मणिपुर का इतिहास

मणिपुर

मणिपुर का इतिहास 

मणिपुर ब्रिटिश शासन काल में एक रियासती राज्य था। मणिपुर का प्राचीन इतिहास काफी परिवर्तनशील तथा गौरवपूर्ण रहा है। यद्यपि इसका लिखित इतिहास उपलब्ध नहीं है। इतिहासकारों के अनुसार सन् 33 ई0 में पखंगबा (Pakhangba) ने यहॉं एक बड़े राजवंश की स्थापना की। 

सन् 1074 में लोईयाम्बा (Loiyamba) नाम के राजा ने शासनतंत्र को काफी मजबूत बनाया। बाद के वर्षों में काबव (Kabaw) राजाओं ने मणिपुर घाटी के दक्षिण पूर्वी भाग को अपने राज्य में मिलाने का प्रयास किया। सन् 1470 तक काबव (Kabaw) घाटी मणिपुर का अंग बन गयी। 

सन् 1542 ई0 में राज्य का विस्तार किया गया। 

1762 में मणिपुर के राजा ने बर्मी लोगों की बढ़ती हुई घुसपैठ से छुटकारा पाने के लिए ब्रिटिश शासकों के साथ सन्धि की। सन् 1826 ई0 में यान्दबू की संधि हुई, इससे लड़ाई बंद हो गयी, परन्तु मणिपुरवासियों की समस्या हल नहीं हुई। काफी विचार-विमर्श के बाद ब्रिटिश सरकार ने मणिपुर को स्थानीय राज्य का दर्जा दिया। 1949 में भारतीय संघ में विलय के बाद इसे ‘सी’ वर्ग का राज्य बनाया गया था। 

1950-51 में यहॉं सलाहकार की तरह की सरकार गठित की गयी। बाद में 1957 में इसके स्थान पर एक प्रादेशिक परिषद गठित की गई जिसमें 30 चयनित तथा दो मनोनीत सदस्य थे। इसके बाद 1963 में केन्द्रशासित प्रदेश अधिनियम के अंतर्गत 30 चयनित तथा दो मनोनीत सदस्यों की एक विधान सभा स्थापित की गई। 19 दिसम्बर 1969 से प्रशासक के पद का दर्जा आयुक्त से बढ़ाकर उप राज्यपाल कर दिया गया। 21 जनवरी 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला जिसमें 60 सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई।

भौगोलिक दृष्टि से यह राज्य दो भागों में बंटा हुआ है पर्वतीय क्षेत्र जिसमें पॉंच जिले हैं और मैदानी इलाके, जिसमें तीन जिले हैं। इसकी भौगोलिक स्थिति 230 50’ से 250 44’ उत्तरी अक्षांश तथा 930 01’ पूर्वी से 950 4’ पूर्वी देशान्तर के मध्य है। इसके पूर्व में ऊपरी म्यांमार, दक्षिण-पूर्व में म्यांमार की चिन पहाड़ियॉं, उत्तर में नगालैण्ड, पश्चिम में असम और दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम में मिजोरम से घिरा हुआ है।

मणिपुर राज्य में करीब 33 जनजातियॉं हैं। इनमें से मेतेई, नागा, कुकी बहमार आदि शामिल हैं। मणिपुर की कुल जनसंख्या में से 50 प्रतिशत से ज्यादा मेतेई समूह के लोग हैं लेकिन ये केवल मणिपुर के 1/10 हिस्से पर ही रहते हैं। यह समूह इम्फाल घाटी में बसता है जबकि अन्य समूह आस-पास के पहाड़ी जिलों में रहते हैं। वास्तव में मेतेई जनजाति श्रेणी में नहीं आते हैं जबकि दूसरे पहाड़ी समूहों को इस श्रेणी के सारे लाभ जैसे नौकरियों में आरक्षण आदि हासिल है। इसके अलावा उनकी भूमि को भी सुरक्षित घोषित कर दिया गया है और कोई भी गैर जनजातीय समूह का व्यक्ति, भले ही वह मणिपुरी हो, उनकी जमीन पर मालिकाना हक नहीं ले सकता। ये प्रावधान ही मेतेई लोगों में उपजे असंतोष के सबसे बड़े कारण है। उनका मानना है कि इन प्रावधानों के चलते पहाड़ी समूह अपनी जनसंख्या के मुकाबले ज्यादा लाभ ले रहे हैं जबकि वे सबसे ज्यादा संख्या में होने के बावजूद भी ऐसे लाभों से वंचित है। 

