कार्बोहाइड्रेट्स के प्रमुख स्रोतों के नाम, कार्बोहाइड्रेट कार्य करता है

आहार में ऊर्जा का अधिकतर भाग कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) से ही लिया जाता है। सामान्य रूप से 55 से 65 प्रतिषत ऊर्जा का भाग कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) के द्वारा लिया जाना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) का निर्माण पेड़-पौधों की हरी पत्तियों के द्वारा होता है। पेड़-पौधे भूमि से जल तथा वातावरण से कार्बन डाई ऑक्साइड लेकर सूर्य के प्रकाश में कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) का निर्माण करते हैं। 

इस क्रिया में पौधों में उपस्थित क्लोरोफिल की उपस्थिति अनिवार्य है। यह क्रिया फोटोसिन्थेसिस या प्रकाश संश्लेषण कहलाती है। पत्तियों के द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रारम्भ करते ही उसमें फिर कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) स्टार्च के रूप में संग्रहित होने लगता है।

यह संग्रह पौधे के फूल, फल, तना, बीज व मुख्य रूप में जड़ में होता है।

कार्बोहाइड्रेट के स्रोत

सभी भोज्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) होता है। कुछ भोज्य पदार्थ जिन्हें ऊर्जा भोज्य पदार्थों के नाम से जाना जाता है। विषेश रूप से कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) के मुख्य साधन होते हैं। जैसे- विभिन्न अनाज आटा या रोटी, शकरकंद तथा आलू। निर्धन व्यक्ति मुख्य रूप से रोटी से ही कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) प्राप्त करते हैं। 

भोज्य पदार्थों में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) की मात्रा को ध्यान में रखते हुए भोज्य पदार्थों को निम्न क्रम में रखा जा सकता है -
  1. शक्कर, गुड, चीनी, शहद।
  2. समस्त अनाज जैसे- गेहूँ, मक्का, चावल, चना।
  3. सूखे फल जैसे- किशमिश, मुनक्का, खजूर, अंजीर।
  4. समस्त दालें
  5. मूँगफली, अखरोट, बादाम, काजू।
  6. आलू, शकरकंदी अरबी व जिमीकंद।
  7. सोयाबीन, सूखे मटर, सेम के बींज
  8. केला तथा अन्य ताजे व मीठे फल।
  9. दूध, छेना, अण्डा,संतरा, टमाटर। 
  10. विभिन्न साक व भाजियां।
भारतीय आहार में अधिकांशतः: गेहूँ चावल तथा आलू मुख्य रूप से शामिल रहते हैं। औसतन व्यक्ति अपनी ऊर्जा की आवश्यकता का 90 प्रतिषत भाग कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) से लेता है।

कार्बोहाइड्रेट के स्रोत
कार्बोहाइड्रेट के स्रोत


शरीर में कार्बोहाइड्रेट के कार्य

  1. कार्बोहाइड्रेट का प्रमुख कार्य शरीर के लिए ऊर्जा देना है -एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) 4 कैलरी ऊर्जा देता है। परन्तु ऊर्जा की आवश्यकता पूरा करने के लिए ग्लूकोज विषेश रूप से महत्वपूर्ण होता है।
  2. नाड़ी संस्थान के लिए आवश्यक - कोशिकाएँ तथा फेफड़े की कोशिकाएँ ग्लूकोज अणुओं को ईंधन स्रोत के रूप में प्रयोग करती है क्योंकि ग्लूकोज की कुछ मात्रा अमीनो अम्ल तथा वसा द्वारा बनाई जाती है।
  3. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) का तीसरा प्रमुख कार्य प्रोटीन की बचत करना है- जब हम अपनी ऊर्जा की आवश्यकतानुसार कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) लेते हैं तो ऊर्जा हमें प्रोटीन से नहीं लेनी पड़ती तथा इस तरह प्रोटीन अपना मुख्य निर्माण का कार्य करता रहता है।
  4. आहार में कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) की एक निश्चित मात्रा वसा के ऑक्सीकरण को सामान्य रखने के लिए आवश्यक होती है।
  5. भार की दृष्टि से शरीर में कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) की मात्रा बहुत कम होती है पर इसका जैवकीय महत्व बहुत होता है। जैसे- न्यूक्लिएक एसिड, नाड़ी ऊतकों का गेलेक्टोसाइड बंधक ऊतकों का मैटिक्ल आदि।
  6. लैक्टोज अन्य शर्कराओं की अपेक्षा कम घुलनशील होने के कारण आंत में अधिक समय तक उपस्थित रहता है जिससे कुछ लाभदायक बैक्टिरिया उत्पन्न होते हैं जो कि हमारे शरीर में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स का निर्माण करते हैं।
  7. कैल्शियम के अवशोषण में सहायक - लैक्टोस की उपस्थिति में आंत की कोशिकाओं की कैल्षियम को अवषोशित करने की क्षमता बढ़ जाती है तथा इस प्रकार कैल्षियम का अवशोषण बढ़ जाता है।
  8. पाचन संस्थान को स्वस्थ बनाना - अपचनषील कार्बोहाइड्रेज जैसे- सैल्यूलोज, हेमी सैल्यूलोज तथा पैक्टिन जिनका कोई पोषण मूल्य नहीं है। आमाषय आंत्र मार्ग को मांसपेशियों की क्रमांकुंचन गति को उत्तेजित करते हैं।

कार्बोहाइड्रेट की अधिकता से होने वाले रोग

भारतीय औसतन आहार में कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) की अधिकता बहुत सामान्य सी बात है क्योंकि अधिकतर व्यक्ति अज्ञानता के कारण रोटी, चावल, आलू आदि पर ही निर्भर रहते हैं। कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) जब बहुत अधिक मात्रा में लिया जाता है तो अभिषोशित ग्लूकोज की अतिरिक्त मात्रा शरीर में ग्लाइकोजन वसा के रूप में यकृत व मांसपेशियों में एकत्रित हो जाती है। बाद में ग्लाइकोजन वसा के रूप में त्वचा के नीचे चर्बी की परत के रूप में एकत्रित हो जाता है और शरीर का मोटापा बढ़ता है। इसी मोटापे की अधिकता से ओबेसिटी रोग कहलाता है।

कार्बोहाइड्रेट के कार्य व लाभ

कार्बोहाइड्रेट के कार्य व लाभ हैं -
  1. ऊर्जा तथा ऊश्णता प्रदान करना मुख्य कार्य है।
  2. इसके एक ग्राम से 4 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
  3. वसा की अपेक्षा अधिक सरलता एवं पूर्ण रूप से पाचन योग्य है।
  4. शरीर के ऊतकों के निर्माण एवं मरम्मत के लिए प्रोटीन की बचत का साधन है।

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