सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उठाए कदम

सशक्तिकरण वह शस्त्र है जो न सिर्फ महिलाओं के अधिकारों दिलाने के लिए आवाज देता हैं बल्कि समाज के प्रत्येक मानव को अपने अधिकारों के प्रति जागृत करता है।

वही महिला सशक्तिकरण का सीधा सा अभिप्राय है कि महिलाओं को अधिक शक्ति सम्पन्न बनाना है। ताकि उनकी सुप्त चेतना, क्षमता व योग्यताओं का विकास संभव हो सके एवं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उनकी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित हो सके। साथ ही इसके लिए जरुरी है कि उन्हें अवसर की स्वतन्त्रता की स्वीकृति सामाजिक मान्यताओं के रूप में हो ।

सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाएं निर्णय लें, उसे अमल में लायें और सामाजिक स्वीकृति दिखायें। समाज के विभिन्न वर्गों तक निर्णय को पहुँचायें । संगठन तैयार करें जो इन विचारों, मूल्यों को लोगों तक पहुँचायें । 

सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उठाए कदम 

देश में महिला सशक्तिकरण को मूर्त रूप देने के लिए महिलाओं के शैक्षिक, स्वास्थ्य एवं सामाजिक स्तर में सुधार की अनिवार्यता को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाये जा रहै हैं जिनका विवरण इस प्रकार है-

1. महिलाओं को रोजगार और प्रशिक्षण के लिए सहायता देने का कार्यक्रम (स्टेप)- वर्ष 1987 में केन्द्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में शुरू किया गया। इसका उद्देश्य इस प्रकार है- 
  1. परम्परागत क्षेत्रों में महिलाओं के कौशल में सुधार तथा परियोजना आधार पर रोजगार उपलब्ध करके, महिलाओं की स्थिति में महत्त्वपूर्ण सुधार करना है।
  2. इसके लिए उन्हैं उपयुक्त समूहों में संगठित किया जाता है, विपणन सम्बन्धी सम्पर्क कायम करने के लिए व्यवस्थित किया जाता है। सेवाओं में मदद दी जाती है ओर ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
  3. इस योजना में रोजगार के आठ परम्परागत क्षेत्र शामिल हैं जो इस प्रकार हैं- कृषि, पशुपालन, डेयरी व्यवसाय, मत्स्य पालन, हथकरघा, हस्तशिल्प, खादी और ग्राम उद्योग और रेशम कीट पालन आदि। 
  4. यह योजना सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, राज्य निगमों, जिला ग्राम्य विकास अधिकरणों, सहकारिताओं, परिसंघों ओर ऐसी पंजीकृत स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से लागू की जा रही हैं जो कम-से-कम तीन साल से अस्तित्व में हैं।
2. स्वयंसिद्धा- स्वयंसिद्धा महिलाओं के विकास ओर सशक्तिकरण की समन्वित योजना है। इस योजना की दीर्घकालीन उद्देश्य महिलाओं का चहुँमुखी विकास, विशेष तोर पर उनका सामाजिक और आर्थिक विकास करना है। इसके लिए सभी वर्तमान क्षेत्रीय कार्यक्रमों में समन्वय और लगातार चलने वाली प्रक्रिया के जरिये संसाधनों तक उनकी सीधी पहुँच तथा नियन्त्रण सुनिश्चित करना है। योजना का उद्देश्य इस प्रकार है -
  1. स्वयं सहायता समूहों का गठन।
  2. लघु ऋण योजनाओं तक महिलाओं की पहुँच बनाना।
  3. ग्रामीण महिलाओं में बचत की आदत डालना और आर्थिक मुद्दों के प्रति जागरूकता पैदा करना।
  4. महिला ओर बाल-विकास मंत्रालय और अन्य विभागों की सेवाओं की तरफ अभिमुख करना।
3. महिला सामाख्या कार्यक्रम-महिला सामाख्या भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा चलाया जा रहा एक कार्यक्रम है, जिसकी अवधारणा 1986 की नयी शिक्षा प्रणाली से उभरी है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कमजोर, वंचित, निर्धन वर्गों की महिलाओं व बालिकाओं की, शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करना है। कार्यक्रम के अन्तर्गत शिक्षा को व्यापक अर्थों में देखते हुए व्यावहारिक शिक्षा का समावेश किया गया है। 

