ई - मेल का इतिहास, उपयोग, लाभ, सीमाएं

ई मेल (E-mail) क्या है
कुछ सालों पहले तक एक जगह से दूसरी जगह संदेश को पहुंचाने में हमें महीनों लग जाते थे, क्योंकि उस समय डाक को पहुंचाने का हमारे पास एकमात्र विकल्प डाकघर ही था। डाक द्वारा ही हम अपने परिजन का समाचार जान पाते थे, परंतु आज के आधुनिक जमाने में सब कुछ बदल गया है। अब संदेश पहुंचाने में महीनों के बदले चंद मिनट व सेकंड लगते हैं और वह खबर हमारे शुभचिंतक तक पहुंच जाती है। आधुनिक जमाने की ही देन यह आधुनिक तकनीक वाली ई-मेल है जिसका पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक मेल है।

ई-मेल मतलब इलेक्ट्रॉनिक मेल से है, जो कम्प्यूटर या मोबाइल द्वारा कार्यरत होता है। ई–मेल द्वारा हम किसी को भी फाइल फोटो या वीडियो कुछ भी भेज सकते हैं। ई–मेल का उपयोग करने के लिए हमें एक आईडी की जरूरत होती है, या सरल भाषा में कहें तो एक पते (एड्रेस) की जरूरत होती है, जो हमारे संदेश को पहुंचाने में मदद करती है। ई-मेल भेजने के लिए हमें उस व्यक्ति का ई-मेल आईडी पता होना चाहिए, जिसे यह भेजा जाना है। तभी उसे ई-मेल भेजा जा सकता है या अगर किसी से ई-मेल द्वारा कुछ मंगवाना है तो हमें उसे अपना ई–मेल आईडी देना पड़ेगा। किसी ई-मेल आईडी का पहला भाग उस व्यक्ति का अपना भाग होता है और बीच में विभाजित करने के लिए @ का प्रयोग होता है। उसके बाद उस वेबसाइट का पता रहता है, जहां से आपने ई-मेल आईडी बनाया है। बहुत सारी ऐसी वेबसाइट हैं, जहां से आप अपना ई-मेल आईडी बना सकते हैं। 

आज की सबसे प्रसिद्ध वेबसाइट जीमेल है। जीमेल के अलावा हॉटमेल, रेडिफमेल, याहू मेल, भी ई–मेल सर्विस प्रदान करती है। ई-मेल के कुछ उदाहरण यह हैं -
  1. username@gmail.com
  2. username@rediffmail.com
  3. username@hotmail.com
  4. username@yahoo.com

ई - मेल का इतिहास

ई-मेल को बनाने का कार्य 1960 के आस - पास ही शुरू हो गया था, लेकिन तब तक कोई ठोस आधार नहीं बन सका था। ई-मेल ने इसके बाद के 10 सालों में बहुत विकास किया और अपना वजूद बना लिया। सबसे पहले ई-मेल की शुरुआत रे टॉमलिंसन ने की थी । सन् 1971 में रे टॉमलिंसन ने खुद को टेक्स्ट मेल किया था। उसके बाद सन् 1996 में ई-मेल द्वारा पोस्टल मेल भेजा जाने लगा। अब आज के जमाने में संदेश भेजने और प्राप्त करने का यह सबसे बढ़िया साधन माना जाने लगा । इनके द्वारा विकसित किया गया ई-मेल इस्तेमाल करने में आसान और बहुमशीनीय था। मतलब, आप एक कम्प्यूटर से कई अन्य कम्प्यूटर्स पर ई-मेल भेज सकते थे, जो आज सामान्य बात है लेकिन 1970 से पहले ये संभव नहीं था ।

