ओजोन छिद्र क्या है ओजोन छिद्र का क्या कारण है?

ओजोन छिद्र क्या है

ओजोन छिद्र उस ओजोन परत के उस भाग को कहते हैं जहाँ वह परत झीनी पड़ गई है। यह छिद्र ध्रुवीय प्रदेशों के ऊपर स्थित है। अगर ओजोन की यह चादर और पतली हो गई तो धरती में गर्मी बढ़ेगी और पराबैंगनी किरण (ultraviolet rays UV) समस्त प्राणियों और वनस्पतियों को मुश्किल में डाल देगी। ध्रुवों की बर्फ पिघल जाएगी, जिसके चलते समुद्र के पानी का स्तर ऊपर आएगा और फलतः तटवर्ती क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ जायेंगे। चर्म कैंसर के मामले ओजोन छिद्र के कारण बढ़ें हैं।

ओजोन छिद्र क्या है ?

पृथ्वी के किसी भू-भाग के ऊपरी वायुमण्डली की ओजोन परत में ओजोन गैस के घनत्व कम होने की घटना को ओजोन छिद्र कहते हैं। मानव द्वारा कुछ रसायनिक प्रदूषणों को उत्पन्न करने से इस प्राकृतिक रक्षा कवच से छिद्र उत्पन्न हो रहे हैं। एक वैज्ञानिक अनुमान के अनुसार ओजोन छिद्र में एक सेंटीमीटर वृद्धि होने से 40 हजार व्यक्ति पराबैगनी किरणों के विनाशकारी प्रभाव की चपेट में आ जाते है। 

सन् 1984 में वैज्ञानिकों ने दक्षिण ध्रुव के ऊपर ओजोन परत में 4 किलोमीटर व्यास के ओजोन छिद्र का पता लगाया। अब यह छिद्र न्यूजीलैण्ड और आस्टे्रलिया की ओर बढ़ रहा है। 

यहाँ मनुष्यों एवं पशुओं के शरीर में लाल चकते, त्वचा कैंसर आदि व्याधियाँ बढ़ रही है। तथा तापमान में वृद्धि हो रही है।

ओजोन छिद्र के कारण

वैज्ञानिकों ने ओजोन परत के क्षरण लिये जिम्मेदार निम्नलिखित कारणों की खोज की है-
  1. वायुमण्डल में प्राकृतिक रूप में विद्यमान नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO) ।
  2. ज्वालामुखियों के विस्फोट से निकली क्लोरीन गैस।
  3. बमों के विस्फोट से निकली गैस।
  4. परमाणु केन्द्रों से उत्सर्जित विकिरण।
  5. मानव निर्मित फ्लोरो कार्बन (सी0एफ0सी0) यौगिक।
ओजोन परत के क्षरण के लिए सी0एफ0सी0 यौगिकों का उपयोग निम्नलिखित उद्योगों से होता है।
  1. रेफ्रेजीरेटर उद्योग में प्रषीतक के रूप में।
  2. वातानुकूलन में।
  3. इलेक्ट्रोनिक एवं ओप्टिकाम उद्योग में।
  4. प्लास्टिक व फार्मेसी उद्योग में व्यापक रूप में।
  5. परफ्यूम व फोम उद्योग में।
सी0एफ0सी0 पृथ्वी के निचले वातावरण में बिना अपघटित हुये 100 वर्ष तक मौजूद रह सकते है। जब ये समताप मण्डल में पहुँचते हैं तो वहाँ सूर्य के पराबैगनी विकिरण द्वारा प्रकाषीय विघटन प्रक्रिया द्वारा क्लोरीन परमाणु मुक्त करते हैं ये क्लोरीन परमाणु ही ओजोन परत के प्रमुख शत्रु हैं। क्लोरीन परमाणु ओजोन अणु को विघटित कर ऑक्सीजन तथा क्लोरीन मोनो-ऑक्साइड बनाते हैं। क्लोरीन का एक परमाणु ओजोन गैस के एक लाख अणुओं को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। यही रसायनिक अभिक्रिया ओजोन छिद्र का कारण है। 

यह रसायनिक अभिक्रियाएँ कम ताप पर सम्पन्न होती है। इसके लिए तापमान शून्य से 80 डिग्री कम होना चाहिए। धु्रवों पर तापमान काफी कम होता है। यही कारण है कि ओजोन छिद्र, ध्रुव के ऊपर पैदा हुआ।

ओनाल्ड के अनुसार धु्रवीय चक्रवात भी ओजोन के विनाष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उत्तरीय ध्रुव पर धु्रवीय चक्रवात देर तक नहीं ठहरते। दक्षिण धु्रवीय चक्रवात महाद्वीप की ऊपरी सतह पर बनते हैं। तथा देर तक ठहरते हैं। चक्रवात ओजोन से भरी धारा को उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों की ओर ले जाते हैं दक्षिण ध्रुव के ऊपर ओजोन छिद्र बनने का कारण वहाँ के शक्तिशाली धु्रवीय चक्रवात भी है।

भारत के ऊपर ओजोन सतह अभी सुरक्षित है। भारतीय भू-भाग के ऊपर ओजोन परत की मोटाई उन देशों से तीन गुना अधिक है, जिनके ऊपर ओजोन छिद्र बन चुका है। भारत में ओजोन स्तर 240 से 350 डाब्सन यूनिट के बीच है। दुनियाँ के तमाम देशों के ऊपर ओजोन स्तर 110 से 115 डाब्सन यूनिट पहुँच गया है। एक डाब्सन इकाई 760 मिलीमीटर पारा दाब तथा शून्य डिग्री सेण्टीगेड तापमान पर 0.1 मिलीमीटर से पीड़ित गैस के बराबर होती है।

सी0एफ0सी0 का उत्पादन एवं उपयोग पिछले एक दषक में तेजी से बढ़ा है, जो भारी चिन्ता का विशय है। विश्व में सी0एफ0सी0 वार्षिक उपयोग 7 लाख 50 हजार मीट्रिक टन है, जिसमें 90 प्रतिषत सी.एफ.सी. का उपयोग विकासशील देशों द्वारा किया जाता है। भारत में रेफ्रीजिरेटर की संख्या लगभग 10 लाख थी। 

80 के दषक में चीन में 5 लाख रेफ्रीजिरेटर का उत्पादन प्रतिवर्ष किया। अब वह 80 लाख रेफ्रीजिरेटर का उत्पादन प्रतिवर्ष कर रहा है। अमेरिका में यह उत्पादन 20 गुना अधिक है, भारत में प्रतिव्यक्ति सी.एफ.सी. खपत 10 ग्राम है जबकि अमेरिका में यह खपत 3000 ग्राम प्रति व्यक्ति है।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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