ई-गवर्नेंस के उद्देश्य और उपयोगिता

सरकारी सेवाएं प्रदान करने के लिए सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करना इलेक्ट्रॉनिक शासन या E-Governance कहलाता है। सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग से सरकार को जनता एवं अन्य अभिकरणों को सूचनाओं के प्रसार हेतु प्रक्रिया को दक्ष, त्वरित एवं पारदर्शी बनाने तथा प्रशासनिक गतिविधियों के निष्पादन में सुविधा रहती है। एक तरह से सरकार की आम नागरिकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं को इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध कराना ही ई-शासन कहलाता है। 

इसके अंतर्गत शासकीय सेवाएं और सूचनाएं ऑनलाइन उपलब्ध होती है। भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक विभाग की स्थापना 1970 ई. में की और 1977 ई. में नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेण्टर की स्थापना ई-शासन की दिशा में पहला कदम था। 

इस प्रकार ई-शासन के माध्यम से शासन को सरल, नागरिकोन्मुख, पारदश्र्ाी, जवाबदेह एवं त्वरित बनाया जा सकता है।

ई-गवर्नेंस के उद्देश्य

  1. सरकार के निर्णयों में सुधार लाना। 
  2. सूचना प्रौद्योगिकी युग में नागरिकों की इच्छाओं की सुव्यवस्था की योग्यता प्राप्त करना।
  3. सरकार की जवाबदेही एवं पारदर्शिता बढाना। 
  4. सरकार में लोगों के विश्वास में वृद्धि करना। 
  5. नई चुनौतियों का सामना करने में गैर-सरकारी संगठनों, व्यवसायियों एवं इच्छुक नागरिकों को प्रभावी रूप से शामिल करना।

ई-गवर्नेंस की उपयोगिता

  1. ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग भी देश-विदेश के घटनाक्रम से भली-भाँति परिचित हो सकेंगें। 
  2. सूचना का अधिकार एवं ई-शासन मिलकर देश के विकास में क्राँतिकारी परिवर्तन ला सकेंगे। 
  3. विभिन्न योजनाओं/परियोजनाओं की जानकारी एक आम आदमी तक इंटरनेट के माध्यम से पहुँचायी जा सकती है ताकि वे उसके बारे में जान सके एवं लाभान्वित हो सके।
  4. इसके माध्यम से योजनाओं एवं दस्तावेजों का सुव्यवस्थित रख-रखाव संभव हो सकेगा। 
  5. सूचनाएं सीधे संबद्ध व्यक्ति तक पहुँच सकेगी और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो सकेगी, जो शोषण का एक कारक है। 
  6. ज्ञान-आधारित भारत के निर्माण में ई-गवर्नेंस एक महत्वपूर्ण कारक है।

