जनसंचार के प्रमुख माध्यम (परम्परागत, मुद्रित माध्यम, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम)

जनसंचार के प्रमुख माध्यम

शब्दार्थ की दृष्टि स इस शब्द का अर्थ है, ‘‘बड़ी संख्या में लोगों के साथ संप्रेषण का मुख्य साधन या माध्यम, विशेष रूप से टेलीविजन, रेडियो और समाचार-पत्र।’’ ‘माध्यम’ का सामान्य अर्थ हे-’’वह साधन जिससे कुछ अभिव्यक्त अथवा सम्प्रेषित किया जाए।’’

जनसंचार के प्रमुख माध्यम 

जनसंचार माध्यमों को हम तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं:-
  1. शब्द संचार माध्यम जैसे समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ एवं पुस्तकें
  2. श्रव्य संचार माध्यम - रेडियो, कैसेट, टेपरिकार्डर
  3. दृश्यसंचार माध्यम - दूरदर्शन, वीडियो, फिल्म
उपर्युक्त के अतिरिक्त अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से जनसंचार माध्यमों के इन  प्रकार होते हैं:-
  1. जनसंचार के परम्परागत जनसंचार माध्यम
  2. जनसंचार के मुद्रित माध्यम
  3. जनसंचार के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (दृश्य-श्रव्य माध्यम)

1. जनसंचार के परम्परागत जनसंचार माध्यम

प्राचीन काल में जनसंचार का माध्यम संगीत और नृत्य हुआ करते थे। संगीत परम्परा वैदिक काल से ही चली आ रही है। सामवेद संगीत का आदि स्रोत माना जाता है। धार्मिक तथा सामाजिक अवसरों पर जनता में नृत्य की प्रथा प्रचलित थी। 

यूरोप में आज से पच्चीस सौ वर्ष पूर्व यूनानी रंगमंच की शुरुआत हुई और जनसंचार का प्रथम माध्यम रंगमंच बना। स्वांग, नकल, लोकनृत्य, लोककथाएँ, लोकनाट्य, लोकगीत, कठपुतली, नौटंकी, भरत, रामलीला, रासलीला, तमाशा आदि परम्परागत जनसंचार माध्यम है।

2. जनसंचार के मुद्रित माध्यम

मुद्रण माध्यम अन्य आधुनिक माध्यमों की अपेक्षा सबसे प्राचीन है। मुद्रण के अन्तर्गत समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, जर्नल, पुस्तकें इत्यादि शब्द माध्यम आते है। ये लिखित माध्यम आज भी अन्य आधुनिक जनसंचार माध्यमों की अपेक्षा अत्यधिक विश्वसनीय है क्योंकि मुद्रण माध्यम अन्य माध्यमों की अपेक्षा अधिक स्वतंत्र हैं। और स्वषासित है। 

1. पुस्तक: किसी भी लिखित अथवा मुद्रित संयोजन को पुस्तक कहते हैं। पुस्तक शब्द का अत्यन्त व्यापक अर्थ है। इसके अन्तर्गत विभिन्न स्वरुपों में और सभी प्रकार की पाठ्य-सामग्री, जिसके द्वारा पाठकों की सामान्य, विशिष्ट, शोध सम्बन्धी मनोरंजनात्मक अथवा सूचना स्रोत के रूप में परामर्श सम्बन्धी आवश्यकताएँ पूर्ण होती हों आदि को सम्मिलित स्वरुप में पुस्तक कहा जाता है। 

पुस्तकें भी अनेक प्रकार की हो सकती हैं जैसे पाठ्य-पुस्तकें, निबन्धात्मक, मोनोग्राफ, गौरवग्रन्थ, सन्दर्भ-पुस्तकें आदि। इन सभी पुस्तकों की प्रकृति और उपयोग भिन्न-भिन्न हैं।

 साधारण पुस्तक जहाँ निरन्तर अध्ययन के लिए होती है, वहीं सन्दर्भ पुस्तक समय-समय पर किसी विशिष्ट सूचना को प्राप्त करने हेतु उपयोग में लायी जाती है। संचार करने का एक सशक्त माध्यम है। 

