Vitamins का आविष्कार C. Funk ने 1911 में किया था। यह एक ऐसा कार्बनिक यौगिक है जिससे शरीर को ऊर्जा प्राप्त नहीं होती है। (वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट शरीर को ऊर्जा देते है।)। शरीर का पदार्थों से ऊर्जा प्राप्त करने का क्रम-1. कार्बोहाइड्रेट 2.वसा 3.प्रोटीन
‘‘विटामिन एक
प्रकार के कार्बनिक यौगिक है जिसकी भोजन में उपस्थिति बहुत कम मात्रा में
होती है तथा जो जीवन में वृद्धि के बहुत आवश्यक होते हैं।’’
वर्गीकरण के आधार पर विटामिन के प्रकार
विटामिन कितने प्रकार के होते हैं और उनके नाम वसा में घुलनशील तथा 11 पानी में
घुलनशील विटामिन्स के समूह में वर्गीकृत किए गए। पानी में घुलनशील विटामिन
बी कॉम्पलेक्स विटामिन तथा विटामिन सी समूहों में बाँटे गए हैं। वर्गीकरण के आधार पर विटामिन के प्रकार को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है -
- जल में घुलनशील विटामिन (Water soluble vitamins)
- वसा में घुलनशील विटामिन (Fat soluble vitamins)
1. विटामिन ए (Vitamin A)
यह कैरोटीन से आंतों में बनाया जाता है यह वसा में घुलनशील है। ताप सहिष्णु है। प्रतिदिन इसमें 5000 यूनिट व्यक्ति को आहार से मिलना चाहिए। श्वसन अंगो, पांचन अंगो तथा मूत्र नली को स्वस्थ्य एवं शक्ति सम्पन्न बनाए रखने के लिए यह अतिआवश्यक है। यह नाक की श्लेष्मा सिल्ली गले तथा श्वसन नली को स्वस्थ्य बनाए रखता है तथा सर्दी जुकाम व अन्य संक्रमण नहीं होने देता यह त्वचा को कोमल बनाता है एवं स्वच्छ रखता है तथा आंखो की रोशनी को तीव्र बनाए रखने का कार्य करता है। इसकी कमी से रतोंधी नामक रोग होता है।सभी
उत्तकों में विकार हो जाने से त्वचा मोटी एवं खुरदरी हो जाती है तथा सारे शरीर में संक्रमण की
सम्भावना बढ जाती है। प्रमुख रूप से मछली का तेल, घी, अण्डे, गाजर, मलाई, मक्खन व दूध में
विटामिन-ए पाए जाते हैं।
2. विटामिन बी (Vitamin B)
यह पानी में घुलनशील है तथा ताप सहिष्णु होता हैं। छोटी आतो मे इसका निर्माण होता है भोज्य पदार्थों से शक्ति प्राप्त करने की क्रिया में इसका प्रमुख कार्य है। यह विटामिन बी कॉम्पलेक्स 1 दर्जन से भी अधिक भिन्न भिन्न प्रकार के विटामिनों का एक समूह है। इसमें बी.1 थायमीन (Thymiene) सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। इसका सम्बन्ध स्नायु और पेशियों से हैं ऐसा कहा जाता है कि इसकी कमी से शराबियों के यकृत एवं स्नायुतंत्र विकृत हो जाते है।थायमीन का अभाव हो तो शरीर में लगातार पीढा व सूजन बनी रहेगी तथा हृदय और यकृत कार्य
करना बंद कर देंगे। यह विटामिन अधिक मात्रा में मूंगफली अनाज मांस तथा अण्डों में पाया जाता
है। बी.1 की प्रतिदिन आवश्यकता 10 ग्राम है।
3. विटामिन बी2 (Vitamin B2)
रिबोफलाविन इसकी कमी से जीभ एवं अन्त: त्वचा पर फोडे आ जाते है इसकी दैनिक आवश्यकता 2 मिलिग्राम है यह त्वचा नेत्र और पाचन क्रिया के लिए आवयक है। इस विटामिन के आवश्यक तत्व अनाज, दूध, पनीर, छेने तथा अण्डों में पाए जाते हैं।4. विटामिन सी (Vitamin C)
