संवेगात्मक बुद्धि का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ

संवेगात्मक बुद्धि का अर्थ

संवेगात्मक बुद्धि दो प्रत्ययों से मिलकर बना है संवेग और बुद्धि। संवेग का अर्थ है उद्वेलन की अवस्था एवं बुद्धि का अर्थ है विवेकपूर्ण चिन्तन की योग्यता। इस प्रकार संवेगात्मक बुद्धि एक आन्तरिक योग्यता होती है जिसके द्वारा व्यक्ति में संवेगों को महसूस करने, समझने एवं उनका प्रभावपूर्ण नियन्त्रण करने की क्षमता का विकास होता है।

संवेगात्मक बुद्धि वह क्षमता होती है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने संवेगों को पहचानता है, संवेगों का उचित प्रकटीकरण करता है तथा दूसरों के संवेगो को समझकर उसके सामने वैसा ही व्यवहार करता है।

संवेगात्मक बुद्धि से तात्पर्य व्यक्ति की अपनी भावनाओं तथा दूसरों की भावनाओं की पहचान कर सकने की क्षमता से है, जिसकी सहायता से वह अपने को अभिप्रेरित कर सके और अपने अन्दर पाए जाने वाले संवेगों एवं उनके आधार पर बने सम्बन्धों को ठीक से व्यवस्थित कर सके।

संवेगात्मक बुद्धि वह क्षमता होती है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने संवेगों तथा व्यवहार को नियन्त्रित करके एक कुशल व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत होता है।

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संवेगात्मक बुद्धि की परिभाषा 

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने संवेगात्मक बुद्धि को परिभाषित करने का प्रयास किया है परिभाषायें इस प्रकार हैं -

गोलमैन के अनुसार - संवेगात्मक बुद्धि व्यक्ति के स्वयं के एवं दूसरों के संवेगों को पहचानने की वह क्षमता है जो हमें प्रेरित कर सकने और हमारे संवेगों को स्वयं में और अपने संबंधों के दौरान भली प्रकार से साधने में सहायक होती है।

सोलवे मैयर के अनुसार - संवेगात्मक बुद्धि, संवेगों का प्रत्यक्षीकरण करने, उन्हें समझने, उसका प्रबन्धन करने एवं उन्हें प्रयोग में लाने की योग्यता है।

जॉन मेयर और पीटर सेलोवे के अनुसार-’’संवेगात्मक बुद्धि संवेगों को प्रत्यक्षण करने की क्षमता, संवेग के प्रति पहुंच बनाने एवं उसे उत्पन्न करने की क्षमता ताकि चिन्तन में मदद हो सके तथा संवेग एवं संवेगात्मक ज्ञान को समझा जा सके तथा संवेग को चिन्तनषील ढंग से नियमित किया जा सके ताकि सांवेगिक एवं बौद्धिक वर्द्धन को उन्नत बनाया जा सके से होता है।’’

डेनियल गोलमैन के अनुसार- ‘‘संवेगात्मक बुद्धि अपने एवं दूसरों के भावो को पहचानने की क्षमता तथा अपने आप को अभिप्रेरित करके एवं अपने एवं अपने सम्बन्धों में संवेग को प्रबन्धित करने की क्षमता है। संवेगात्मक बुद्धि द्वारा उन क्षमताओं का वर्णन होता है जो शैक्षिक बुद्धि या बुद्धि लब्धि द्वारा मापे जाने वाले पूर्णत: संज्ञानात्मक क्षमताओं से भिन्न परन्तु उसके पूरक होते हैं।’’

एस. हेन के अनुसार - संवेगात्मक बुद्धि एक मानसिक क्षमता है जिसके साथ हम जन्म लेते हैं, जो हमे संवेगात्मक रूप से संवेदनशीलता तथा हमारी क्षमताओं को संवेगात्मक समझ प्रदान करती है।

हाइन के अनुसार - संवेगात्मक बुद्धि संवेगों को अनुभव करने, प्रयोग करने, उन्हें सम्प्रेषित करने, पहचानने, स्मरण करने, उससे सीखने, उसके प्रबन्धन एवं अवबोध की जन्मजात सामर्थ्य है।

बार-ऑन के अनुसार- ‘‘संवेगात्मक बुद्धि द्वारा वह क्षमता परिवर्तित होती है जिसके माध्यम से दिन-प्रतिदिन के पर्यावरणी चुनौतियों के साथ निपटा जाता है और जो व्यक्ति की जिन्दगी में पेशेवर तथा व्यक्तिगत कार्य भी सम्मिलित है, सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।’’

संवेगात्मक बुद्धि की विशेषताएँ

  1. सार्वभौमिक योग्यता है।
  2. व्यक्ति की एक जन्मजात योग्यता है।
  3. व्यक्ति के प्रत्येक क्रियाकलापों को प्रभावित करती है।
  4. संवेगात्मक बुद्धि में व्यक्तिगत भिन्नता पाई जाती है।
  5. संवेगात्मक बुद्धि का सम्बन्ध न केवल अपने संवेगों को समझने से है वरन् दूसरे के संवेगों को उचित रूप में समझने से भी है।
  6. एक अमूर्त प्रत्यय है जो मनौवैज्ञानिक निर्मित है।
  7. व्यक्ति में निहित गुणों व योग्यताओं के साथ ही संवेगात्मक बुद्धि भी उसकी उपलब्धियों के अर्जन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

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