इसमें नारीवादी सोच का विकास, स्वयं के मुद्दों तथा सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर समझ विकसित करना तथा सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी व हस्तक्षेप को प्रमुखता से शामिल किया गया है।

महिला सामाख्या शैक्षिक पहुँच एवं उपलब्धि के क्षेत्र में लैंगिक अन्तराल का निराकरण करती है। इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं, विशेषकर सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़ी एवं वंचित महिलाओं को इस योग्य बनाना है कि वे अलग-अलग पड़ने और आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याओं से जूझ सकें ओर दमनकारी सामाजिक रीति-रिवाज के विरूद्ध खड़े होकर अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर सकें। वर्तमान में महिला सामाख्या कार्यक्रम देश के ग्यारह (11) राज्यों में संचालित किया जा रहा है।

4. उज्ज्वला-अवैध व्यापार को रोकने के लिए 4 दिसम्बर, 2007 से उज्ज्वला नाम से एक व्यापक योजना शुरू की गयी। इस योजना के पाँच घटक हैं- रोकथाम, रिहाई, पुनर्वास, पुन: एकीकरण ओर स्वदेश भेजना। इस योजना के तहत 2008-09 के लिए 10 करोड़ रूपये आबंटित किये गये हैं। उज्ज्वला के पाच घटक इस प्रकार हैं-
  1. रोकथाम-सामुदायिक निगरानी दल एवं किशोर दल बनाना, पुलिस, सामुदायिक नेताओं को जागरूक करना आदि।
  2. रिहाई-शोषण किये जाने वाले स्थान से सुरक्षित रिहाई।
  3. पुनर्वास-चिकित्सीय सहायता, कानूनी सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा आमदनी वाले कामों की भी व्यवस्था हो।
  4. पुन: एकीकरण-पीड़ित की इच्छानुसार उसे परिवार समुदाय में एकीकृत करना।
  5. स्वदेश-सीमा पार चले गये पीड़ितों की सुरक्षित स्वदेश वापसी।
5. स्वाधार-यह योजना केन्द्र सरकार द्वारा 2 जुलाई, 2001 से आरम्भ की गयी। इसका उद्देश्य गम्भीर परिस्थितियों में स्थित महिलाओं को समग्र व समन्वित सहायता प्रदान करना है। परिवार से अलग कर दी गयी महिलाएँ, जेल से मुक्त की गयी महिलाएँ, प्राकृतिक आपदा से पीड़ित महिलाएँ, वेश्यालयों से मुक्त करायी गयी महिलाएँ/लड़किया ँ आदि इस योजना की पात्र हैं। इस योजना में भोजन, आवास, आश्रय, स्वास्थ्य सेवा, कानूनी मदद ओर सामाजिक व आर्थिक पुनर्वास की सुविधाए ँ उपलब्ध करायी जाती है। यह योजना केन्द्र व राज्य सरकारों के सम्मिलित संसाधनों से पंचायतों एवं स्वयं सहायता समूहों तथा गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से चलायी जा रही हैं।

6. स्वावलम्बन-इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को परम्परागत तथा गैर-परम्परागत व्यवसायों में प्रशिक्षण और कौशल उपलब्ध कराकर उन्हैं स्थायी आधार पर रोजगार या स्वरोजगार प्राप्त करने में सहायता देना है। इस योजना के अधीन लक्ष्य-समूहों में निर्धन तथा जरूरतमन्द तथा समाज के दुर्बल वर्गों की महिलाएँ शामिल की जाती हैं। इस योजना के अन्तर्गत महिला विकास निगमों, सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों, स्वायत्त संगठनों, न्यासों ओर पंजीकृत स्वेच्छिक संगठनों को वित्तीय सहायता दी जाती है। प्रशिक्षण दिये जाने वाले व्यवसायों में शामिल हैं-कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग, इलेक्ट्राूनिक्स, घड़ीसाज, रेडियो ओर टेलिविजन की मरम्मत, वस्त्रों की सिलाई, हैंडलूम का कपड़ा बुनना, सामुदायिक स्वास्थ्य-कार्य तथा कशीदाकारी।

