अग्र मस्तिष्क के भाग और उनके कार्य

अग्र मस्तिष्क के भाग (agar mastishk ke bhag) अग्र मस्तिष्क के दो भाग हैं टेलेनसिफेलोन और डायनसिफेलोन (Telencephalon - Diencephalon)। टेलेनसिफेलोन में प्रमस्तिष्क वल्कुट, बेसल गैंन्लिया और लिम्बिक सिस्टम शामिल है। यह मानव मस्तिष्क का सबसे बड़ा विभाजन है। प्रमस्तिष्क वल्कुट, दो सेरेब्रल गोलार्ध कवर करता है जबकि, बेसल गैंगलिया मस्तिष्क के उप कोर्टिकल क्षेत्र में रखा गया है। डायनसिफेलोन में थैलेमस और हाइपोथैलेमस, ऑप्टिक चियास्पा और पीनियल बाडी सम्मिलित है। यह प्रमस्तष्क और मध्य मस्तिष्क के बीच मौजूद है।

अग्र मस्तिष्क के भाग

अग्र मस्तिष्क के भाग (agar mastishk ke bhag) है-
  1. मस्तिष्क खण्ड : प्रमस्तिष्क वल्कुटुट
  2. मस्तिष्क खण्ड: बेसेसल गैंगंगलिया
  3. मस्तिष्क खण्ड: लिम्बिक
  4. अन्तरमस्तिष्क: थैलेमस
  5. अन्तरमस्तिष्क: हाइपोंथैलेमस

1 मस्तिष्क खण्ड : प्रमस्तिष्क वल्कुटुट

प्रमस्तिष्क वल्कुट लगभग 2 से 4 मिमी0 मोटा होता है। यह प्रमस्तष्क (सेरिब्रम) के ऊपर होता है। यह बाहरी है और मस्तिष्क का अवलोकनीय भाग है। यहाँ मिलियनस शाखिकायें हैं जो यहाँ पर दूसरे तंत्रिका कोशिकाएँ के साथ सुत्रयुग्मन करती है। प्रमस्तिष्क वलकुट (Cerebral Cortex) में छोटे बिना माइलिन के तंत्रिका कोशिकाएँ (न्यूरॉन) की उपस्थिति इसे घूसर रंग (Gray Colour) देते हैं और इसलिए इसे ग्रे धूसर पदार्थ (Gray Matter) के रूप में जाना जाता है। वलकुट के नीचे की परत का गठन बड़े माइलिनयुक्त न्यूरॉन से होता है जो इसे सफेद या उजला रंग देते है इसलिए इसे उजला पदार्थ (White matter) की तरह संदर्भित किया जाता है। यहाँ छोटे और बड़े उभार होते हैं, जिन्हें निक्षेपण (Convolution) कहा जाताहै। यहाँ उभार के बीच खांचे होते हैं। छोटे खाँचे को सल्की (Sulci) और बड़े खांचे को दरार (Fissure) के रूप में जाना जाता है। प्रमस्तिष्क वलकुट के कई कार्य हैं। उत्तर केन्द्रीय गाइरस एक सामान्य दैहिक संवेदी क्षेत्र के रूप में कार्य करता है। यह स्पर्श, तापमान और दवाब की संवेदनाओं को प्राप्त करता है। पूर्व केन्द्रीय गाइरस एक दैहिक मोटर क्षेत्र के रूप में कार्य करता है जो मोटर प्रतिक्रयाओं और शरीर की स्थिति को बनाये रखने में शामिल है। इसलिए कोर्टेकस के विभिन्न क्षेत्र को करने के लिए महत्वपूर्ण संवेदी कार्य है।

