फीचर लेखन क्या है? फीचर लेखन के कितने प्रकार है?

फीचर को हिंदी में रूपक भी कहा गया है। लेकिन पत्रकारिता में फीचर से हमारा आशय समाचार पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित उन विशिष्ट लेखों से है जो हमें आनंदित और प्रफुल्लित करते हैं। इन लेखों में वण्र्य विषय का प्रस्तुतीकरण इस प्रकार किया जाता है कि उनका रूप प्रत्यक्ष हो जाता है और इसीलिए इन्हें फीचर कहा जाता है। 

विद्वानों द्वारा फीचर की विभिन्न परिभाषाए की गई है जिनके आधार पर निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि फीचर सरल मधुर और अनुभूितपूर्ण भावाभिव्यक्ति है। फीचर में सामयिक तथ्यों का आश्यकतानुसार समावेश तो होता ही है लेकिन अतीत की घटनाओं तथा भविष्य की संभावनाओं के सूत्र भी उसमें होते हैं।

फीचर लेखन की विशेषताएं

फीचर लेखन की विशेषताएं, किसी अच्छे फीचर की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्न होती है-
  1. फीचर का आरंभ रोचक होना चाहिए न कि नीरस, उबाऊ, क्लिष्ट और व्यर्थ की अलंकृत शब्दावली से भरा। 
  2. हृदय पक्ष से जुड़ा होने के कारण इसमें भाषागत सौंदर्य और लालित्य का विशेष स्थान है। 
  3. फीचर में अनावश्यक विस्तार से बचा जाना चाहिए। गागर में सागर भरना फीचर की अपनी कलात्मकता होती है। 
  4. काव्य का सा आनंद देनवाले फीचर श्रेष्ठ फीचर हो सकते हैं। 
  5. फीचर में प्रयुक्त कल्पनाएं सटीक और सारगर्भित हो। 
  6. अपने विषय के सभी संबंधित पहलुओं को छूता चलता है। लेकिन विषयों का संतुलित वर्णन आवश्यक है। 

फीचर लेखन के तत्व

फीचर और उसकी प्रमुख विशेषताओं को जानने के बाद इतना तो स्पष्ट हो ही जाता है कि फीचर लेखन भी पत्रकारिता क्षेत्र में अपनी तरह का एक विशिष्ट लेखन है, जिसके लिए प्रतिभा, अनुभव और परिश्रम की विशेष आवश्कता होती है।

फीचर की विशिष्टता और उत्कृष्टता के लिए लेखक का उसकी भाषा पर पूर्ण अधिकार होना चाहिए ताकि वह छोटे वाक्यों और कम शब्दों में लालित्यपूर्ण चमत्कार और सहजता बनाए रख सके। फीचर लेखक के पास कवि सा भावुक हृदय, समीक्षक का सा प्रौढ़ चिंतन, इतिहासकार सा इतिहास बोध, वैज्ञानिक की सी तार्तिकता, समाजशास्त्री सा समाजबोध तथा भविष्य को परखने की क्षमता होनी चाहिए।

फीचर लेखक को अपने परिवेश के प्रति पर्याप्त सजग होना चाहिए और उसके पास एक ऐसी सूक्ष्म दृश्टि होनी चाहिए जो आसपास के विविध विषयो को फीचर का विषय बनाने की प्रेरणा दे सके।

फीचर के प्रकार

फीचर लेखन के कितने प्रकार है, विषयागत विविधता को देखते फीचर के कई प्रकार हो सकते हैं-

1. व्यक्तिगत फीचर - इसमें साहित्य, संगीत, चित्रकला, नाटî, खेल जगत, राजनीतिक, विज्ञान, धर्म आदि क्षेत्रों में समाज का नेतृत्व करनेवाले व्यक्तियो- विशिष्ट व्यक्तियों पर फीचर लिखे जाते हैं। 

2. समाचार फीचर - ऐसे फीचर का मूलभाव समाचार होते हैं। किसी घटना का पूर्ण विवेचन विश्लेषण इसके  अंतर्गत किया जाता है। 

