भारतीय जनता पार्टी की स्थापना कब और किसने की?

भारतीय जनता पार्टी की स्थापना

लालकृष्ण आडवाणी द्वारा 6 अप्रैल 1980 को दिल्ली में जनता पार्टी के ऐसे सदस्यों का एक सम्मेलन बुलाया गया जो दोहरी नागरिकता के प्रश्न को एक सही मुद्दा नहीं मानते थे। सम्मेलन में शामिल लगभग 4000 प्रतिनिधियों ने जनसंघ के पुनरूत्थान के स्थान पर एक नये राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। इस नये राजनीतिक दल का अध्यक्ष श्री अटल बिहारी वाजपेयी को बनाया गया। 

लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोषी, सिकन्दर बख्त को दल का महासचिव बनाया गया, इस नये राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी में जहाँ भूतपूर्व जनसंघ के सदस्य शामिल हुए वही ऐसे सदस्य भी शामिल हुए जिनका जनसंघ तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं था जैसे सिकन्दर बख्त, रामजेठ मलानी, शान्ति भूषण के0 एस0 हेगड़े आदि। 

भारतीय जनता पार्टी ने ‘जय प्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति तथा महात्मा गांधी के विचारों के संश्लेषण केा अपना आदर्श बनाया तथा राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय समन्वय, लोकतंत्र, प्रभावकारी धर्म निरपेक्षता, गांधीवादी समाज और सिद्धांतों पर आधारित राजनीति को अपनी आधारभूत नीति बनायी।

भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि जो सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन राजनीति में सक्रिय नहीं है। ऐसे संगठनों के सदस्य बिना अपने संगठन की सदस्यता छोड़े भारतीय जनता पार्टी का सदस्य बन सकते है और जब तक वे पार्टी के संविधान, विचारधारा और कार्यक्रम में आस्था रखेंगे उन सदस्यों की सदस्यता को पार्टी के सदस्यता के प्रतिकूल नहीं माना जायेगा।

पार्टी ने बड़े राज्यों के स्थान पर कुषल प्रशासन और नियोजित विकास के लिए छोटे राज्यों की आवश्यकता पर बल दिया लेकिन यह भी घोषणा की गयी कि इस नीति को राजनीतिक गतिविधि और चुनावी मुद्दा नहीं बनाया जायेगा। भारतीय जनता पार्टी में खास तौर से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद के लोगों का आधिक्य है तथा पार्टी को व्यापारियों, शहरी मध्यम वर्ग, युवकों तथा बुद्धिजीवियों का समर्थन प्राप्त है। लेकिन अब इसके समर्थन का आधार और विस्तृत हो चुका है और इससे हर वर्ग के लोग जुड़ रहें है।

1980 ई0 में हुए राज्यों के विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को उतनी सफलता नहीं मिली जितनी अपेक्षित थी लेकिन जनता पार्टी के अन्य अवयवों में सर्वाधिक 149 सीटे  मिली। इसी प्रकार मई 1982 के लोकसभा उपचुनाव में इसे 7 में से दो सीटें मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से प्राप्त हुई। अप्रैल 1983 में भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चे की रणनीति को स्वीकार करत े हुए लोक दल के साथ गठबन्धन कर लिया लेकिन यह गठबन्धन 1984 के चुनाव के पहले ही टूट गया।

1984 के आठवीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अपने चुनावी घोषणा-पत्र के साथ 221 स्थानों पर चुनाव लड़ी लेकिन उसके मात्र दो ही उम्मीदवार विजयी हो पाये। भाजपा के अध्यक्ष श्री अटल बिहारी वाजपेयी भी चुनाव हार गये। जून 1987 के हरियाणा विधान सभा चुनाव में पार्टी को सफलता मिली और पार्टी हरियाणा में साझा सरकार बनाने में सफल रही। 1989 के नौवीं लोकसभा के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 227 सीटो के लिए चुनाव लड़ी उसके 86 प्रत्याशी विजयी हुए, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और हिमांचल प्रदेश में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई और भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के बिना सरकार बनाना मुश्किल था। 

भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से वी0 पी0 सिंह और राष्ट्रीय मोर्चे की सरकार बनी और फरवरी 1990 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमांचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार अस्तित्व में आयी।