प्राथमिक दृष्टि कोर्टेकस दृष्टि सूचना और प्राथमिक श्रवण कोर्टेकस, श्रवण सूचना को पहचानने में मदद करते हैं। सरल सूचना को दर्ज करने के अलावा यह संवेदी सूचना की तुलना और मूल्यांकन भी करने में मदद करता है। अत: यह सूचना के टुकड़ों को एक साथ एकीकृत कर अधिक सार्थक प्रत्यक्षीकरण करने में सहायता करता है। मोटर कार्य, मोटर गति को नियंत्रित करने में सहायता करते हैं। प्राथमिक दैनिक क्षेत्र प्रीसेन्ट्रल गाइरस है जो अग्रपालि में मौजूद होता है। यह व्यक्तिगत मांसपेशियों को नियंत्रित और पैरों, हाथों, पैर की मांसपेशियों की उचित गति के लिए मदद करता है। क्योंकि कोर्टेक्स संवेदी सूचना प्राप्त करता है, यह सूचना को एकीकृत करता है और मोटर प्रतिक्रियाओं को भेजता है। यह चेतना और अनेक दूसरी मानसिक गतिविधियों जैसे – भाषा की क्षमता, संवेग और स्मृति के लिए जिम्मेदार है। कोर्टेक्स अन्य भाषा कार्यों जैसे लिखित और बोली गयी भाषा को समझने में भी शामिल है। कोर्टेक्स अल्पकालिक स्मृति के साथ साथ दीर्घकालिक स्मृति में सूचना संग्रहीत करने और पुन: प्राप्त करने में भी सहायता करता है।

2 मस्तिष्क खण्ड: बेसेसल गैंगंगलिया

बेसल गैंगलिया प्रमस्तिष्क वलकुट (Cerebral Cortex) में स्थित होता है। यह सफेद पदार्थ से बना होता है जो अधिकतर पथों से गठित होता है। यहाँ घूसर पदार्थ सफेद पदार्थ के विपरीत कोर्टिक्स के अन्दर गहराई में उपस्थित होता है। बेसल गैंगलिया पुच्छल नाभिक (Caudate Nucleus) पुटामेन, ग्लोबस पैलिडस और एमगडा लाइट नाभिक से बना है। पुच्छल नाभिक और पुटामेन की धारीदार दिखावट होती है इसलिए इसे ‘स्ट्रिएटम’ के रूप में जाना जाता है। प्रमस्तष्क (ब्मतमइतनउ) का महत्वपूर्ण भाग होने के नाते बेसल गैंगलिया स्वैच्छिक मोटर कार्यों जैसे माँसपेशियों में संकुचन जो शारीरिक मुद्रा, चलना या अन्य गति सम्बन्धी कार्य को विनियमित करने में मदद करता है। यदि इस क्षेत्र में रक्त वाहिकाओं को कोई नुकसान होता है, तो यह रक्त प्रवाह में एक स्थानीय रूकावट का कारण बनता है, जिससे स्थानीय स्तर पर ऊतक क्षति या आघात होता है। इस दृष्टि से समस्याओं के साथ शरीर के एक तरफ आंशिक पक्षाघात का भी कारण बनता है। पार्किसन्स रोग जो मध्य मस्तिष्क के कुछ तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) के अध:पतन के कारण होता है जो बेसल गैंगलिया को अपने आवेगों को भेजता है। इस रोग के कारण व्यक्ति कमजोरी, कंपकंपी, खराब संतुलन अंगों की जड़ता और गति करने में कठिनाई का अनुभव करता है।

