राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना
राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना जनवरी 1992 में राष्ट्रीय महिला आयेाग अधिनियम 1990 (भारत सरकार के 1990 के अधिनियम संख्या 20) के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में महिलाओं के लिए संवैधानिक तथा कानूनी सुरक्षा उपायों के पुनरीक्षण उपचार विधायी उपायों की संस्तुति, शिकायतों के निवारण की सुविधाजनक बनाने तथा महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों में सरकार को सलाह देने की उद्देश्य से की गई थी।राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्य एवं उद्देश्य
- महिलाओं के लिए संवैधानिक रक्षा के उपायों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अन्वेषक, परिवीक्षा एवं सरकार को सिफारिश करना।
- महिलाओं को प्रभावित करने वाले कानून में विद्यमान प्रावधानों की समीक्षा करना तथा कमियों, अपर्याप्तता या त्रुटियों को दूर करने के लिए सिफारिश करना।
- कानूनी सुरक्षा के उपायों के उल्लंघन करने संबंधित मामलों को उचित अधिकारियों के समक्ष उठाना।
- शिकायतों की जांच करना तथा महिलाओं के अधिकारों के वंचन पर स्वप्रेरणा से ध्यान देना।
- महिलाओं के सामाजिक आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना और प्रगति का मूल्यांकन करना
- सुधार गृहों, कारागारों तथा अन्य स्थानों जहाँ महिलाओं को बंदी के रूप में रखा जाता है, का निरीक्षण करना तथा पुनर्वास तथा विकास हेतु उनकी सिफारिश करना।
राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्य क्षेत्र
- महिलाओं का राजनैतिक सशक्तिकरण
- अल्पसंख्यक/मानसिक रूप से विकलांग महिलाओं का सामािजक व आर्थिक सशक्तिकरण
- महिलाओं पर सार्वभौमिकरण का प्रभाव
- सैक्स टूरिज्म और ट्रैफिकिंग जिसमें देवदासी की समस्याएं भी शामिल है।
- बाल विवाह विरोध अधिनियम
- महिलाओं के लिए बढ़ती हुई हिंसा की प्रवृति के मुद्दे की पीडितों, गैर सरकारी संगठनों तथा अधिकारियों के साथ पारम्परिक बैठकों के द्वारा उठाना, शिकायतों को सुनना, महिलाओं के कानूनी अधिकारों को प्रभावित करने वाले गंभीर की जांच करना।
- विशेष वर्ग मुस्लिम महिलाएं, जनजाति महिलाएं और अनुसूचित जातियों की महिलाओं की समस्याएं
- कारागारों रिमांड होम या संरक्षण गृहों के महिलाओं की समस्याएं
- पारिवारिक न्यायालयों का संस्थागत अध्ययन करना तथा सुधारात्मक सुझाव देना
- कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न
- सती प्रथा, डायन प्रथा जेसी सामाजिक बुराइयाँ
- दहेज समस्या
- मीडिया में महिलाएं
- क ृषि में महिलाओं का तकनीकी सशक्तिकरण
- कन्याभू्रण तथा शिशुहत्या की समस्या के विरूद्ध लोगों में जागरूकता उत्पन्न करना।
- महिलाओं का स्वास्थ्य
- मद्य निषेध आंदोलन
- स्वयं सहायता वर्गो के माध्यम से चुनौतियों का सामना करना
- लिंग संवेदनशीलता
- नेटवर्क का निर्माण एवं उसे उन्नत बनाना
- विधवाओं की समस्याएं
- विकलांग महिलाओं की समस्याएं
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