2001 की जनगणना के अनुसार मणिपुर में अनुसूचित जातियों का प्रतिशत 2.8 और अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 34.2 है। धार्मिक आधार पर यहाँ 46: हिन्दू, 34: ईसाई, 8.8: मुस्लिम तथा 11.2: अन्य धर्मावलम्बी निवास करते हैं।

मणिपुर राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार

मणिपुर राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि और उससे सम्बन्धित कार्य है तथा ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश लोगों की जीविका का एकमात्र आधार कृषि ही है। परन्तु यहॉं कृषि योग्य भूमि की अत्यन्त कमी है। मात्र 10 प्रतिशत भूमि पर ही खेती होती है और उसमें से 22.9 प्रतिशत जमीन ही सिंचित है।56 कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट 2007 के अनुसार मणिपुर ने 3,97,000 टन खाद्यान का उत्पादन हुआ। परन्तु अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की अपेक्षा प्रति हेक्टेयर खाद्यान्न उत्पादन सर्वाधिक है।

यहॉं चावल और मक्के का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है। राज्य में कुल भौगोलिक क्षेत्र का 77.40 प्रतिशत भाग पर वन आच्छादित है, पर्वतीय इलाको में तो यह प्रतिशत 92 तक है। पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा प्रकाशित वन राज्य रिपोर्ट 2009 के अनुसार मणिपुर में 701 वर्ग किमी. घने जंगल, 5,474 वर्ग किमी0 मध्यम घने जंगल और 11,105 वर्ग किमी0 खुले जंगल हैं जो कुल मिलाकर 17,280 वर्ग किमी0 हैं। मणिपुर के उखरूल जिले के शिराय गांव के वनों में स्वर्गपुष्प कहे जाने वाले शिराय लिली फूल मिलते हैं जो किसी अन्य स्थान पर नहीं मिलते। इसी प्रकार जूको घाटी में दुर्लभ प्रजाति के जूको लिली (लिलियम चित्रांगद) पाए जाते हैं। 

मणिपुर अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहॉं कई तरह के दुलर्भ पेड़-पौधे और जीव-जन्तु पाए जाते हैं। यह ‘शंगाई’ हिरण का भी निवास स्थान है जो विश्व की दुर्लभ नस्लों में से एक है। इसके अलावा एक तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है जो विश्व में एकमात्र है।

मणिपुर का उद्योग फिलहाल अविकसित अवस्था में है। यहॉं का सबसे बड़ा उद्योग हथकरघा है। यहॉं विभिन्न औद्योगीकरण परियोजनाओं पर काम शुरू किया जा रहा है जिससे उद्योगों के विकास को बल मिलेगा और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। मणिपुर में रेशम कीट पालन का उद्योग पूर्णतया विकसित अवस्था में है। यह राज्य की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। यहॉं करीब 100 सिल्क फर्म हैं। 

वर्ष 2007 तक राज्य में 57, 171 लघु औद्योगिक इकाइयॉं स्थापित थी। यहॉं औसत वार्षिक विकास दर 1995-96 से 2000 के बीच 9.5 प्रतिशत तथा 2001 से 2006-07 के मध्य 4.2 प्रतिशत थी।

संदर्भ -
  1. 55. सिंह, ए0 मागी, ‘‘जातीय संघर्ष और हाशिये पर मुख्य धारा राजनीति’’, योजना दिसम्बर, 2009, प्रकाशन विभाग सूचना प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, पृ0 24-26.
  2. 57. भारत 2003, पूर्वोक्त, पृ0सं0-871.

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