समवर्ती सूची में 47 विषय है। ये विषय केन्द्र और राज्य दोनों की परिधि के अंतर्गत आते
है। इनके उपर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र एवं राज्य दोनों को है। इस सूची में निम्न
विषय है:- विवाह एवं तलाक, कृषि भूमि के अतिरिक्त संपत्ति का स्थानांतरण, ठेकेदारी,
दिवालियापन और दिवाला, ट्रस्टी और ट्रस्ट, नागरिक प्रक्रिया, न्यायालय की अवमानना,
खाने की चीजों में बदलाव, डर्ग एवं विष/जहर, आर्थिक एवं सामाजिक येाजना, टे्रड
यूनियन, सुरक्षा, श्रमिक कल्याण, विद्युत, अखबार, किताबें तथा मुद्रणालाय, स्टाम्प शुल्क
इत्यादि।
भारत की संसद तथा राज्यों की विधानसभा को इस सूची के विषयों पर कानून
बनाने का समवर्ती अधिकार दिया गया है। यदि एक बार संसद ने इस सूची के विषयों पर
कानून बना दिया तो संसद के कानून राज्य के बनाये कानूनों पर लागू होंगे। इसके लिए
एक विशेष स्थिति में यह बदल भी सकता है। इसके अनुसार यदि, विधानसभा ने कोई
कानून पहले बना लिया हो और वह राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जा चुका हो
ऐसी स्थिति में विधानसभा द्वारा बनाया कानून मान्य होगा। इससे राज्यों की विधानसभा की
ताकत को भी सशक्त बनाया गया है।
इसमें यह भी प्रावधान है कि किसी विशेष स्थिति
या परिस्थिति में राज्य को अधिकार दिया गया है।