वाराणसी का क्षेत्रफल, जनसंख्या, जलवायु एवं आर्थिक विशेषताएँ

वाराणसी

वाराणसी विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक है जो अपनी धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान के लिए विश्वविख्यात है। यह भारत के राज्य उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध शहर है, इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र शहर माना जाता है। प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक मार्कट्वेन ने लिखा है ‘‘बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परम्पराओं से पुराना है, लोककथाओं से भी प्राचीन है, और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दुगुना प्राचीन है।’’

यह नगर जीवनदायिनी माँ गंगा के किनारे बसा हुआ पवित्र नगर है। इस नगर का धार्मिक महत्व अतुलनीय है। वाराणसी नाम का उद्गम संभवत: यहाँ की दो नदियों वरुणा और असि के नाम से मिलकर हुआ है। ये नदियाँ गंगा नदी में क्रमश: उत्तर एवं दक्षिण से आकर मिलती हैं। वाराणसी का नाम ‘काशी’ भी है। काशी शब्द संस्कृत के कस धातु से बना है जिसका अर्थ होता है चमक। अर्थात्, काशी आध्यात्म के प्रकाश का नगर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह नगर विश्व के स्वामी भगवान शिव द्वारा बसाया गया है। 

प्राचीन काल से ही वाराणसी का आध्यात्मिक महत्व होने एवं विद्या अर्जन तथा सभ्यता का महान केन्द्र होने का गौरव प्राप्त है। महाभारत और बौद्ध ग्रन्थों में भी इसका वर्णन पाया जाता है। पाली भाषा में इसे ‘बारानसी’ कहा गया जो कालान्तर में बदलकर बनारस हो गया। वामन पुराण के अनुसार सृष्टि के प्रारम्भ में आदिम पुरुष के शरीर से वरुणा और असि नामक दो नदियां निकली, इन दोनों के बीच का क्षेत्र वाराणसी कहलाया। लंबे काल से वाराणसी को अविमुक्त क्षेत्र, आनंदकानन, महाश्मशान, ब्रह्मावर्त, सुदर्शन, रम्य आदि नामों से भी संबोधित किया जाता रहा है। 

भारत के किसी अन्य नगर में वह आकर्षण नहीं है जो वाराणसी नगर में है। नगर के धार्मिक महत्व, सांस्कृतिक परम्पराओं को देखते हुए धार्मिक प्रवृत्ति के हिन्दू मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य से यहाँ आना व रहना पसन्द करते हैं क्योंकि वाराणसी स्वयं में एक अनुभव है, आत्मदर्शन है व शरीर व आत्मा का एकीकरण है।

ब्रिटिश शासनकाल में इसे ‘Beneras’ कहा जाता था, स्थानीय लोग इसे ‘बनारस’ कहते थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 मई 1956 को इसका नाम ‘वाराणसी’ स्वीकृत किया। काशी नरेश वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रियाकलापों के अभिé अंग हैं। यह शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, रविदास, स्वामी रामानन्द, तैलंग स्वामी, योगीराज श्यामाचरण लाहिड़ी, मुंशी प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, गिरिजा देवी, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ प्रमुख है। 

गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का प्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थ ‘रामचरितमानस’ यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन वाराणसी के निकट ही सारनाथ में दिया था। यह जैन धर्मावलम्बियों के लिये भी एक महत्वपूर्ण शहर है। यहाँ के निवासी मुख्यत: काशिका भोजपुरी बोलते हैं जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्राय: मंदिरों का शहर, भारत की धार्मिक राजधानी, भगवान शिव की नगरी, द्वीपों का शहर, ज्ञान नगरी आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। वाराणसी में पाँच बड़े विश्वविद्यालय हैं- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, तिब्बती उच्च अध्ययन संस्थान और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय तथा जामिया सलफिया है। 

भारतीय परम्परा में प्राय: वाराणसी को सर्वविद्या की राजधानी कहा गया है। इन विश्वविद्यालयों के अलावा शहर में कई स्नातकोत्तर एवं स्नातक महाविद्यालय हैं। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में काशी विश्वनाथ मंदिर, संकटमोचन मंदिर, दुर्गा मंदिर, भारतमाता मंदिर, व्यास मंदिर, रामनगर किला इत्यादि मुख्य हैं।

