घरेलू हिंसा का अर्थ, परिभाषा, प्रकार

घरेलू हिंसा का अर्थ

शारीरिक दुर्व्यवहार अर्थात शारीरिक पीड़ा, अपहानि या जीवन या अंग या स्वास्थ्य को खतरा या लैगिंग दुर्व्यवहार अर्थात महिला की गरिमा का उल्लंघन, अपमान या तिरस्कार करना या अतिक्रमण करना या मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार अर्थात अपमान, उपहास, गाली देना या आर्थिक दुर्व्यवहार अर्थात आर्थिक या वित्तीय संसाधनों, जिसकी वह हकदार है, से वंचित करना, ये सभी घरेलू हिंसा कहलाते हैं । 

घरेलू हिंसा की परिभाषा 

पुलिस विभाग के अनुसार -’’महिला, वृद्ध अथवा बच्चों के साथ होने वाली किसी भी तरह की हिंसा अपराध की श्रेणी में आती है महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा के अधिकांश मामलों में दहेज प्रताड़ता तथा अकारण मारपीट प्रमुख हैं’’। 

राज्य महिला आयोग के अनुसार -’’कोई भी महिला यदि परिवार के पुरुष द्वारा की गयी मारपीट अथवा अन्य प्रताडना से तृष्ट है तो वह घरेलू हिंसा कहलायगी। घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 उसमें घरेलू हिंसा के विरुद्ध संरक्षण और सहायता के अधिकार प्रदान करता है’’। 

आधारशिला एन0 जी0 ओ0 के अनुसार -’’परिवार में महिला तथा उसके अलावा किसी भी व्यक्ति के साथ मारपीट, धमकी देना तथा उत्पीड़न घरेलू हिंसा की श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा लैंगिक हिंसा, मौखिक और भावनात्मक हिंसा तथा आर्थिक हिंसा भी घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत अपराध की श्रेणी में आते हैं’’।

घरेलू हिंसा के कारण

महिला उत्पीड़न का एक प्रमुख कारण महिलाओं की पुरुषों पर आर्थिक निर्भरता है। घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण समतावादी शिक्षा व्यवस्था का अभाव, महिला के चरित्र पर संदेह करना, शराब का लती होना , महिला को स्वाबलम्बी बनने से रोकना आदि माने जाते हैं। 

घरेलू हिंसा का दुष्परिणाम

महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा का महिलाओं पर अत्यधिक दुश्प्रभाव पड़ता है। महिलाओं के साथ-साथ उनके परिवार पर, सामाजिक व्यवस्था पर, महिला-हिंसा का गहरा कुप्रभाव पड़ता है जो समय बीतने के साथ ही वैयक्तिक विघटन, जहाँ पारिवारिक विघटन एवं सामाजिक विघटन को जन्म देता है। महिला हिंसा से समाज की एकता और अखण्डता कुप्रभावित होती है वहीं यह हिंसा समाज के विकास पर भी दुश्प्रभाव डालती है।

महिलाओं तथा बच्चों पर घरेलू हिंसा के शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक दुष्प्रभाव पड़ते हैं। इसके कारण महिलाओं के काम तथा निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। परिवार में आपसी रिश्तों और आस-पड़ोस के साथ रिश्तों व बच्चों पर भी इस हिंसा का दुष्प्रभाव देखा जा सकता है।
  1. घरेलू हिंसा के कारण दहेज मृत्यु हत्या और आत्महत्या बढ़ी हैं। वेश्यावृत्ति की प्रवृत्ति भी इसी कारण बढ़ी है।
  2. महिला की सार्वजनिक भागीदारी में बाधा होती है। महिलाओं का कार्य क्षमता घटती है, साथ ही वह डरी-डरी भी रहती है। परिणामस्वरूप प्रताड़िता महिला रोगी बन जाती है जो कभी-कभी पागलपन की हद तक पहुँच जाती है।
  3. पीड़ित महिला की घर में द्वितीय श्रेणी की स्थिति स्थापित की जाती है।

घरेलू हिंसा रोकने के उपाय

घरेलू हिंसा को रोकने के लिये घरेलू हिंसा महिला संरक्षण अधिनियम 2006, पुलिस न्यायालय, एन0 जी0 ओ0, पारिवारिक अदालतें, महिला आयोग आदि संगठन सक्रिय रूप से कार्यरत हैं इसके अतिरिक्त शिक्षा संस्थाओं में छात्राओं को घरेलू हिंसा की खुलकर शिक्षा देना, प्रत्येक थाने पर प्रतिमाह समस्या समाधान शिविर आयोजित किया जाना आदि कदम सरकार के द्वारा उठाये गये हैं जिससे घरेलू हिंसा को रोका जा सकता है।

घरेलू हिंसा के प्रकार

1. शारीरिक हिंसा -

शारीरिक हिंसा से तात्पर्य मारपीट करना, थप्पड़ मारना, ठोकर मारना, दांत से काटना, लात मारना, मुक्का मारना, ढकेलना तथा किसी अन्य रीति से शारीरिक पीड़ा या छति पहुँचाना आदि हैं। 

2. भावनात्मक हिंसा -

भावनात्मक हिंसा से तात्पर्य मौखिक रूप से किसी का अपमान करना, गालियाँ देना, चरित्र और आचरण पर दोषारोपण लगाना, पुत्र न होने पर अपमानित करना, नौकरी करने से निवारित करना, नौकरी छोड़ने के लिये दबाव डालना, घटनाओं के समय क्रम में किसी व्यक्ति से मिलने से रोकना, आत्म हत्या करने की धमकी देना तथा कोई अन्य मौखिक या भावनात्मक दुर्व्यवहार करना आदि हैं।

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