यह पानी में घुलनशील है पर ताप से नष्ट हो जाता है यह एक स्वास्थ्यवर्धक बिटामिन है जो संयोजक उत्तकों, हड्डियों छोटी रक्त नलिकाओं दांतो व मसूडो के लिए आवश्यक है। इसकी कमी से स्कर्बी नामक रोग हो जाता है। व शरीर का विकास रूक जाता है। छाले होना, सूजन, जोडों का दर्द तथा रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति में कमी इसका परिणाम है। इसकी दैनिक आवश्यकता 10 मिलिग्राम है। ताजे फलों विशेषकर अमरूद, नीबू, ताजी सब्जियों, आवला संतरा, मोसंबी, टमाटर एवं आलू में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।यह विटामिन भोजन पकाने पर नष्ट हो
जाता है। अत: पके हुए भोजन में संभवत: विटामिन सी की कमी पायी जाती है।
5. विटामिन डी (Vitamin D)
यह वसा में घुलनशील है तथा ताप सहिष्णु होता है प्राण्ीाज वसा में यह पाया जाता है। अशक्त हड्डियों के विकास हेतु विटामिन डी की आवश्यकता पडती है इसका प्रमुख कार्य है शरीर में केल्शियम तथा फॉसफोरस के मध्य संतुलन बनाए रखना। शरीर में इसकी कमी से रिकेटस (सूखा रोग) हो जाता है। व्यस्क लोगों में विटामिक डी की दैनिक आवश्यकता 200 यूनिट तथा बच्चों में व गर्भवती स्त्रियों में इसकी आवश्यकता 800 यूनिट होती है। यह एक महत्व की बात है कि सूर्य की किरणों और त्वचा से प्राप्त प्राकृतिक तेल की अन्त: प्रक्रिया द्वारा शरीर स्वयं इस विटामिन के निर्माण में सक्षम है यही कारण है कि विटामिन डी सम्बन्धी अपनी आवश्यकता का अधिकांश भाग शरीर स्वयं उत्पादित कर लेता है तथा इसके लिए वह आहार पर निर्भर नहीं रहता। दूध, वनस्पति तेल व अण्डे इसके स्त्रोत है।6. विटामिन ई (Vitamin E)
इसकी कमी से बन्ध्या रोग होता है। पुन: उत्पादन की शक्ति विटामिन ई पर निर्भर करती है। कोशिकाओं के केन्द्रकों के लिए उपयोग तथा प्रजनन क्रियाओं में सहायक होता है। हृदय तथा धमनी संबंघी रोगों के उपचार में बहुत उपयोग है क्योंकि यह उत्तकों के लिए ओ2 की आवश्यकता को कम करता है। इस प्रकार यह विटामिन रक्त का थक्का जमने से जिसकों थ्रोमोसिस करते है से बचाता है तथा संकीर्ण रक्त वाहिकाओं को फैलाता है।अल्सर तथा
जलने से हुए घाव के उपचार में औषधियों के साथ विटामिन ई लेने पर यह घाव को शीघ्र भरने में
मदद करता है यही विटामिन घावों के भर जाने के पश्चात् त्वचा पर नये निशान बनने से रोकता है
तथा पुराने निशानों को हल्का करता है यह हृदय की सभी मांसपेशियों को शक्तिशाली बनाता है।
रक्त परिसंचरण को सुचारू बनाता है। अनाज, हरी सब्जियों, टमाटर, सोयाबीन व अण्डों में पाया
जाता है।
7. विटामिन के (Vitamin K) -
यह हरी पत्ते वाली सब्जियों से यह प्राप्त होता है रक्त का थक्का बनाने हेतु यह बहुत ही आवश्यक है प्राय: इस विटामिन की कमी शरीर में नहीं होती। वैसे तो विभिन्न प्रकार के 20 विटामिन्स का ज्ञान वैज्ञानिकों ने अब तक खोजा है परन्तु उनमें से जो प्रमुख है उनका वर्णन हमने ऊपर किया है। सभी विटामिन्स विभिन्न प्रकार के खादय पदार्थो में पाए जाते हैं। अत: आहार में इनकी उपस्थिति की चिंता करने की जरूरत नहीं है। यदि व्यक्ति नियमित रूप से संतुलित आहार ग्रहण करता है तो उसे विटामिन्स का अभाव कभी नहीं होगा शरीर अपनी आवश्यकतानुसार एक प्रकार के भोज्य पदार्थ को दूसरे प्रकार में रूपान्तरित कर लेती है योग की अनेक क्रियायें रूपान्तरण की इस प्रक्रिया में वृद्धि कर लेती है ऐसी यौगिक क्रियाओं में सूर्य नमस्कार तथा प्राणायाम उल्लेखनीय है।तात्पर्य यह है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी प्रणालियों की क्षमता को