2. समाचार पत्र: प्रजातांत्रिक युग में जन-जन तक सूचनाओं का संचार करने का एक सशक्त, सरल और सस्ता माध्यम है। दैनिक गतिविधियों की विस्तृत सूचनाएँ समाचार-पत्र में मिल जाती हैं। विश्व की लगभग हर भाषा में समाचार-पत्र प्रकाशित हो रहे हैं। सर्वाधिक समाचार-पत्र अंग्रेजी और हिन्दी भाषा में प्रकाशित होते हैं। सामान्यतः समाचार-पत्रों से अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, स्थानीय, व्यापारिक, खेल सम्बन्धी, मनोरंजनात्मक तथा दैनिक जीवन में आवश्यक अन्य प्रकार की जानकारियाँ उपलब्ध होती हैं। 

समाचार-पत्र दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक अथवा मासिक भी होते हैं। आवश्यकतानुसार सुबह के संस्करण के साथ-साथ सॅाध्य संस्करण भी निकाले जाते हैं। सम-सामयिक घटनाओं, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की जानकारी, समीक्षात्मक लेख और विज्ञापनों के लिए समाचार-पत्रों का उपयोग बहुलता में किया जाता है। 

3. पत्रिकाएँ: पत्रिकाएँ एक निश्चित समय अन्तराल पर प्रकाशित होती हैं जैसे मासिक, पाक्षिक, त्रैमासिक, साप्ताहिक आदि। इनमें लेखों का संकलन होता है। पुस्तकों की भाँति इनमें विचारों की निरन्तरता नहीं होती। पुस्तक जहाँ ज्ञान से सम्बन्धित होती है वहीं पत्रिकाएँ नवोदित विचारों, घटनाओं और गतिविधियों पर लेख प्रदान करती हैं। 

3. जनसंचार के इलेक्टॉनिक माध्यम (दृश्य-श्रव्य माध्यम)

रेडियो, टेलीविजन और फिल्मों के माध्यम ने समाज की तस्वीर बदल दी है। इन तीन माध्यमों के द्वारा जन-जन तक उनकी रुचि, और आवश्यकता की पूर्ति हेतु, उनके सर्वांगीण विकास हेतु तथा मनोरंजन हेतु अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। सामाजिक कुरीतियों और समस्याओं पर फिल्में बनाकर जन-जागृति लाने के प्रयास किये जाते हैं। ये माध्यम साक्षर एवं निरक्षर दोनों के लिए उपयोगी हैं। 

इलेक्ट्राॅनिक माध्यम के द्वारा संचार इतना प्रभावी होता है कि जन साधारण इसमें पूरी तरह रम जाते हैं और इसे अपने दैनिक जीवन का ही एक हिस्सा मानने लगते हैं। आधुनिक युग में मोबाइल भी एक सशक्त संचार माध्यम है।

अ. रेडियो: यह जनसंचार का एक प्रमुख माध्यम है। 

ब. टेलीविजन: टेलीविजन अद्भुत संचार माध्यम है। प्रकृति के अनेक रहस्यों और सुन्दर दृश्य चित्रों का परिचय प्राप्त होता है। पृथ्वी, समुद्र, आकाश, वन्य जीवन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्यों की दृश्यात्मक जानकारी रोचक ढंग से प्राप्त होती है।

स. सिनेमा: व्यक्तिगत भावनाओं, इच्छाओं, विशेषताओं, प्रेरणाओं, मूल्यों, आवश्यकताओं, आदतों को
प्रभावित करने के लिए सिनेमा एक सशक्त माध्यम है। सिनेमा के माध्यम से विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक, नैतिक और राजनैतिक क्षेत्रों पर संदेशात्मक फिल्में बनायी जाती हैं जो जन साधारण के मन मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ती हैं तथा मानव मूल्यों, कर्तव्यों, अधिकारों और दायित्वों का बोध करवाती हैं। 

