कुछ लोगों ने इसका नाम ‘अरण्याचल’ और कुछ ने ‘उदयाचल’ भी रखने का प्रयास किया। वास्तव में अरुणाचल का लिखित इतिहास केवल सोलहवीं सदी से उपलब्ध है, जब ‘असम’ पर ‘अहोम’ राजाओं का शासन आरम्भ हुआ।
अरुणाचल प्रदेश का इतिहास
अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास 24 फरवरी, 1826 को सम्पन्न
यांदबू संधि के बाद असम में ब्रिटिश शासन लागू होने से शुरू होता है। ब्रिटिश
शासकों ने 1838 में असम (उस समय अरुणाचल प्रदेश असम का भाग था) को
अपने राज्य में मिला लिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह (1962 से पहले) ‘नार्थ
ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी’ (नेफा) के नाम से जाना जाता था। 1972 में इसे
केन्द्रशासित क्षेत्र बनाया गया और इसका नाम अरुणाचल प्रदेश रखा गया।
अन्तत: 20 फरवरी, 1987 को अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया।
अन्तत: 20 फरवरी, 1987 को अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया।
अरुणाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति
अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर में 260
28’ से 280
30’ उत्तरी अक्षांश और 910
30’
तथा 970
30’ पूर्वी देशान्तरों के बीच स्थित है। पश्चिम में भूटान, उत्तर-पूर्व में
चीन तथा पूर्व में म्यांमार से घिरा है। दक्षिणी भाग असम राज्य से मिलता है एवं
दक्षिणी - पूर्वी भाग नगालैण्ड से मिलता है। इसका क्षेत्रफल 83,743 वर्ग
किलोमीटर है। प्रदेश की राजधानी ‘ईटानगर’ है। अरुणाचल प्रदेश वनस्पतियों
एवं वनों की दृष्टि से काफी धनी है। 51,540 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर वन पाये
जाते हैं जो पूरे प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 62 प्रतिशत है।
भौगोलिक दृष्टि से अत्यन्त कठिन क्षेत्र होने के कारण यातायात एवं संचार की काफी परेशानियां बनी रहती हैं। उच्चावची विषमताओं का स्पष्ट प्रभाव यहाँ की जनसंख्या पर देखने को मिलता है। परिणामतः जनसंख्या घनत्व एवं वितरण में काफी भिन्नता मिलती है। 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल आबादी 1,382,611 है, जो देश की जनसंख्या का मात्र 0.11 प्रतिशत है। घनत्व की दृष्टि से 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर में निवास करते हैं। प्रदेश में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। प्रदेश के दक्षिण एवं पश्चिमी भाग जो असम राज्य से सटे हैं वहॉं जनसंख्या की अधिकता तथा प्रदेश के उत्तरी एवं पूर्वी भाग में विरल जनसंख्या पायी जाती है।
अरुणाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में अनेक जनजातियाँ बसी हुई हैं जिनमें प्रमुख हैं : वांगचू, गैलोंग, मिनयोंग, मिशमी, इटु, तांगसा और डिगरू।
राज्य की विशाल खनिज संपदा के संरक्षण के लिए 1991 में ‘अरुणाचल प्रदेश खनिज विकास’ और ‘व्यापार निगम लिमिटेड’ की स्थापना की गई थी।
विभिन्न प्रकार के व्यापार में दस्तकारों को प्रशिक्षण देने के लिए, रोइंग, टबारीजो, दिरांग, युपैया और मैओ में कार्यरत पाँच ‘सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान’ हैं। आई.टी.आई. युपैया महिलाओं के लिए विशेष रूप से बना है जो पापुम पारे जिले में स्थित है। अरुणाचल प्रदेश में 87,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित क्षेत्र है। राज्य की विद्युत क्षमता लगभग 30,735 मेगावाट है। राज्य के 3,649 गाँवों में से लगभग 2,600 गाँवों का विद्युतीकरण कर दिया गया है।