3. त्यौहार पर्व संबंधी फीचर -  विभिन्न पर्वों और त्यौहारों के अवसर पर इस तरह के फीचर लिखने का प्रचलन है। इसमें त्यौहारों पर्वों की मूल संवेदना उनके स्रोतों तथा पौराणिक संदर्भों के उल्लेख के साथ साथ उन्हे आधुनिक सदंर्भों में भी व्याख्यायित किया जाता है। 

4. रेडियो फीचर - जहां पत्र पत्रिकाओं मे प्रकाशित फीचर केवल पढ़ने के लिए होते हैं वहां रेडियो फीचर केवल प्रसारण माध्यमो से सुनने के लिए होते हैं इनमें संगीत और ध्वनि पक्ष काफी प्रबल होता है। रेडियो फीचर संगीत और ध्वनि के माध्यम से किसी गतिविधि का नाटकीय प्रस्तुतीकरण है। 

5. विज्ञान फीचर - नवीनतम वैज्ञानिक उपलब्धियों से पाठकों को परिचित कराने अथवा विज्ञान के ध्वंसकारी प्रभावों की जानकारी देने का यह एक सशक्त और महत्वपूर्ण माध्यम है। 

6. चित्रात्मक फीचर - ऐसे फीचर जो केवल बोलते चित्रों के माध्यम से अपना संदेश पाठकों को दे जाते हैं। इसे फोटो फीचर कहते हैं। 

7. व्यंग्य फीचर - सामाजिक, राजनीतिक परिदृश्य की ताजा घटनाओं पर व्यंग्य करते हुए सरस और चुटीली भाषा में हास्य का पुट देकर लिखे गए फीचर इस कोटी में आते हैं। 

8. यात्रा फीचर - यात्राएं ज्ञानवर्धक और मनोरंजक साथ साथ होते हैं। इन यात्राओं का प्रभावपूर्ण एवं मनोहारी संस्मरणात्मक चित्रण इन फीचरो में होता है। 

9. ऐतिहासिक फीचर - अतीत की घटनाओं के प्रति मनुष्य की उत्सुकता स्वाभाविक है। ऐतिहासिक व्यक्तियों, घटनाओं और स्मारकों अथवा नई एेितहासिक खोजो पर भी भावपूर्ण ऐतिहासिक फीचर लिखे जा सकते हैं। 

लेख और फीचर में अंतर

लेख और फीचर दोनों का समाचार के साथ कोई संबंध नहीं है फिर भी दोनों समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में अपनी अपनी एक जगह है। दोनों की सुंदरता सुंदर गद्य शैली पर निर्भर है, लेकिन कुछ खास किस्म का अंतर होता है। इस अंतर को समझना लेख और फीचर दोनों को समझने के अत्यतं जरूरी है। किताबी ज्ञान और आंकड़ों की सजावट से लेख लिखा जा सकता है लेकिन फीचर लिखने के लिए आँख-कान, भावो- अनुभूितयो, मनोवेगों और अन्वेषण का सहारा लिया जा सकता है। लेख लंबा, अरुचिकर और भारी भी हो सकता है, लेकिन फीचर में यह सब नहीं चलेगा। फीचर को मजेदार रुचिकर और चित्ताकर्षक होना ही पड़गे ा। 

फीचर लिखते समय अपेक्षाकृत नया और मनोरंजक तरीका अपनाना होता है। दरअसरल फीचर एक प्रकार का गद्य गीत है, जो नीरस, लंबा और गंभीर हो ही नहीं सकता। फीचर की विशेषता है कि इसे मनोरजंक और तडपदार होना चाहिए ताकि उसे पढ़कर लोगों के दिल हिले या चित्त प्रसन्न हो या पढ़कर दिन में गम का दरिया बहने लगे।

लेख हमें शिक्षा देता है, जबकि फीचर हमारा सात्विक किस्म का मनोरंजन करता है। लेख आवश्यकता से अधिक छोटा तथा पढ़ने में उबाऊ होने पर भी अच्छा हो सकता है, लेकिन फीचर मुख्य रूप से आनंद और विनोद के लिए होता है। लेख जानकारी बढ़ाने वाला होता है और उसमें दिलचस्प या उससे निकलनेवाले नतीजों का समावेश किया जा सकता है, जबकि फीचर में अपनी मनोवृत्ति और समझ के अनुसार किसी विषय या व्यक्ति विशेष का चित्रण करना पड़ता है।

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