द. मोबाइल: आज मोबाइल फोन भी जनसंचार का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। शिक्षा, बैंक, व्यापार, सामाजिक गतिविधियों, शोध और विकासात्मक कार्यों के लिखित और ध्वनि संदेशों के संचार हेतु मोबाइल एक सशक्त माध्यम है। यह साक्षर और निरक्षर दोनों के लिए उपयोगी है। ध्वनि संचार के उपयोग से उपयोगी सूचनाएँ जन-जन तक पहुँच जाती हैं। इस चल तकनीक के माध्यम से उपयोगी सन्देशों का संचार सीधे श्रोता तक किसी भी क्षण किया जा सकता है। मोबाइल पर एक ही अभिरुचि के लोग ग्रुप बनाकर वाट्सअप के माध्यम से परस्पर उपयोगी सूचनाओं का आदान-प्रदान धड़ल्ले से कर रहे हैं।

4. नव इलेक्ट्रॉनिक जनसंचार माध्यम

1. उपग्रह :- एक नवीनतम सुविकसित इलेक्ट्रॉनिक माध्यम उपग्रह (सैटेलाइट) भी है। उपग्रहों के कारण आजकल संचार की दुनिया में पर्याप्त विकास हुआ हे। इसके लिए विशवत् रेखा के ऊपर एक निश्चित ऊँचाइ्र पर उपग्रह स्थापित किया गया है। इन उपग्रहों को भूस्थिर उपग्रह की संज्ञा दी जाती है। ये उपग्रह अर्थात भूस्थिर उपग्रह प्रसारण की सुविधा प्रदान करते है, जिससे अन्तर्राश्ट्रीय संचार प्रणाली विकसित होती है। कई उपग्रह जब पृथ्वी की कक्षा में एक स्थान पर स्थिर हो जाता है तो वह पृथ्वी के साथ-साथ घूमने लगता हे इस प्रकार उपग्रह का परिक्रमा करने का समय एवं पृथ्वी के स्वयं अपनी कक्षा में घूर्णन का समय समान होता है। अत: इनको सुविधापूर्वक संचार उपग्रहों की तरह इस्तेमाल किया जाता है।

पृथ्वी की विभिन्न कक्षाओं में सन् 1956 के बाद कई कृत्रिम उपग्रह स्थापित किये गये है। इन उपग्रहों को राकेट की सहायता से स्थापित किया जाता है, जिसे राकेट लांचर कहा गया है। इन उपग्रहों द्वारा भेजे गये समाचार एवं सुचनाएँ दिन-रात पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे है, जिनको दुनिया भर के देष रेडियो, टेलीविजन केन्द्रों द्वारा प्राप्त कर सकते है। यह उपग्रह का ही चमत्कार है कि एक समाचार-पत्र के कई-कई संस्करण एक साथ अलग-अलग स्थानों से प्रकाशित हो रहे है। चेन्नई से प्रकाशित ‘‘दि हिन्दू’’ समाचार पत्र, हरियाणा के गुडगाँव से उसी समय प्रकाशित हो जाता है।

आज समाचार, लम्बे लेख, चित्र आदि पलक झपकते हीुैक्स द्वारा सात समुंदर पर भी ज्यों का त्यों पहुँच जाता है। तात्पर्य यह है कि इस नव इलेक्ट्रॉनिक जनसंचार माध्यम उपग्रह ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अनूठी क्रांति घटित कर दी है। इस काम में उत्कृष्ट रूप से विकसित कम्प्यूटर भी हमारी बहुत सहायता कर रहा हे।

2. इंटरनेट :- उपग्रह ने सूचना क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है। आज हमारे सभी जनसंचार माध्यम टेलीफोन, माध्यम मोबाइल, टी.वी कम्प्यूटर आदि उपग्रह से जुडे है और प्रभावशाली ढंग से संचार प्रक्रिया में लगे है। धीरे-धीरे हम इंटरनेट के माध्यम से नव इलेक्ट्रॉनिक समाचार पत्र की ओर बढ़ रहे है। उपग्रहों ओर कम्प्यूटरों की संचार क्रांति ने साधारण अखबारों .के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। मीडिया विशेषज्ञ अब यह कहने लगे है कि भविष्य में समाचार पत्र छपेंगे नहीं, कम्प्यूटर के परदे पर पढ़े जायेंगे और अब यह धारणा साकार होने लगी हे।

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