शिक्षक का महत्व, शिक्षक के उत्तरदायित्व और गुण

शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूज्यनीय रहा है। कोई उसे गुरू कहता है, कोई शिक्षक कहता है, कोई आचार्य कहता है, तो कोई अध्यापक या टीचर कहता है। ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं जो सभी को ज्ञान देता है और सिखाता है। 

किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य के निर्माण में एक शिक्षक का योगदान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। शिक्षक ज्ञान, समृद्धि और प्रकाश का एक बड़ा स्रोत होता है जिससे कोई भी जीवनभर के लिए लाभ प्राप्त कर सकता है। बालक के सर्वांगीण विकास में शिक्षक को बड़ा ही महत्वपूर्ण कार्य करना पड़ता है। 

शिक्षक ही वास्तव में बालक का समुचित शारीरिक, मानसिक बौद्धिक, सामाजिक एवं संवेगात्मक विकास कर सकता है। विद्यालय प्रांगण में भी शिक्षक को अति महत्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ती है। 

शिक्षक का महत्व

विद्यालय-जीवन में शिक्षक को अतिमहत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। शिक्षक को विद्यालय जीवन में ही क्यों, सम्पूर्ण समाज में अतिमहत्वपूर्ण एवं सम्मानप्रद स्थान प्राप्त है। शिक्षक का महत्व इस प्रकार है।
  1. शिक्षक भविष्य निर्माता होता है।
  2. शिक्षक राष्ट्र का मार्गदर्शक होता है।
  3. शिक्षक का राष्ट्र की उन्नति में महत्वपूर्ण स्थान होता है।
  4. शिक्षक संस्कृति का पोषक होता है।
  5. शिक्षक शिक्षा का रक्षक होता है।
वास्तव में बालकों के शारीरिक मानसिक तथा सामाजिक एवं नैतिक विकास में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। वह अपने सदप्रयासों से बालकों का सफल मार्गदर्शन कर उसके व्यक्तित्व का सन्तुलित विकास कर उसे सफल नागरिक बनाता है। इस रूप में वह न केवल बालक का ही कल्याण करता है वरन् समुचे समाज तथा राष्ट्र की भलार्इ करता है। इसलिए तो भारतीय दर्शन में उसे बाह्म का रूप दिया गया है। यह ब्रह्म स्वरूप शिक्षक ही सृजनात्मक तथा विध्वंसात्मक शक्तियों का प्रदाता तथा स्रोत है। 

इसी की प्रदत शिक्षा के आधार पर हम कल्याणकारी तथा विनाशकारी शक्तियों का निर्माण करते है। इसलिये कहा जाता है कि यदि विनाश पर आ जाये तो शिक्षक एक चिकित्सक भवन निर्माता तथा पुजारी से भी अधिक विनाश कर सकता है। एक शिक्षक के प्रभाव का कहां अन्त होगा, कहा नहीं जा सकता क्योंकि वह अपने छात्रों पर अपने प्रभावों की अमिट छाप छोड़ देता है। 

इस प्रकार से अध्यापक का चरित्र और व्यवहार समाज के लिए महत्वपूर्ण होता है।

शिक्षक के उत्तरदायित्व

अध्यापक को परिस्थितियों के अनुसार अनेक कार्य करने पड़ते है। उनको वह लगन से कर सकता है अथवा उपेक्षा की दृष्टि से। किन्तु शिक्षक से आशा की जाती है कि निम्न कार्यों को पूरा करने हेतु प्रयास करेगा-
  1. छात्रों का शैक्षिक एवं चारित्रिक विकास करना।
  2. कक्षा का प्रबन्ध एवं समुचित शिक्षण देना।
  3. छात्रों के कार्यों का मूल्यांकन करना।
  4. पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं का संचालन करना।
  5. छात्रों का व्यावसायिक विकास करना।
  6. सामाजिकता एवं नागरिकता की शिक्षा देना।

आदर्श शिक्षक के गुण 

एक आदर्श शिक्षक के अनेक विशेष गुणों का होना आवश्यक है। इन समस्त गुणों को हम दो भागों में विभक्त कर सकते हैं।
  1. वैयक्तिक गुण
  2. व्यावसायिक गुण

शिक्षक के वैयक्तिक गुण 

  1. उच्च चारित्रिक गुण
  2. उत्तम शरीर
  3. सन्तुलित व्यक्तित्व
  4. संवेगात्मक स्थिरता
  5. नेतृत्व शक्ति
  6. सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार
  7. आशावादी दृष्टिकोण

शिक्षक के व्यावसायिक गुण 

  1. विषय का ज्ञाता
  2. व्यवसाय के प्रति आस्था
  3. व्यवसायिक प्रशिक्षक
  4. मनोविज्ञान का ज्ञान
  5. अच्छी वाकशक्ति
  6. पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं में रूचि
  7. अध्ययनशीलता
उपर्युक्त गुणों के अलावा कुछ अन्य गुण भी आदर्श शिक्षक को लाभ पहुंचाते है, जैसे- प्रयोग एवं अनुसंधान में रूचि सहायक सामग्री के निर्माण तथा प्रयोग में रूचि तथा योग्यता, प्रश्न कला शिक्षण पद्धतियों का ज्ञान।

Bandey

मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता (MSW Passout 2014 MGCGVV University) चित्रकूट, भारत से ब्लॉगर हूं।

2 Comments

Previous Post Next Post