वश में कर ले तो वह साधारण भोजन पर भी निर्वाह कर सकता है। ध्यान रहे वसा व शर्करा शक्ति
प्रदान करते हैं। प्रोटीन प्रमुख रूप से शारीरिक वृद्धि व रखरखाव का कार्य करते हैं खनिज व
विटामिन सुरक्षा नियंत्रण तथा जैविक क्रियाओं के नियमों हेतु जरूरी है।
अब आप विटामिन कितने प्रकार के होते हैं? विटामिन के प्रकार को समझ गए होंगे
विटामिन | रासायनिक नाम | अल्पता बीमारियां | स्रोत |
---|---|---|---|
विटामिन A | रेटिनॉल (Retinol ) | रतौंधी, संक्रमण का खतरा, जीरोप्येलेमिया | दूध, अण्डा, पनीर, हरी सब्जी, मछली यकृत तेल, मूंगफली, गाजर। |
B-complex विटामिन b1 | थायमिन (Thiamine) | बेरी-बेरी | तिली, सूखा मिर्च, दाल, यकृत, यकृत तेल, अण्डा एवं सब्जियां |
B2 | राइबोफ्लेविन (Riboflavin) | त्वचा का फटना, जीभ का फटना | हरी सब्जियां, दूध, मांस |
B3 | नायसिन (Niacin) | 4D syndrome , pellagra | मूंगफली, हरी सब्जियां, टमाटर |
B5 | Pantothenic acid | बाल सफेद होना, मन्द बुद्धि होना | मांस, दूध, मूंगफली, टमाटर |
B6 | पायरीडॉक्सिन ( Pyridoxine ) | एनीमिया | यकृत, यकृत तेल, मांस, अनाज |
B7 (Vit-H) | बायोटिन (Biotin) | लकवा,बालों का गिरना | दूध, यकृत, यकृत तेल, मांस, अनाज |
B12 | सयनोकोबैल्मिन ( Cyanocobalamin ) | एनीमिया | दाल, सब्जियां, दूध, मांस |
Vitamin-M(VitB9) | Folic acid | एनीमिया | दाल, सब्जियां और अण्डा |
Vitamin-C | Ascorbic acid | स्कर्वी, मसूढ़ो का फूलना | नींबू, संतरा, टमाटर, सभी खट्टे पदार्थ |
Vitamin-D | Calciferol | रिकेट्स, आॅस्टियों मलेशिया (वयस्क में) | मछली यकृत तेल, दूध, अण्डे |
Vitamin-E | Tocoferol / Ergocalciferol | जनन शक्ति का कम होना | हरी पत्तियां वाली सब्जियां, दूध अनाज |
Vitamin-K | Phylloquinone | रक्त का थक्का न बनना | टमाटर, हरी सब्जियां |
विटामिन के रासायनिक नाम
- विटामिन ए - रेटिनॉल ( Retinol )
- विटामिन बी1 - थायमिन ( Thiamine )
- विटामिन बी2 - राइबोफ्लेविन ( Riboflavin )
- विटामिन बी3 - नायसिन ( Niacin )
- विटामिन बी5 - पेंटोथेनिक अम्ल ( Pentothenic Acid )
- विटामिन बी6 - पायरीडॉक्सिन ( Pyridoxine )
- विटामिन बी7 - बायोटिन ( Biotin )
- विटामिन बी9 - फ्लोएट ( Floate )
- विटामिन बी12 - सयनोकोबैल्मिन ( Cyanocobalamin )
- विटामिन डी - कैल्सिफेरॉल ( Calciferol )
- विटामिन ई - टोकोफेरॉल ( Tocoferol )
- विटामिन के - नैप्थोक्विनोन / फिलोक्विनोन ( Napthoquinone / Filoquinone )
All vitamins ka chemical name kya hoga
ReplyDelete#विटामिन के रासायनिक नाम -
Deleteविटामिन A - रेटिनॉल ( Retinol )
विटामिन B1 - थायमिन ( Thiamine )
विटामिन B2 - राइबोफ्लेविन ( Riboflavin )
विटामिन B3 - नायसिन ( Niacin )
विटामिन B5 - पेंटोथेनिक अम्ल ( Pentothenic Acid )
विटामिन B6 - पायरीडॉक्सिन ( Pyridoxine )
विटामिन B7 - बायोटिन ( Biotin )
विटामिन B9 - फ्लोएट ( Floate )
विटामिन B12 - सयनोकोबैल्मिन ( Cyanocobalamin )
विटामिन D - कैल्सिफेरॉल ( Calciferol )
विटामिन E - टोकोफेरॉल ( Tocoferol )
विटामिन K - नैप्थोक्विनोन / फिलोक्विनोन ( Napthoquinone / Filoquinone )
Good information
ReplyDeletepv15072007@gmail.com
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