असम का इतिहास

‘असम’ शब्द संस्कृत के ‘असोमा’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है अनुपम अथवा अद्वितीय। लेकिन आज ज्यादातर विद्वानों का मानना है कि यह शब्द मूल रूप से ‘अहोम’ से बना है। ब्रिटिश शासन में इसके विलय से पूर्व लगभग छ: सौ वर्षों तक इस भूमि पर अहोम राजाओं ने शासन किया। आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्न जातियॉं प्राचीन काल से इस प्रदेश की पहाड़ियों और घाटियों में समय-समय पर आकर बसी और यहॉं की मिश्रित संस्कृति में अपना योगदान दिया। इस तरह असम में संस्कृति और सभ्यता की समृद्ध परम्परा रही है।

असम का इतिहास

प्राचीनकाल में असम को ‘प्राग्ज्योतिष’ अर्थात् ‘पूर्वी ज्योतिष का स्थान’ कहा जाता था। बाद में इसका नाम ‘कामरूप’ पड़ गया। कामरूप राज्य का सबसे प्राचीन उल्लेख इलाहाबाद में समुद्रगुप्त के शिलालेख में मिलता है। इसमें कामरूप का उल्लेख प्रत्यन्त यानी ऐसे सीमावर्ती देश के रूप में मिलता है, जो गुप्त साम्राज्य की अधीनता स्वीकार करता था और जिसके साथ उसके सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण थे। 

चीन का विद्वान यात्री ºवेनसांग लगभग 743 ईसवी में राज कुमार भास्कर वर्मन के निमंत्रण पर कामरूप में आया। उसने कामरूप का उल्लेख ‘कामोलुपा’ के रूप में किया। 11वीं शताब्दी के अरब इतिहासकार अलबरूनी की पुस्तक में भी कामरूप का उल्लेख मिलता है। 

इस प्रकार महाकाव्यकाल से लेकर 12वीं शताब्दी ईसवी तक समूचे आर्यावर्त में पूर्वी सीमांत देश को प्राग्ज्योतिष और कामरूप के नाम से जाना जाता था।

सन् 1228 से 1826 तक पूर्वी पहाड़ियों पर अहोम लोगों के पहुॅंचने से इतिहास में नया मोड़ आया। उन्होंने लगभग छ: सौ वर्षों तक असम पर शासन किया। जब राजदरबार में व्याप्त असंतोष और लड़ाई-झगड़ों के कारण अहोम शासकों की शक्ति क्षीण होने लगी तो पूर्वी सीमा से बर्मी लोगों ने इस प्रदेश में प्रवेश किया। सन् 1826 में यह क्षेत्र ब्रिटिश सरकार के क्षेत्राधिकार में आ गया जब बर्मी लोगों ने यान्दबू संधि (Treaty of Yandabo) के अनुसार असम को ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया। 

1832 में कछार को असम में मिला दिया गया और 1835 में जयन्तिया पहाड़ियों को असम में सम्मिलित कर लिया गया। 1839 में अपर असम को बंगाल के साथ मिला दिया गया। 1874 में चीफ कमिश्नर के अधीन असम को एक अलग प्रान्त बना दिया गया, जिसकी राजधानी शिलांग थी।

1905 में बंगाल के विभाजन पर असम को लेफ्टीनेंट गवर्नर के अधीन बंगाल के पूर्वी जिलों के साथ मिला दिया गया। 1921 से इस प्रांत के शासन के लिए गवर्नर नियुक्त होने लगा। 1948 में सुरक्षा की दृष्टि से ‘नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेन्सी’ (नेफा) को असम से पृथक कर दिया गया। 1963 में असम राज्य के क्षेत्र में से ही एक नया राज्य नगालैंड बना दिया गया। 21 जनवरी 1972 को असम के इलाके लेकर मेघालय नामक नया राज्य और मिजोरम संघ शासित प्रदेश बनाये गये।