जनपद वाराणसी पूर्वी उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है। यह राजकीय राजधानी लखनऊ से 325 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। जनपद वाराणसी में सभी जाति व धर्म के लोग निवास करते हैं। वाराणसी जनपद प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है इसलिए जनपद में आर्थिक संभावनाएँ पर्याप्त हैं।

वाराणसी की भौगोलिक विशेषताएँ

वाराणसी जनपद उत्तरी भारत की मध्य गंगा घाटी में, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के पूवÊ छोर पर गंगा नदी के बायी ओर के वक्राकार तट पर स्थित है। भौगोलिक दृष्टि से यह 25.20 उत्तरी अक्षांश तथा 830.01 पूवÊ देशान्तर के मध्य स्थित है। वाराणसी नगर की समुद्र तट से औसत ऊँचाई 80.71 मीटर है।

वाराणसी का क्षेत्रफल

जनपद वाराणसी का कुल क्षेत्रफल 1550.03 वर्ग किमी है जनपद का ग्रामीण क्षेत्रफल 1445.75 वर्ग कि0मी0 तथा नगरीय क्षेत्रफल 104.28 वर्ग कि0मी0 है। जनपद चन्दौली का क्षेत्रफल 2541 वर्ग कि0मी0 है, जनपद का ग्रामीण क्षेत्रफल 2499.23 वर्ग कि0मी0 तथा नगरीय क्षेत्रफल 41.77 वर्ग कि0मी0 है।

वाराणसी कुल जनसंख्या

2011 की जनगणना के अनुसार वाराणसी की कुल जनसंख्या 3676841 है जिसमें पुरुषों की संख्या 1921857 स्त्रियों की जनसंख्या 1754984 है। यहाँ लिंगानुपात 909 है अर्थात् 1000 पुरुषों पर 909 महिलाएँ है। वाराणसी क्षेत्र का जनसंख्या घनत्व 2299 व्यक्ति प्रति वर्ग कि0मी0 है।

वाराणसी का साक्षरता 

वाराणसी जनपद का कुल साक्षरता प्रतिशत 77.57 है जिसमें पुरुष साक्षरता 85.12 तथा स्त्रियों की साक्षरता 68.20 प्रतिशत है। चन्दौली जनपद में कुल साक्षरता प्रतिशत 71.4 प्रतिशत है जिसमें पुरुष साक्षरता 81.6 प्रतिशत तथा 60.2 प्रतिशत महिलाएँ साक्षर है। धर्म वाराणसी में 83.72 प्रतिशत हिन्दू, 15.85 प्रतिशत मुस्लिम, 0.14 प्रतिशत ईसाई, सिक्ख 0.14 प्रतिशत तथा बौद्ध, जैन लोगों की संख्या, 0.03 तथा 0.06 प्रतिशत है। 

वाराणसी की जलवायु

वाराणसी में आर्द्र-अर्ध कटिबन्धीय जलवायु है जिसके संग यहाँ ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु के तापमान में बड़ा अंतर है। ग्रीष्मकाल अप्रैल के आरंभ से अक्टूबर तक लंबे होते हैं, जिस बीच में ही वर्षा ऋतु में मानसून की वर्षाएं भी होती हैं। हिमालय क्षेत्र से आने वाली शीतलहर से यहाँ का तापमान दिसम्बर से फरवरी के बीच शीतकाल में गिर जाता है। औसत वार्षिक वर्षा 1110 मि0मी0 (44 इंच) तक होती है। ठंड के मौसम में कुहरा सामान्य होता है, और गर्मी के मौसम में लू चलना सामान्य होता है। चन्दौली जनपद की जलवायु उष्ण आर्द्र और मानसूनी है।

वाराणसी की आर्थिक विशेषताएँ

वाराणसी में विभिन्न कुटीर उद्योग कार्यरत है, वाराणसी में विभिन्न कुटीर उद्योग कार्यरत हैं जिसमें बनारसी साड़ी, कपड़ा उद्योग, कालीन उद्योग एवं हस्तशिल्प प्रमुख हैं। बनारसी पान विश्वप्रसिद्ध है। भारतीय रेल का डीजल इंजन निर्माण हेतु डीजल रेल इंजन कारखाना भी वाराणसी में स्थित है। 

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