बहुजन समाज पार्टी का गठन कब हुआ इसके उद्देश्य क्या है ?

कांशीराम ने डॉ0 भीम राव अम्बेडकर की जयन्ती पर 14 अप्रैल 1984 को बहुजन समाज पार्टी स्थापना की। बहुजन समाज जिसमें दलित, आदिवासी, पिछड़ी जातियाँ धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल हैं जिनके द्वारा राजनीतिक सत्ता पाने का प्रयास और उनका प्रतिनिधित्व करने का दावा। पार्टी, साहू, महाराज, महात्मा फुल्ले, पेरियार रामास्वामी नायकर और बाबा साहब अंबेडकर के विचारों और शिक्षाओं से प्रेरणा लेती हैं। दलितों और कमजोर वर्ग के लोगों के कल्याण और उनके हितों की रक्षा के मुद्दों पर सबसे ज्यादा सक्रिय इस पार्टी का मुख्य आधार उत्तर प्रदेश में है, पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड , दिल्ली और पंजाब में भी यह पार्टी पर्याप्त ताकतवर है।

बहुजन समाज पार्टी का गठन 

कांशीराम ने डॉ0 भीम राव अम्बेडकर की जयन्ती पर 14 अप्रैल 1984 को बहुजन समाज पार्टी नामक एक राजनीतिक पार्टी की विधिवत स्थापना की। इस प्रकार बहुजन समाज को राजसत्ता पर काविज करने के लिए बहुजन समाज पार्टी के रूप में एक ऐसे राजनीतिक दल की स्थापना हुई, जिसमे नेतृत्व से लेकर साधारण कार्यकर्ता तक दलित वर्ग का नियंत्रण था। इस देश में पहले से ही बहुत सी पार्टियाँ है जिसमें छ: राष्ट्रीय स्तर की पार्टियाँ हैं लेकिन प्राय: सभी राष्ट्रीय पार्टियों की बागडोर सवर्ण जातियों के हाथों में रही है जिन्हें वे अपने-अपने हित में चलाते रहे है। दलित शोषित वर्ग को इन पार्टियों द्वारा सदैव से ही गुमराह किया जाता रहा है। कांशीराम ने दलितों शोषित को एक सूत्र में बांधने तथा उनको उनका राजनीतिक हक दिलाने के लिए ही बसपा का गठन किया। 

बहुजन समाज पार्टी का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन लाल किले के सामने वाले मैदान में 23 व 24 जून 1984 को हुआ।
‘बहुजन समाज अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों से बना है। बहुजन समाज के लोगों की संख्या इस देश की आबादी का 85 प्रतिशत है, इसलिए इस दलित शोषित समाज को हम बहुजन समाज कहते है। यह समाज कोई अपने आप नहीं बना है। ब्राह्मणवाद के आधार पर जिस व्यवस्था का निर्माण हुआ उस समाज रचना के आधार पर इन जातियों को गिराया गया तथा इसके साथ धोखा और अपमान हुआ है। 

बहुजन समाज ऐसी छ: हजार जातियों का समाज है। वैसे इस समाज को बताते समय हम जाति-पाति की बाते करते है परन्तु इसका मतबल यह नहीं है कि इस पार्टी को बनाने वाले बहुजन समाज के लोग जातिवादी है।’’

बहुजन समाज पार्टी का उद्देश्य

बहुजन समाज की आवाज को बुलन्द करना तथा संसदीय राजनीति में इनकी सक्रियता सुनिश्चित करना बसपा का उद्देश्य है। पार्टी के गठन की घोषणा के समय इसके निम्नलिखित उद्देश्य बताये गये-
  1. बहुजन समाज के सम्पूर्ण शोषण और दमन के खिलाफ बगावत करना ही बहुजन समाज पार्टी का उद्देश्य है।
  2. जिस दलित मजलूम का आज तक आंसू नहीं पोछा गया ऐसे लोगों के आंसू पोछने का कार्य बहुजन समाज पार्टी करेगी।
  3. बहुजन समाज पार्टी वह पार्टी है जो मनी, माफिया और मीडिया को आधार बनाकर राजनीति नहीं करती है।
  4. बहुजन समाज पार्टी वह पार्टी है जो ब्राह्मणवादी व्यवस्था के आधार पर 6747 जातियों में से 256 उपजातियों में विभाजित लोगों को एक करने का कार्य करेगी।
  5. बहुजन समाज पार्टी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति, अल्पसंख्यक वर्ग, मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध, पारसी, जैन जिसकी संख्या 85 प्रतिशत है जो अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करते उन्हें सुरक्षा प्रदान करना है।

सन्दर्भ -
  1. बसपा केन्द्रीय कार्यालय द्वारा प्रकाशित एवं प्रचारित, वैदिक मुद्रालय नई दिल्ली -1989.
  2. कु0 मायावती : ‘मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन मूवमेन्ट का सफरनामा भाग-3’, बसपा केन्द्रीय कार्यालय, नयी दिल्ली- 15 फरवरी, 2008, पृ0 1094.
  3. कु0 मायावती : ‘मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन मूवमेन्ट का सफरनामा’ बसपा केन्द्रीय कार्यालय, नई दिल्ली-2008, पृ0 1094-1095.
  4. कु0 मायावती : ‘ मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन मूवमेन्ट का सफरनामा’ बसपा केन्द्रीय कार्यालय, नई दिल्ली- 2008, पृ0 1094-1095.
  5. हिन्दुस्तान समाचार पत्र : वाराणसी संस्करण, रविवार 17 मई, 2009, पृ0 2.
  6. निर्वाचन आयोग, नयी दिल्ली द्वारा घोषित परिणाम, दैनिक जागरण समाचार पत्र, वाराणसी, संस्करण, 17 मई 2014.

1 Comments

  1. क्या बहुजन समाजवाद बोध धर्म को मानता हैं

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