असम की भौगोलिक स्थिति

भौगोलिक दृष्टि से असम अपने पूर्ववर्ती आकार से बहुत छोटा हो गया है। पिछले 20 वर्षों में इसका आकार एक-तिहाई रह गया है। 1947 में असम का क्षेत्रफल 2 लाख वर्ग कि.मी. से भी अधिक था -तत्कालीन नेफा और वर्तमान अरूणाचल प्रदेश को छोड़कर। 

आज असम का कुल क्षेत्रफल 78,438 वर्ग कि.मी. है। 1947 में भारत के विभाजन के समय असम का सिलहट जिला (करीमगंज सब-डिवीजन के अधिकांश भाग को छोड़कर) पूर्वी पाकिस्तान में (जो अब बांग्लादेश है) चला गया। जिस रूप में आज असम है, उसे दो महत्वपूर्ण प्राकृतिक क्षेत्रों - बराक घाटी और ब्रह्मपुत्र घाटी में बॉंटा जा सकता है। असम में ब्रह्मपुत्र की बड़ी प्रमुखता है। यह नदी अपने उद्गम से 2900 कि.मी. की यात्रा करके समुद्र तक पहुॅंचती है। असम संसार में सबसे अधिक वर्षा वाले स्थानों में से एक है। यहाँ 178 से.मी. से 305 से.मी. तक वर्षा होती है। सारी वर्षा जून से सितम्बर तक चार महीनों में होती है।

असम पूर्वोत्तर में 890 42’ से 960 30’ पूर्वी देशान्तर और 220 19’ से 280 16’ उत्तरी अक्षांश के बीच स्थित है। असम के उत्तर में भूटान, तिब्बत और अरूणाचल प्रदेश, पूर्व में नगालैण्ड, म्यांमार तथा मणिपुर, दक्षिण में मेघालय, त्रिपुरा तथा मिजोरम, पश्चिम में बांग्लादेश तथा पश्चिम बंगाल स्थित हैं।

असम अपनी वन संपदा तथा जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों के लिए प्रसिद्ध है, जो कि कुल वन क्षेत्र के 26.62 प्रतिशत हैं। असम की आदिम जातियॉं संभवत: भारत-चीनी समूह के विभिन्न अंश हैं। भारत-चीनी समूह की जातियॉं कई समूहों में विभाजित की गई हैं। 

प्रथम खासी हैं जो आदिकाल में उत्तर-पूर्व से आए हुए निवासियों के अवशेष मात्र हैं। 

दूसरे समूह के अन्तर्गत दिमसा, बोडो, रामा, कारो, लालूंग तथा पूर्वी उप हिमालय में दफ्ला, मिरी, अबोर तथा मिश्मी जातियाँ हैं। 

तीसरा समूह लुसाई, आका तथा कुकी जातियों का है, जो दक्षिण से आकर बसी हैं तथा मैनपुरी और नागाजातियों में मिल गई हैं। कछारी, रामा तथा बोडो हिमालय के ऊँचे घास के मैदानों में निवास करते हैं। कोच, जो मंगोल प्रजाति के हैं, आसाम के निचले भागों में रहते हैं। गोलपाडा में ये राजवंशी के नाम से प्रसिद्ध हैं। सालोई कामरूप की प्रसिद्ध जाति है। नदियाल या डोम यहाँ की मछली मारने वाली जाति है। नवशाखा जाति के सदस्य तेली, ग्वाला, नापित (नाई), बरई, कुम्हार तथा कमार (लोहार) हैं। 

आधुनिक युग में यहाँ पर चाय के बाग में काम करने वाले बंगाल, बिहार, उड़ीसा तथा अन्य प्रान्तों से आए हुए श्रमिकों की संख्या प्रमुख हो गई है।

