जनसंचार के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम क्या है?

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आज विश्व को संचालित करने वाला जनसंचार माध्यम बन गया है। हालांकि प्रिंट मीडिया की आज भी जनसंचार माध्यमों के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका है। आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का जादू सचमुच सर चढ़ कर बोल रहा है। मोटे तौर जब हम इलेक्ट्रानिक मीडिया शब्द का प्रयोग करते हैं तो प्रायः: उसका अभिप्राय टेलीविजन से होता है। हालांकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सिर्फ टेलीविजन ही नहीं है।

 रेडियो को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की पहली बड़ी सीढ़ी माना जा सकता है तो आज टेलीविजन को भी पीछे छोड़कर इंटरनेट तथा मोबाइल फोन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को नया विस्तार दे रहे हैं।

जनसंचार के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मुख्य माध्यम निम्नलिखित हैं-

1. रेडियो - आधुनिक संचार क्रांति ने समाचार जगत में उथल-पुथल कर दी है। इस क्रांति ने पहले चरण में रेडियो तथा दूसरे चरण में टेलीविजन के आविष्कार ने जनसंचार के पारंपरिक मुद्रित माध्यमों को पीछे छोड़ते हुए समाचार प्रेषण की नई पद्धति को विकसित किया। यही नहीं पूरे विश्व के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जगत में इस नई तकनीक ने चमत्कार कर दिया है। रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का महत्वपूर्ण श्रव्य माध्यम है।

2. टेलीविजन - टेलीविजन जनसंचार का बहुत ही प्रभावशाली और युवा माध्यम है। ध्वनि के साथ-साथ चित्रों को प्रस्तुत करके इस माध्यम द्वारा मानव व्यक्तित्व को भी प्रस्तुत किया जाता है और इस प्रकार इसका जनता पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। यह दृश्य-श्रव्य माध्यम है और इसकी कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती। इसलिए इसे सार्वभौमिक माध्यम भी कहा जाता है।

3. कम्प्यूटर - सम्प्रति सर्वत्र कम्प्यूटर का वर्चस्व हैं। उद्योग, शिक्षा, यातायात-नियंत्रण, चिकित्सा-सुविधा, चुनाव सम्बन्धी भविष्यवाणियों, मौसम-सम्बन्धी सूचनाएं और कानून-व्यवस्था को अधिक कारगर बनाने में कम्प्यूटर सर्वाधिक सक्षम है। संचार व्यवस्था को अधिकाधिक सफल बनाने में इलेक्ट्रॉनिक्स की प्रगति से सम्बद्ध कम्प्यूटर का विषेश हाथ है।
 
कम्प्यूटर के कारण समाचार-प्रेशण में क्रान्ति मची हुई है। एक समय था जब कि कबूतर, डाकिए, टेलीग्राफ द्वारा संवाद भेजे जाते थे जो मंथर गति से गंतव्य तक कभी पहुंचे तो कभी बीच में ही खो जाते थे अब तो कम्प्यूटर के कारण वे तत्काल समाचार कार्यालय में पहुंच जाते हैं। टेलीप्रिंटर और वीडियो मानीटर स्क्रीन से संवाद प्रेशण में क्षिप्रता आई है। समाचारों के ढेर से समाचार छांटना और उसे संबंधित विभागाध्यक्ष के पास भेजना कंप्यूटर द्वारा सरलता से हो रहा है।

4. मल्टीमीडिया - मल्टीमीडिया की संकल्पना, कई माध्यमों (टेक्स्ट, फोटोग्राफी, आडियो एवं वीडियो टेप आदि) की पारम्परिक विचारधारा से आयी है। नये कम्प्यूटर के प्रयोग से डिजिटलाइज्ड सूचना जिसमें टेक्स्ट, ग्राफिक्स, साउंड एनीमेशन एवं वीडियो आदि की एकीकरण करने की अवधारणा ने इसे पुनर्परिभाषित किया।

5. इन्टरनेट - इन्टरनेट दुनिया को जोड़ने की एक अत्याधुनिक विकसित एवं सफल संचार प्रणाली है। विश्व में इस समय जितने कम्प्यूटर नेटवर्क सक्रिय हैं, उनमें इंटरनेट सबसे बड़ा है, जो विश्व स्तर पर कम्प्यूटरों का नेटवर्क बनाता है। एक अनुमान के अनुसार इस नेटवर्क से विश्व भर में लगभग करोड़ों कम्प्यूटर जुड़े हुए हैं। इस प्रकार 164 देशों के लगभग करोड़ों लोगों का सूचना के इस महामंत्र से जुड़ पाना संभव हो पाया है।

