![]() |
कृष्णा सोबती |
कृष्णा सोबती का जीवन परिचय
कृष्णा सोबती का जन्म 18 फ़रवरी 1925 में एक सांस्कृतिक, धार्मिक और सम्पन्न पंजाबी परिवार में हुआ। कृष्णा सोबती की माँ का नाम दुर्गा देवी और पिता का नाम दीवान पृथ्वी राज सोबती है। माँ ज्यादा पढ़ी-लिखी नही थी और पिता ने अंग्रेजी सभ्यता से तालीम हासिल की थी। कथाकार कृष्णा सोबती की दो बहनें पहली बहन राज चोपड़ा दूसरी सुषमा अब्बी तथा एक भाई जगदीश सोबती है। सभी भाई-बहनों पर पारिवारिक संस्कृति और संस्कारों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। सभी भाई-बहनों को किताबों से विशेष लगाव था।
सोबती जी कहती हैं- ‘‘जेसे-जेसे हम भाई-बहन बड़े होते गए, रूचि के मुताबिक अपनी-अपनी पसंद की किताबों के नजदीक पहुंचते गए।”
पिता की तालीम अंग्रेजी सभ्यता में होने के कारण परिवार में न विशेष अनुशासन था और न ही
ज्यादा खुलापन। कृष्णा सोबती जी को सीधा-सादा लिबास ही भाता है। उनके सिर से पल्लू कभी
नीचे खिसकता नही है। सोबती जी स्वयं कहती हैं- ‘‘एक मगरूर घमंडी औरत और चमकदमक
वाला लिबास और अपने को दूसरों से अलग समझने वाले लोगों से मुझे नफरत है।”
नारी स्वतंत्रता की प्रबल समर्थक कथाकार कृष्णा सोबती जी ने 1948-50 के दौरान तेजसिंह जोकि माऊंट आबू के सिरोही के महाराजा के दत्तक पुत्र राजकुमार थे की सांक्षिका के रूप में काम किया सन् 1950-51 में आर्मी ऑफिसर्स चिल्ड्रैंस स्कूल, दिल्ली में प्राचार्या के रूप में कार्य किया। सन् 1952-80 के दौरान में ‘प्रौढ़ साहित्य’ नामक एक पत्रिका के संपादक के रूप में दिल्ली प्रशासन का कार्यभार बड़ी ही निपुणता, निष्ठा और ईमानदारी से कृष्ण सोबती का व्यवसाय अध्यापन और सरकारी सेवा है।
नारी स्वतंत्रता की प्रबल समर्थक कथाकार कृष्णा सोबती जी ने 1948-50 के दौरान तेजसिंह जोकि माऊंट आबू के सिरोही के महाराजा के दत्तक पुत्र राजकुमार थे की सांक्षिका के रूप में काम किया सन् 1950-51 में आर्मी ऑफिसर्स चिल्ड्रैंस स्कूल, दिल्ली में प्राचार्या के रूप में कार्य किया। सन् 1952-80 के दौरान में ‘प्रौढ़ साहित्य’ नामक एक पत्रिका के संपादक के रूप में दिल्ली प्रशासन का कार्यभार बड़ी ही निपुणता, निष्ठा और ईमानदारी से कृष्ण सोबती का व्यवसाय अध्यापन और सरकारी सेवा है।
सोबती जी सन् 1980 से अब तक स्वतंत्र लेखिका के रूप में
लेखन कर रही है और अपने लेखन के द्वारा साहित्य बहुमूल्य कृतियाँ अर्पित की है।
कृष्णा सोबती की प्रमुख रचनाएँ
कृष्णा सोबती की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
- डार से बिछुड़ी
- मित्रों मरजानी
- सूरजमुखी अंधेरे के
- जिन्दगीनामा - जिन्दी रूख
- दिलो दानिश
- समय सरगम
- ऐ लड़की
कहानियाँ
- यारों के यार
- तिन पहाड़
- बादलों के घेरे
- भोले बादशाह
- दादी अम्मा
- बहनें
- बदली बरस गई
- गुलाजल गंडेरिया
- कुछ नही कोई टीला
- टीलों ही टीलो
- अभी उसी दिन ही तो
- दोहरी साँस
- जिगरा की बात
- खम्माघणी अन्नदाता
- डरो मत मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा
- सिôा बदल गया
- आजादी शम्मोजन की
- कामदार भीख मलाल
- नगंलयान चमन था
- पहाड़ों के साये तले
- एक दिन
- कलगी
- मेरी माँ कहा है
- दो राहे दो बाहें
- लामा
- नफीसा
कविताएँ
- प्यारे खास
- गलबंहियों-सी उमड़ती
संस्मरण
- हम हशमत - भाग-1
- हम हशमत - भाग-2
विविध
- सोबती एक सोहबत
- शब्दों के आलोक में सोबती वैद्य संवाद
कृष्णा सोबती की उपलब्धियाँ
- सन् 1980-82 में पंजाब विश्वविद्यालय द्वाराुेलोशिप का सम्मान दिया गया।
- कृष्णा सोबती जी को 1996-97 में मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ।
- सन् 1999 में कल्पनाशील रचना धार्मिकता के लिए ‘रामकृष्ण जायदवाल हारमानी अवार्ड’ का सम्मान दिया गया।
- सन् 2000 में कृष्णा सोबती जी को ‘आचार्य शिवपूजन सहाय शिखर सम्मान’ बिहार में दिया गया।
- हिन्दी, उर्दू कुम्भ 20, मार्च 2006 में भारतीय भाषा परिषद के मंत्री डॉ. कुसुम खोमनी द्वारा कृष्णा सोबती जी का साहित्य में समकालीन लेखिका के रूप में सम्भाषण किया गया।
- कृष्णा सोबती कृत ‘समय सरगम’ उपन्यास के लिए के. के. बिडलाफउण्डेशन द्वारा 17वाँ ‘व्यास सम्मान’ से 2007 में लखनऊ विश्वविद्यालय में विभूषित किया।
- दिल्ली हिन्दी अकादमी का ‘श्लाका’ सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
- कृष्णा सोबती जी को सन् 1980 में ‘साहित्य शिरोमणि’ पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।
- सन् 1980 में ‘जिन्दगीनामा’ उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला।
- वर्ष 1982 में हिन्दी अकादमी दिल्ली के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1999 में जीवन पूर्ण साहित्य उपलब्धि के लिए पहला ‘‘कथा चूड़ामणि” पुरस्कार मिला।
- वर्ष 2017 में देष के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
Tags:
कृष्णा सोबती