7. स्वशक्ति-यह योजना 1998 से शुरू की गयी थी। केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित विश्व बैंक एवं अन्तर्राष्ट ्रीय कृषि विकास कोष के सहयोग से यह योजना बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ तथा उत्तराखण्ड में महिला विकास निगमों तथा स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से संचालित की जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत अब तक 57 जिलों के 1,210 गा ँवों ओर शहरों, बस्तियों में 17 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है। महिलाओं में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास बढ़ाने तथा स्वरोजगार की दिशा में उन्हैं प्रेरित करने में स्वयं सहायता समूह इस योजना के अन्तर्गत काफी महत्तवपूर्ण भूमिका निभा रहै हैं।

8. जननी सुरक्षा योजना (2005) - दक्ष जन्म परिचारको द्वारा किये जाने वाले संस्थानिक जनन को प्रोत्साहित करके मातृत्वदर को नीचे लाना।

9. बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006

10. 1997 में बालिका सम ृद्धि योजना - जन्म के समय बच्चियों को नकद पैसा ओर प्रतिवर्ष स्कूल में सफल होने के साथ 10वीं कक्षा तक दिया जाता है।

11. धन लक्ष्मी योजना - यह 3 मार्च 2008 को शुरू हुई बच्चियों के लिए सशर्त धन ओर बीमा सुविधा उपलब्ध करायी जाती हैं।

12. इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना 2010 को प्रारंभ किया गया। इसके तहत गर्भवती महिलाओं को ओर दूध पिलाने वाली माताओं को तीन किस्तों में कुल 400 रू की नकद राशि उपलब्ध करायी जाती है।

13. सबला योजना - केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राजीव गांधी किशोरी सशक्तिकरण योजना सबला 19 नवम्बर 2010 को इंदिरा गाधी के जन्म दिवस पर प्रारंभ किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य आत्मविश्वास एवं सशक्तिकरण हैतु किशोरियों को सक्षम बनाना। उनके स्वस्थ, पोषण, कौशल उन्नयन में जागरूक करना पढ़ाई छोड़ चुकी किशोरियों को पुन: ओपचारिक, अनौपचारिक शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ना इत्यादि।

14. बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं अभियान - 22 जनवरी 2015 को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई। मूलत: अल्प बाल लिंग अनुपात की समस्या को दूर करने, बच्चियों के समुचित विकास, समानता, पढ़ाई इत्यादि से जुड़ा है।

15. सुकन्या समृद्धि योजना - 22 जनवरी 2015 को ही नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं अभियान के तहत बेटियों की उच्च शिक्षा और उनके विवाह के लिए सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की गई।

16. किशोरी शक्ति योजना - यह महिला ओर बाल विकास मंत्रालय द्वारा आत्म विकास, पोषण, स्वास्थ्य, देखभाल, साक्षरता, अंकीय ज्ञान, व्यावसायिक कोशल इत्यादि को ध्यान में रखकर शुरू किया गया।

17. एकीकृत बाल विकास सेवा स्कीम - इसका उद्देश्य 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों का समग्र विकास और गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए उचित पोषण।

19. महिला सशक्तिकरण हैतु राष्ट्रीय मिशन - विभिन्न मंत्रालयों की नीतियों कार्यक्रमों ओर स्कीमों के बेहतर अभिसरण के माध्यम से महिलाओं के समग्र सशक्तिकरण की इस पहल को वर्ष 2010-11 में प्रचलन में लाया गया। इसके तहत देश भर में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए की गई पहलों को सुर्पवाही बनाने के लिए मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में राज्य मिशन प्राधिकरणों ओर महिलाओं के लिए राज्य संसाधन केन्द्रों सहित राज्य स्तर पर संस्थागत ढाचे स्थापित किये गए हैं

राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण मिशन के मुख्य कार्य

  1. महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण।
  2. महिलाओं पर केंद्रित सरकारी स्कीमों का संकेन्द्रन।
  3. सुनिश्चित करना कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा प्रगामी रूप से समाप्त हो जाती है।
  4. महिलाओं के स्वस्थ ओर शिक्षा पर विशेष बल सहित सामाजिक सशक्तिकरण सुनिश्चित करना।
  5. भागीदार मंत्रालयों, संस्थानों तथा संगठनों के कार्यक्रमों, नीतियों, संस्थागत व्यवस्थाओं ओर प्रक्रियाओं को जेंडर की दृष्टि से मुख्य धारा में लाने का निरीक्षण
  6. जागरूकता लाना और विभिन्न स्कीमों तथा कार्यक्रमों के तहत लाभों की मांग को आगे बढ़ाने के लिए समर्थन गतिविधि तथा इनको पूरा करने के लिए पंचायतों को जिला, तहसील और ग्राम स्तर पर संरचना का सृजन करना यदि आवश्यक हो।

राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण के अन्य विशेष कार्यक्रम-

  1. आशा योजना-11 फरवरी, 2005 को केन्द्र सरकार द्वारा इस योजना की घोषणा की गयी। योजना के अन्तर्गत ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए प्रत्येक गाँव में स्थानीय स्तर पर एक आशा कार्यकर्ती की तैनाती का प्रावधान है।
  2. स्वर्णिम योजना-पिछड़े वर्ग की ऐसी महिलाएँ, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार की हैं, उन्हैं आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा इस योजना का संचालन किया जा रहा है।
  3. मंत्रालय की पहल पर लिंग आधारित बजट-बजटीय प्रक्रिया में लिंग की मुख्य धारा से शामिल करने के लिए लिंग आधारित बजट की शुरूआत की गयी है। बजट की प्रक्रया के दौरान ही लिंग सम्भावनाओं को हर स्तर ओर चरण में शामिल कर लिया जाता है। इसके साथ बजट में ही लिंगभेद आकलन का अनुमान लगाकर उन उपायों का बजट में ही पूरा कर लिया जाता है।
  4. महिलाओं का घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम, 2005 (2005 का 43वां)-महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए एक नया कानून बनाया है ओर उसे 26 अक्टूबर, 2006 से लागू कर दिया गया है।
  5. महिलाओं के प्रति भेदभाव की समाप्त करने पर सम्मेलन (सीईडीएडब्ल्यू)-भारत ने महिलाओं के प्रति भेदभाव को समाप्त करने संबंधी सम्मेलन (सीईडीएडब्ल्यू) पर 30 जुलाई, 1980 में हस्ताक्षर किए थे ओर एक आरक्षित ओर दो घोषित वक्तव्यों के साथ 9 जुलाई, 1993 को उसकी पुष्टि कर दी थी। कार्यवाही के लिए बीजिंग प्लेटफार्म-वर्ष 1995 में बीजिंग में महत्त्वपूर्ण चोथे विश्व सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओं के सशक्तिकरण को रफ्तार देने के लिए घोषणा और कार्यवाही के लिए प्लेटफार्म वीपीएफए को स्वीकार किया गयी।
  6. राष्ट्रीय पोषाहार मिशन-15 अगस्त, 2001 से चालू इस योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली गरीब महिलाओं को सस्ते दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
  7. जीवन भारती महिला सुरक्षा योजना- 8 मार्च, 2003 से शुरू इस योजना के अन्तर्गत भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा 18-50 वर्ष आयु की ग्रामीण महिलाओं को गम्भीर बीमारियों एवं उनके शिशुओं की अपंगता आदि की स्थितियों में सुरक्षा कवच प्रदान किया जाता है।

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