ई-मेल के उपयोग 

ई-मेल बहुत उपयोगी है। दुनिया में अधिकांशतः इसका इस्तेमाल किया जाता हैं, क्योंकि इसके जरिये संदेश भेजना आसान होता है । आजकल तो विद्यालय, महाविद्यालय, ऑफिस, व्यापार सभी में ई-मेल की जरूरत होती है। सबका ई-मेल आईडी अलग–अलग होता है। इसलिए हम जिसके ई-मेल पर संदेश भेजेंगे, उसी के पास पहुंचेगा। साथ ही कोई और उसे पढ़ भी नहीं पाएगा। ई-मेल आईडी से हम दुनिया के किसी भी कोने में मिनटों में संदेश भेज सकते हैं।

ई-मेल आईडी बनाने के लिए हमें सामान्यतः कहीं पर पैसे देने की जरूरत नहीं होती है। यह सेवा इंटरनेट पर मौजूद अधिकांश वेबसाइट द्वारा निःशुल्क दी जाती है। अगर आप बिजनेस या प्रोफेशनल या अधिक डाटा के उपयोग के लिए ई–मेल आईडी बनाते हैं तो इसके लिए आपको निश्चित रकम देना होती है।
आप किसी भी मेल साइट पर जाकर अपना ई-मेल आईडी बना सकते हैं। अपने ई–मेल अकाउंट में फोटो, मार्कशीट, डाक्यूमेंट्स, मैसेज को बेहतर तरीके से सुरक्षित रखा जा सकता हैं। इससे जब कभी कहीं पर भी इसकी जरूरत महसूस हो तो इनका प्रिंट निकाल कर प्रयोग में लाया जा सकता है।

ई - मेल के लाभ

ई-मेल द्वारा कुछ लाभ भी होते हैं, जो निम्नलिखित हैं

1. संप्रेषण -  ई-मेल का सबसे पहला काम है संप्रेषण अर्थात् कम्युनिकेशन। इसे एक-दूसरे से संपर्क करने के लिए ही विकसित किया गया है। पहला लाभ यही है हम इंटरनेट द्वारा हमसे दूर रहने वाले लोगों से भी बातचीत कर सकते हैं, उनका हालचाल पूछ सकते हैं और अपना बता सकते हैं ।

2. तुरंत जवाब -  पहले चिट्ठी भेजने और उसका जवाब मिलने तक महीनों का समय लग जाता था। इस प्रक्रिया में अब तो काफी सुधार हुआ है। अब ई-मेल के द्वारा तुरंत अपना संदेश भेज सकते हैं और कुछ ही देर में जवाब भी प्राप्त कर सकते हैं।

3. लिखित दस्तावेज - ई–मेल को कागज की तरह जला नहीं सकते हैं और ना ही इसके खोने का डर होता है। भेजे गए प्रत्येक ई-मेल की एक कॉपी ई-मेल सर्वर पर सुरक्षित रहती है। इस ई-मेल कॉपी को जब चाहें, तब देखा जा सकता है। ई-मेल को कागज पर लिखी गई चिट्टी के बराबर ही मान्यता प्राप्त है।

4. सस्ता - ई-मेल का खर्चा ना के बराबर होता है, क्योंकि लिखने के लिए कागज तथा पेन की जरूरत नहीं है और ना ही डाकिया या कूरियर का खर्च देना पड़ता है। ई-मेल भेजने और प्राप्त करने के लिए आपको बस इंटरनेट डाटा पैक की जरूरत पड़ती है। अगर डिवाइस (कम्प्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन इत्यादि) में एक्टिव डाटा पैक है, तब मुफ्त में ई-मेल भेज एवं प्राप्त कर सकते हैं ।

5. लिखने की आजादी - अब कागज की चिंता करने की जरूरत नहीं हैं। लिखिए, काटिए, लिखिए, काटिए, फिर लिखिए और फिर काटिए । जब तक चाहे तब तक हम एक ई-मेल को लिख व मिटा सकते हैं। इसके साथ ही समय की भी कोई पाबंदी हमारे ऊपर नहीं होती है। हम आराम से अपना संदेश लिख सकते हैं और एक-एक शब्द का चुनाव अपनी पसंद से कर सकते हैं ।