संदर्भ-
भौगोलिक दृष्टि से अत्यन्त कठिन क्षेत्र होने के कारण यातायात एवं संचार की काफी परेशानियां बनी रहती हैं। उच्चावची विषमताओं का स्पष्ट प्रभाव यहाँ की जनसंख्या पर देखने को मिलता है। परिणामतः जनसंख्या घनत्व एवं वितरण में काफी भिन्नता मिलती है। 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल आबादी 1,382,611 है, जो देश की जनसंख्या का मात्र 0.11 प्रतिशत है। घनत्व की दृष्टि से 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर में निवास करते हैं। प्रदेश में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। प्रदेश के दक्षिण एवं पश्चिमी भाग जो असम राज्य से सटे हैं वहॉं जनसंख्या की अधिकता तथा प्रदेश के उत्तरी एवं पूर्वी भाग में विरल जनसंख्या पायी जाती है।
अरुणाचल प्रदेश की प्रमुख जनजाति
63 प्रतिशत अरुणाचल वासी 19 प्रमुख जनजातियों और 85 अन्य जनजातियों से संबद्ध है। इनमें से अधिकांश या तो तिब्बती - बर्मी या ताई-बर्मी मूल के हैं। शेष 35 प्रतिशत जनसंख्या अप्रवासियों की है, जिनमें 31000 बंगाली, बोडो, हजोन्ग, बांग्लादेश से आये चकमा शरणाथ्र्ाी और पड़ोसी असम, नगालैण्ड और भारत के अन्य भागों से आये प्रवासी शामिल हैं। सबसे बड़ी जनजातियों में आदि, गालो, निशि, खम्ति, मोंपा और अपातनी प्रमुख हैं।अरुणाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में अनेक जनजातियाँ बसी हुई हैं जिनमें प्रमुख हैं : वांगचू, गैलोंग, मिनयोंग, मिशमी, इटु, तांगसा और डिगरू।
अरुणाचल प्रदेश के लोगों का प्रमुख व्यवसाय
जिला शहरों को छोड़कर राज्य का पूरा इलाका ग्रामीण है। कृषि यहाँ के लोगों का प्रमुख व्यवसाय है। यहाँ की अर्थव्यवस्था, जो मुख्यत: ‘झूम’ खेती पर आधारित थी, में धीरे-धीरे परिवर्तन आने लगा है। चावल यहाँ की मुख्य फसल है। अरुणाचल प्रदेश में वनों, खनिजों तथा पनबिजली संसाधनों का विपुल भण्डार है। पश्चिमी कामेंग जिले में डोलोमाइट के भण्डार हैं। ईटानगर में उत्तर-पूर्वी क्षेत्रीय टेक्नोलॉजी संस्थान स्थापित किया गया है।राज्य की विशाल खनिज संपदा के संरक्षण के लिए 1991 में ‘अरुणाचल प्रदेश खनिज विकास’ और ‘व्यापार निगम लिमिटेड’ की स्थापना की गई थी।
विभिन्न प्रकार के व्यापार में दस्तकारों को प्रशिक्षण देने के लिए, रोइंग, टबारीजो, दिरांग, युपैया और मैओ में कार्यरत पाँच ‘सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान’ हैं। आई.टी.आई. युपैया महिलाओं के लिए विशेष रूप से बना है जो पापुम पारे जिले में स्थित है। अरुणाचल प्रदेश में 87,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित क्षेत्र है। राज्य की विद्युत क्षमता लगभग 30,735 मेगावाट है। राज्य के 3,649 गाँवों में से लगभग 2,600 गाँवों का विद्युतीकरण कर दिया गया है।
अरुणाचल प्रदेश के महत्वपूर्ण त्यौहार
अरुणाचल प्रदेश के कुछ महत्वपूर्ण त्यौहारों में ‘अदीस’ समुदाय का ‘मापिन और सोलंगु’, ‘मोनपा’ समुदाय का त्यौहार ‘लोस्सार’, ‘अपतानी’ समुदाय का ‘द्री’, ‘तगिनों’ समुदाय का ‘सी-दोन्याई’, ‘इदु-मिशमी’ समुदाय का ‘रेह’, ‘निशिंग समुदाय का ‘न्योकुम’ आदि त्यौहार शामिल हैं। अधिकतर त्यौहारों पर पशुओं को बलि चढ़ाने की पुरातन प्रथा है।- Sharma, Usha, “Discovery of North East India”, Mittal Publication, New Delhi, 2005, P-65.
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People of Indian States and Union territories”, Vol. 36, Page291.