों के निर्धारण की क्रिया को निश्चित करता है और प्रबंध वह अभिकरण है जो नीतियों के क्रियान्वयन का नियोजक एवं पर्यवेक्षण करती है।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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