6. गति -  जब डाक मेल का उपयोग किया जाता है, तो जानकारी को लिफाफे में या एक बॉक्स में रखना आवश्यक होता है । फिर डाकघर में जाकर अंत में संदेश प्राप्त करने के लिए एक या कई दिनों तक प्रतीक्षा करनी होती है। इलेक्ट्रॉनिक मेल के उपयोग के साथ संदेश कुछ ही सेकंड में अपने गंतव्य पर पहुंच जाता है। जब हमें संदेश भेजा गया प्रकट होता है, तो उस समय मेल प्राप्तकर्ता के मेलबॉक्स में दिखाई देता है।

7. मल्टीमीडिया फाइलें भेजना -  आप ई-मेल द्वारा केवल शब्दों में ही अपनी बात कहने के लिए सीमित नहीं है। अपनी फोटो, साथ बिताए पलों की स्मृतियां, वीडियो या फिर हमारे द्वारा गाया हुआ गीत भी ई-मेल के साथ भेज सकते हैं।

8. कई तरह की फाइल -  ई–मेल द्वारा हम विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों को ई-मेल अटैचमेंट के रूप में भेज सकते हैं और अपनी जरूरत के अनुसार मंगवा भी सकते हैं ।

9. सुरक्षित और भरोसेमंद -  ई–मेल एक सुरक्षित और विश्वसनीय साधन है। यह हर संदेश को हर हालात में पहुंचाने की कोशिश करता है, इसलिए यह भरोसेमंद भी है। ई-मेल चिट्टी या पत्र रास्ते में गायब नहीं होता और न ही पुराने जमाने के अनुसार कबूतर के पकड़ाने का डर होता है। साथ ही कोई अन्य व्यक्ति भी आपके ई-मेल को पढ़ नहीं सकता है।

10. यह अतुल्यकालिक है -  संचार के प्रत्येक छोर पर एक साथ उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती है इसे प्रेषक और रिसीवर को एक ही समय में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।

ई - मेल की सीमाएं

ई-मेल के लिए कई प्रकार के साधनों की जरूरत पड़ती है और यह चिट्टी के जितना आसान नहीं है, इसलिए हर कोई ई-मेल का उपयोग नहीं कर सकता है। ई-मेल की कुछ सीमाएं निम्नलिखित हैं

1. तकनीक का जानकार होना चाहिए -  यदि ई–मेल का उपयोग करना चाहते हैं तो पहले इसके बारे में सीखना पड़ता है। तभी ई-मेल भेज और प्राप्त कर सकते हैं इसलिए ई-मेल भेजने के लिए बेसिक कम्प्यूटर, इंटरनेट तथा ई-मेल प्रदाता आदि के बारे में शुरुआती जानकारी होना जरूरी है।

2. इंटरनेट पर निर्भरता -  ई-मेल भेजने और प्राप्त करने के लिए इंटरनेट कनेक्शन या फिर मोबाइल फोन में डाटा पैक होना चाहिए, तभी ई-मेल का उपयोग कर सकते हैं।

3. फाइल आकार की बाध्यता - ई–मेल द्वारा फाइल तो शेयर कर सकते है, मगर एक निश्चित आकार की फाइल ही मेल द्वारा भेज सकते है । यदि उपलब्ध डाटा तय सीमा से ज्यादा बड़ा है, तब ई–मेल कोई काम का नहीं है। इसके लिए कोई दूसरा साधन ढूंढ़ना ही पड़ेगा। 

4. अनजान तथा अनचाहे ई-मेल आना -  ई–मेल का सबसे बड़ा नुकसान इसे ही समझा जाता है। एक बार ई-मेल आईडी लोगों को पता चलने के बाद नए-नए लोगों से ई-मेल आने लगते हैं और सोचने वाली बात यह है कि कोई इन्हें जानता भी नहीं है। इन अनजाने और अनचाहे ई-मेलों को तकनीक की भाषा में स्पैम कहा जाता है।

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