समाचार लेखन के 6 सूत्र || समाचार लेखन की प्रक्रिया का वर्णन

विभिन्न स्रोत  से जानकारियां हासिल करने के बाद पत्रकार उस सूचनाओं को समाचार के प्रारूप में ढालकर जिज्ञासा पूर्ति करने लायक बनाता है। समाचार लेखन की एक अलग शैली होती है जो साहित्य लेखन से अलग होती है। समाचार में जिज्ञासा जैसे कौन, क्या, कब, कहां, क्यों और कैसे प्रश्नों का उत्तर देना होता है। समाचार लिखते समय एकत्रित सामग्री से इन्हीं प्रश्नों का उत्तर पत्रकार को तलाशना होता है और पाठकों तक उसके संपूर्ण अर्थ में पहुंचाना होता है। 

समाचार लेखन के 6 सूत्र 

समाचार लिखने का एक सूत्र है। इसे उल्टा पिरामिड सिद्धांत कहा जाता है। यह समाचार लेखन का सबसे सरल, उपयोगी और व्यावहारिक सिद्धांत है। समाचार लेखन की उल्टा पिरामिड शैली के तहत लिखे गये समाचारों को सुविधा की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन हिस्सों में विभाजित किया जाता है-मुखड़ा या इंट्रो या लीड, बाडी या विवरण और निष्कर्ष या पृष्ठभूमि। इसमें मुखड़ा या इंट्रो समाचार के पहले और कभी-कभी पहले और दूसरे दोनों पैराग्राफ को कहा जाता है। समाचार लिखने का दूसरा सूत्र है छ ‘क’ कार - क्या, कहां, कब, कौन, क्यो और कैसे का समावेश अनिवार्य है। 

समाचार लेखन की प्रक्रिया

समाचार को देखकर हम बड़ी सरलता से समाचार को तीन भागों में बाँट सकते हैं जो हैं - 
  1. शीर्षक
  2. इंट्रो या लीड 
  3. समाचार का शेष भाग या बॉडी
1. शीर्षक - किसी भी समाचार का शीर्षक सर्वप्रथम हमे प्रभावित करता है उसके पश्चात हम इस बात को निश्चित करते हैं कि कौन सा समाचार पढ़ने योग्य है अथवा नहीं। अत: शीषर्क बड़े अक्षरों या बोल्ड टाइप मे दिया जाता है। शीर्षक का संदेश संक्षिप्त व चौंकाने वाला होना चाहिये। शीर्षक समाचार सार घटना परिणाम तथा स्थिति संकेत का सूचक होता है, शीर्षक बनाना एक कला है जिसके द्वारा पाठकों के मन और मस्तिष्क पर सत्ता स्थापित की जाती है। समाचार के शीर्षक बड़े महत्व के होते हैं। वे पाठकों को पुकारते हैं। बार-बार यही दोहराते हैं मैं महत्वपूर्ण हूँ, मैं आकर्षक हूँ।

2. इंट्रो या लीड - समाचार में प्रस्तुत सामाग्री का परिचय यदि प्रदर्शन कक्ष की तरह पहले पैरा में करा दिया जाये और वह पाठक को अच्छा लगे तो फिर यह सामग्री निश्चित बिक कर रहेगी। इस परिचय को अंग्रेजी में संक्षेप में इंट्रो या लीड कहते हैं। आदर्श इंट्रो वह होता है जो प्रत्येक व्यक्ति को रूचिकर लगे और वह समाचार को पूरी तरह से पढ़ डालने के लिये प्रेरित करे। लीड मे समाचार का सार होता है अत: लीड में निम्न तत्वोंं का होना आवश्यक है :
  1. ‘कौन’ “भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष 80 वष्र्ाीय लाल कृष्ण आडवाणी को आज अस्पताल में भर्ती कराया गया”।
  2. ‘क्या’ “दिल्ली में दो बसों की भिड़न्त में आज 40 व्यक्ति मर गये तथा 14 घायल हैंं, जिसमे 4 की हालत गंभीर है।
  3. ‘कहाँ’ “हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर में कल रात से भारी हिमपात हा े रहा है”।
  4. ‘कब’ “प्रधानमंत्री ने आज लोकसभा सदस्योंं को उस समय यह सूचित किया कि कश्मीर में उग्रवादियों से कोई समझौता नहीं किया जायेगा, यह जवाब उन्होंने प्रतिपक्ष नेता अटल बिहारी बाजपेयी के प्रश्न के परिप्रेक्ष्य में दिया”।
  5. ‘क्यों’ दो किशोरवय के लड़के व लड़कियों ने दिल्ली मेंं इस बात पर आत्महत्या कर ली क्योंकि उनके माता-पिता उनकी शादी के खिलाफ थे।
  6. ‘कैसे’ “बर्फ के ठण्डे थपेड़ों के कारण एक जापानी पर्वतारोही, माउण्ट एवरेस्ट के ऊपर मर गया”। इंट्रो उल्टे पिरामिड नुमा शैली में लिखा जाता है। जिससे यदि समाचार की मुख्य बातें समाचार के पहले ही अनुच्छेद में आ जायें और यदि किसी कारण से समाचार के अधिक भाग को संपादित करना पड़े तो भी समाचार का मूल तत्व जनता तक पहुँच जाये।
3. समाचार का शेष भाग या बॉडी - बॉडी से पाठक समाचार से पूरी तरह से जुड़ जाता है। समाचार का शेष भाग या बॉडी निम्न तत्वों को समाहित किये रहता है, वे हैं - सरलता, सुस्पष्टता एवं तारतम्यता आदि। समाचारों को ऐसे तरीके लिखना चाहिये कि अति सामान्य व्यक्ति की समझ में भी आ जाये इसके लिये न केवल यह जरूरी है कि आपकी भाषा आसान हो जिसे समझने में पाठक को कोई दिक्कत न हो अपितु शैली भी उलझाव पूर्ण नहीं होनी चाहिये। यदि पाठक को समाचार पत्र पढ़ने के लिये एक बार भी शब्दकोश की सहायता लेनी पड़ी तो समझिये कि आपका समाचार लेखन विफल रहा है। 

समाचार को कथा के रूप में रसीला, नशीला, चुटीला और दिलचस्प बनाकर प्रस्तुत करना एक सफल पत्रकार की क्षमता पर निर्भर होती है। जब कभी इन नियमों का उल्लंघन होगा बुद्धिमान मनुष्य उसे छोड़कर सो जायेगा।

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