असम की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार

असम कृषि प्रधान राज्य है। खेती यहाँ की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। चावल यहाँ की मुख्य खाद्य फसल है। जूट, चाय, कपास, तिलहन, गन्ना, आलू आदि नकदी फसले हैं। राज्य की मुख्य बागवानी फसलें हैं संतरा, केला, अनन्नास, सुपारी, नारियल, अमरूद, आम, कटहल और नीबू इत्यादि। इनकी खेती छोटे पैमाने पर की जाती है। राज्य में लगभग 39.83 लाख हेक्टेयर कुल खेती योग्य भूमि है। इसमें से करीब 28.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें उगाई जाती हैं।

वर्षा की अधिकता के कारण सिंचाई की व्यवस्था व्यापक रूप से लागू नहीं की जा सकी, केवल छोटी-छोटी योजनाएं ही क्रियान्वित की गई हैं। कुल कृषिगत भूमि का मात्र 22 प्रतिशत ही सिंचित है। 1964 में प्रारम्भ की गई यमुना सिंचाई योजना (दीफू के निकट) इस राज्य की सबसे बड़ी योजना है जिससे लगभग 26,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई किये जाने का अनुमान है। नहरों की कुल लम्बाई 137.15 किमी0 है।

असम के आर्थिक तंत्र में उद्योग धंधों में, विशेष रूप से कृषि पर आधारित तथा खनिज तेल का महत्वपूर्ण योगदान है। गुवाहाटी तथा डिब्रूगढ़ दो स्थान इसके मुख्य केन्द्र हैं। कछार का सिलचर नगर तीसरा प्रमुख औद्योगिक केन्द्र हैं। चाय उद्योगके अतिरिक्त वस्त्र उद्योग (शीलघाट, जूट तथा जारी रोड सिल्क) भी यहाँ उन्नत है। हाल ही में एक कपड़ा मिल गुवाहाटी में स्थापित की गई है। एरी, मूगा तथा पाट असम के उत्कृष्ट वस्त्रों में है। तेल शोधक कारखाने डिगबोई (पॉंच लाख टन प्रतिवर्ष) तथा नूनमाटी (7.5 लाख टन प्रति वर्ष) में है। उर्वरक केन्द्र कामरूप में हैं जहाँ प्रतिवर्ष 2,75,000 टन यूरिया तथा 7,05,000 टन अमोनिया का उत्पादन किया जाता है। चीरा में सीमेन्ट का कारखाना है जहाँ प्रतिवर्ष 54,000 टन सीमेंट का उत्पादन होता है। 

इनके अतिरिक्त वनों पर आधारित अनेक उद्योग धंधे प्राय: सभी नगरों में चल रहे हैं। धुबरी की हार्डबोर्ड फैक्टरी तथा गुवाहाटी का खैर तथा आगर तेल विशेष उल्लेखनीय हैं। असम से भारत का सर्वाधिक खनिज तेल प्राप्त होता है। यहाँ लगभग 1000 किलोमीटर लम्बी पेटी में खनिज तेल पाया जाता है। यह पेटी इस राज्य की उत्तरी-पूर्वी सीमा से आरम्भ होकर खासी तथा जयन्तिया पहाड़ियों से होती हुई कछार जिले तक फैली है। यहाँ के मुख्य तेल क्षेत्र लखीमपुर तथा शिवसागर जिलों में पाये जाते हैं। है। 

संदर्भ -
  1. Gait, E.A., ‘History of Assam’, 2nd Edition 1926 Thackar, Spink and Co. Calcutta, Page-286.
  2. Ibid, Page-303-311.
  3. भारत 2008, सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार, पृ0सं0 1091-92.
  4. क्षेत्रफल भारत की जनगणना 2001 के अनुरूप।
  5. भारत, 2005 पूर्वोक्त, पृ0सं0 647.
  6. Oxford Atlas : Oxford University Press, New Delhi 2009, P.25.
  7. भारत, 2008 पूर्वोक्त-1092.
  8. Economic Survey of Assam-2011-12.
  9. भारत, 2008, पूर्वोक्त, पृ0सं0-1092.
  10. Assam Performance, Facts and Figures, (ed.) Laveesh Bhandari and Sumita Kale, Pearson Education Delhi 2009, P.41-46.

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