1991 के दसवीं लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सबसे अधिक सफलता मिली, उसे कुल 120 सीटें तथा 20 प्रतिषत मत मिले, गुजरात में पार्टी को 26 में से 20 सीटें मिली। ग्यारहवीं लोकसभा के आम चुनाव 1996 में महाराष्ट्र में शिवसेना, बिहार में समता पार्टी, हरियाणा में हरियाणा विकास पार्टी के साथ चुनावी समझौते के आधार पर भाजपा ने चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 161 सीटें तथा 20.3 प्रतिषत मत प्राप्त करके सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में राष्ट्रपति ने सबसे बड़ी पार्टी का नेता होने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी को 6 मई 1996 ई0 को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलायी। यद्यपि पार्टी को शिवसेना तथा हरियाणा विकास पार्टी का समर्थन प्राप्त था लेकिन भाजपा बहुमत सिद्ध करने में असफल रही और मात्र 200 सीटों पर सीमट गयी जो स्पष्ट बहुमत से 70 सीटें कम थी।

12वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव 1998 में भारतीय जनता पार्टी ने ‘स्थिर सरकार एवं योग्य प्रधानमंत्री’ का नारा दिया। 179 सीटें प्राप्त कर भारतीय जनता पार्टी एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरी तथा श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठबन्धन सरकार बनाने में सफल रही। 13वीं लोकसभा 1999 में भारतीय जनता पार्टी ने अलग से अपना कोई घोषणा-पत्र जारी नहीं किया। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का प्रमुख घटक होने के कारण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन के घोषणा पत्र के आधार पर ही चुनाव लड़ी और 182 सीटें प्राप्त कर श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनायी। 

1999 के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन के घोषणा-पत्र में निम्नलिखित बिन्दुओं को प्रमुख स्थान प्राप्त था।
  1. विदेशी मूल के लोगों को विधायिका, न्यायपालिका तथा कार्यपालिका में उच्च पद दने े में पाबन्दी।
  2. लोकसभा अपना कार्यकाल पूरा कर सके इसकी पक्की व्यवस्था हो। 
  3. घरेलू उद्योगों को खास महत्व।
  4. नई सूचना प्रौद्योगिकी नीति।
  5. स्वरोजगार और महिलाओं के उद्यमों को कर्ज सुलभ कराने के लिए बैंकों की स्थापना।
  6. राष्ट्रीय बचत को सकल घरेलू उत्पाद के 24 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करना।
  7. योजना राशि का 60 प्रतिशत धनराशि कृशि एवं ग्रामीण विकास पर खर्च किया जाय।
  8. निजी आपरेटरों को नियंत्रित करने के लिए प्रसारण विधेयक।
28-30 दिसम्बर 1999 केा भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद ने अपनी चेन्नई बैठक में नवीन घोषणा पत्र को मंजूरी दी जिसमें राम जन्मभूमि सहित सभी विवादित मुद्दों को दरकिनार कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के एजेण्डे केा निष्ठापूर्वक लागू करने का निर्णय किया गया। प्रारूप में कहा गया कि हर कार्यकर्ता को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन के एजेण्डे को छोड़कर पार्टी का अपना कोई एजेण्डा नहीं है। अल्पसंख्यकों के बारे में पार्टी के रूख को स्पष्ट करते हुए घोषणा-पत्र में कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी कभी एक दूसरे के धर्म में मतभेदों को राष्ट्र निर्माण के मार्ग में बाधक नहीं बनने देगी।

14वीं लोक सभा चुनाव (2004) में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आठ माह पूर्व ही लोकसभा के विघटन की अनुशंसा कर नयी लोकसभा की पृष्ठभूमि तैयार की। भारतीय जनता पार्टी ‘भारत उदय’ की बात के साथ चुनाव लड़ी और 182 सीटों से खिसक कर 138 सीटों पर सिमट गयी।

15वीं लोकसभा 2009 में भारतीय जनता पार्टी को 21.36 प्रतिशत वोटों के साथ 116 सीटें प्राप्त हो सकी।’’ कांग्रेस ने 206 सीटें जीतकर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में ‘संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन-दो’ की सरकार बनायी। भारतीय जनता पार्टी अपने निराशाजनक प्रदर्शन से असंतुष्ट थी।

16वीं लोकसभा चुनाव 2014 में भारतीय जनता पार्टी वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को विकास पुरूश के रूप में प्रस्तुत कर उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ी। अपने स्थापना से लेकर अब तक के सबसे क्रांतिकारी प्रदर्शन के साथ भारतीय जनता पार्टी को 282 सीटें प्राप्त हुई।
 
संदर्भ-
  1. Statical Report on General Election -2009, 2014 Election Commission of India New Delhi. 30
  2. इण्डिया टुडे मार्च 1999, नई दिल्ली।

Post a Comment

Previous Post Next Post