कम्प्यूटर नेटवर्किंग साफ्टवेयर एवं डाटा बेस इन्टरनेट का आधार है। इन्टरनेट में ध्वनि, तस्वीर, डाटा, सॉफ्टवेयर, आवाज आदि को डालने के लिए मल्टीमीडिया के विकास के साथ ही इंटरनेट के प्रति लोगों में तेजी से आकर्षक बढ़ा है। इसके माध्यम से कम्प्यूटर, टेलीफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणालियों का संयोजन तथा ऑप्टिकल फाइबर प्रणाली के विकास से शब्दों, ध्वनियों और चित्रों को डिजिटल रूप से प्राप्त करना और भेजना संभव हो गया है।
इंटरनेट के माध्यम से हमें निम्नलिखित जनसंचार माध्यमों का सहयोग प्राप्त होता है-

1. इलेक्ट्रानिक मेल - (ई0 मेल) पत्र या संदेश भेजने का यह अति आधुनिक तथा अत्यंत तीव्र तरीका है। डाक प्रणाली की भांति अब पत्रों को इलेक्ट्रॉनिक मेल द्वारा कम्प्यूटर की सहायता से एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जा सकता है।

2. ई-बुक - इंटरनेट के विस्तार के साथ ही इस बात की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। ससं ार भर में प्रकाशित पुस्तकों को किसी तरह नेट पर भी सुलभ बनाया जाए। इसके लिए उनके डिजिटल स्वरूप की ज़रूरत थी। यह काम हुआ और प्रकाशकों के सहयोग से अब असंख्य पुस्तकें इंटरनेट पर पी.डी. एफ. फॉर्मेट में उपलब्ध हैं। उन्हें ऑनलाइन क्रय करके अपने कंप्यूटर या किसी डिजिटल स्टोरेज डिवाइस में सुरक्षित रखा और पढ़ा जा सकता है। इस तरह किताबों को रखने में कोई जगह नहीं घिरती और वे आपसे बस एक क्लिक की दूरी पर होती हैं।

3. ई-मैगज़ींन - इंटरनेट पर अब कई पत्रिकाएँ ऐसी मौजूद हैं, जिनका कोई प्रिंट एडिशन नहीं निकलता। वे इंटरनेट पर ही छपती और पढ़ी जाती हैं तथा हमेशा के लिए सुरक्षित रखी जा सकती हैं- इन्हें ही प्रचलित भाषा में ई-मैगज़ीन कहा जाता है। हिंदी में भी ऐसी पत्रिकाओं की शुरूआत हो चुकी है।

4. ब्लॉग - ब्लॉग वेब-लॉग का संक्षिप्त रूप है, जो अमेरिका में 1997 के दौरान इंटरनेट में प्रचलन में आया। प्रारंभ में कुछ ऑनलाइन जर्नल्स के लॉग प्रकाशित किए गए थे, जिसमें जालंधर के भिन्न क्षेत्रों में प्रकाशित समाचार, जानकारी इत्यादि लिंक होते थे, तथा लॉग लिखने वालों की संक्षिप्त टिप्पणियाँ भी उनमें होती थी। इन्हें ही ब्लॉग कहा जाने लगा। ब्लॉग लिखने वाले, जाहिर है, ब्लॉग कहलाने लगे। 

इन तमाम नई तकनीकों के कारण जनसंचार माध्यमों ने हमारे लिए सारे संसार को समझना आसान कर दिया है। ई-मेल, बेव, पोर्टल, ई-चैटिंग, ब्लॉग, सर्च इंजन आदि कितने कितने संसाधन आज हमें आसानी से उपलब्ध हैं। विकिपीडिया, ए.पी.एस.कारपोरेट, हिन्दी नेस्ट कॉम, अनुभूति, कार्यालय, अभिव्यक्ति, वागर्थ, सरस्वती, भारत दर्शन, आदि दर्जनों हिन्दी वेबसाइट इस समय कार्यरत हैं और तमाम अखबार भी अब इंटरनेट संस्करणों के रूप में इंटरनेट में उपलब्ध हो गए हैं।

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