ई-गवर्नेंस या ई-शासन 

नागरिकों, व्यावसायियों, कर्मचारियों और सरकारों को सरकारी सूचना एवं सेवाएं देने के लिए संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है। जिसके तहत वर्तमान व्यवस्था या प्रणाली की दक्षता में सुधार लाना ताकि धन एवं समय बचाया जा सके। मान लीजिये एक बोझिल दस्तावेजी प्रणाली से हट कर यदि किसी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली पर कार्य किया जाये तो यह प्रणाली जनशक्ति की आवश्यकता को कम कर सकती है और कार्य परिचालन लागत भी घट सकती है।
  1. ई-शासन से कम समय में काम हो जाता है क्योंकि उसमें कार्य मशीन (कम्प्यूटर) द्वारा होता है। इसके अलावा काम कहीं से, कभी भी कराया जा सकता है।
  2. ई-शासन से सेवा कार्य या सेवा की दक्षता बढ़ जाती है।
  3. ई-शासन से सेवा की गुणवत्ता में सुधार होता है। उदाहरण के लिए सबसिडी का सीधे हितग्राही के बैंकखाते में जाने से यह सुनिश्चत होता है कि किसको लाभ मिल रहा है। 
  4. ई-शासन से भ्रष्टाचार कम होता है, खुलापन आता है, सरकार में विश्वास बढ़ता है। बिचौलिये या दलाल बीच में नहीं आते। 
  5. ई-शासन से सुधार (रिफॉर्म) को बढ़ावा मिलता है।
  6. ई-शासन से कार्य की लागत में कमी आती है। सरकारों का अधिकाँश खर्च कागजों (स्टेशनरी) पर होता था। इसके अलावा सामान्य जनता को अपने घर से किसी सरकारी कार्यालय में आने-जाने में बहुत-सा पैसा खर्च करना पड़ता था। जिसमें कमी आयी है।
  7. ई-शासन में पारदर्शिता बढ़ जाती है। सारी सूचना सामने होती है। इसमें सारे आँकड़े सदा उपलब्ध होते है। अत: कभी भी उन आँकड़ों का विश्लेषण किया जा सकता है और उसके आधार पर सही निर्णय लिया जा सकता है और सही नीतियाँ बनायी जा सकती है। 
  8. ई-शासन से नये व्यवसाय और नये अवसरों का सृजन होता है। 
  9. ई-शासन के द्वारा एक सर्वनिष्ठ डेटाबेस बन जाता है जिसका उपयोग अनेक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। 
  10. सरकारी कर्मचारियों ने कुल कितना काम किया इसका पता सीधे चल जाता है इससे कर्मचारियों को कार्य वितरण अधिक अच्छे ढंग से किया जा सकता है ताकि कोई कर्मचारी बहुत कम काम न करे और कोई बहुत अधिक काम न करे। 
  11. राजस्व प्रशासन जो कि नियामकीय प्रशासन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ई-गवर्नेस के प्रयोग से दस्तावेजों में कमी आई है तथा कार्यशैली आसान हो गई है। विभिन्न प्रकार के कर जो कि सरकारी राजस्व के महत्वपूर्ण स्त्रोत है। इन करों को आँकड़ों के रूप में ई-गवर्नेंस के माध्यम से आसानी से एवं लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है जिससे इसकी उपयोगिता सिद्ध होती है। 
  12. ई-गवर्नेंस के माध्यम से राजस्व प्रशासन में विभिन्न प्रकार की भूमियों एवं भू-जोतों का कम्प्यूटरीकरण कर देने से इनका रख-रखाव आसान हो गया है जिससे कार्य भार में कमी आती है तथा समय एवं श्रम की बचत होती है। 
  13. ई-गवर्नेंस ने भूमि के पंजीकरण को आसान बनाया है जिससे जाली दस्तावेजों में कमी आई है तथा जालसाजी से छुटकारा मिला है। आज मनुष्य विश्व के चाहे किसी भी कोने में बैठा हो अपनी भूमि की जमाबंदी नकल निकाल सकता है तथा ऑनलाइन कार्य तथा करों की अदायगी कर सकता है। 
  14. ई-गवनेर्ंस के माध्यम से राज्य की व्यर्थ एवं उपजाऊ भूमि का रिकॉर्ड आसानी से एवं लम्बे समय तक रखा जा सकता है तथा यह पद्धति भू-आवंटन को आसान व सरल बनाती है क्योंकि इसमें आपको फील्ड में जाने के बजाय स्थानीय स्तर पर ही भूमि का आवंटन कर यथास्थिति से अवगत करा दिया जाता है। वर्तमान में शहीदों, उनके परिवारों, खिलाड़ियों या कुछ अन्य विशिष्ट लोगों को भूमि का आवंटन ई-गवर्नेंस के माध्यम से ही हो रहा है। 
 इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ई-गवर्नेंस ने राजस्व प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

3 Comments

  1. आपके इस लेख से आम व्यक्ति भी जान पायेगा की के गवर्नेन्स या ई शासन क्या है क्योंकि इस समय TV,अखबार ,रेडियों में किसी भी चर्चा वाले कार्यक्रम में के गवर्नेस शब्द का बार बार प्रयोग किया जाता दिखाई देता है।

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  2. आपके इस लेख से आम व्यक्ति भी जान पायेगा की के गवर्नेन्स या ई शासन क्या है क्योंकि इस समय TV,अखबार ,रेडियों में किसी भी चर्चा वाले कार्यक्रम में के गवर्नेस शब्द का बार बार प्रयोग किया जाता दिखाई देता है।

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