3 मस्तिष्क खण्ड: लिम्बिक

लिम्बिक (लिम्बिक का अर्थ है ‘रिंग’) तंत्र कॉपर्स कोलोसम के चारों ओर एक सीमा बनाता है यह बांई गोलार्ध को दाईं ओर से जोड़ता है। इसमें सीगुलेट गाइरस, और हिप्पोकेम्पस जैसी संरचनाएं सम्मिलित है जो मस्तिष्क के दूसरे भागों जैसे कि अमिगडाला, सेप्टल नाभिक हाइपोथैलेमस और थैलेमस से जुड़े हैं। लिम्बिक सिस्टम को ‘‘पुराना मस्तिष्क के रूप में भी जाना जाता है। यह भावनात्मक अनुभव, अभिव्यक्ति, प्रेरणा से सम्बन्धित कार्य करता है, क्योंकि यह कोर्टेक्स के साथ विभिन्न संवेगों के अनुभव में सम्मिलित है, जैसे कि भय, क्रोध, गुस्सा, दुख, खिलाना, यौन व्यवहार, लड़ाई, अत: इसे संवेगात्मक मस्तिष्क भी कहा जाता है यदि इस क्षेत्र में कोई नुकसान होता है, तो यह स्थितियों के लिए असामान्य भावनात्मक प्रतिक्रियाएं की ओर बढ़ाता है। चूँकि लिम्बिक तंत्र सीखने और स्मृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए हिप्पोकेम्पस में कोई नुकसान होने के कारण स्मृति में कमी आती है।

4 अन्तरमस्तिष्क: थैलेमस

थैलेमस एक बड़ी दो पालि वाली संरचना है जो मस्तिष्क स्तम्भ के शीर्ष पर होता है। यह अग्रमस्तिष्क का केन्द्रीय भाग है जिसमें महत्वपूर्ण नाभिक जेनिकल्केट बांडीज़ के रूप में जाना जाता है। अनेक न्यूरॉन थेलेमस के नाभिक में स्थित होते हैं। जेनिकलकेट बॉडीज श्रवण और दृश्य सूचना के प्रसंस्करण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इसलिए थैलेमस दर्द, तापमान, स्पर्श और चेतना की संवेदना के लिए उत्तरदायी है। थैलेमस के नाभिक को मस्तिष्क स्तम्भ से आवेग प्राप्त होते हैं और इन्हें यह कोर्टेक्स के अलग अलग क्षेत्रों तक भेजता है। थैलेमिक नाभिक की एक मध्यवर्ती स्थिति होती है, यह संवेदी ग्राही (रिसेप्टर्स) से मोटर ग्राही (रिसेप्टर्स) को सूचना प्रसारित करता है। थैलेमिक क्षेत्र को कोई नुकसान घातक और अतिमूच्र्छा (कोमा) का कारण बन सकता है।

5 अन्तरमस्तिष्क: हाइपोंथैलेमस

हाइपोथैलेमस (हाइपो का मतलब नीचे) पूर्व थैलेमस के नीचे स्थित होता है। यह मस्तिष्क का एक छोटा भाग है जिसका वजन लगभग 7 ग्राम होता है। अपने छोटे आकार के बावजूद, यह कार्यात्मक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें तीन महत्वपूर्ण नाभिक है सुपराओपटिक नाभिक, पैरावेंट्रिकुलर नाभिक और स्तनधारी निकाय इसका मध्य भाग एक डंठल के रूप में उठा हुआ होता है जिसे इनफंडीबुलम (infundibulum) के रूप में जाना जाता है जो पाश्ववर्ती पीयूष गं्रथि से जुड़ा हुआ है। हाइपोथैलेमस जीवित रहने के साथ साथ जीवन का आनंद लेने के लिए आवश्यक है। चूँकि यह तंत्रिका तंत्र को अंत: स्रावी तंत्र से जोड़ता है। यह मस्तिष्क (मन) को शरीर (सोमा) से जोड़ता है।

स्तनधारी शरीर ध्राण संवेदनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह आनंद के केन्द्र के रूप में भी कार्य करता है, और विभिन्न प्रणोद जैसे खाना, भूख, नींद और यौन व्यवहार की सन्तुष्टि करता है। हाइपोथैलेमस स्वायत्त गतिविधियों को भी नियंत्रित करता है और स्वायत्त ग्राहकों द्वारा सभी प्रतिक्रियाओं को एकीकृत भी करता है। यह पीयूष ग्रन्थि से हारमोन्स के स्राव को नियंत्रित करता है। यह रिले केन्द्र का कार्य करता है। प्रमस्तिष्क वल्कुट (सेरेब्रल कोर्टेक्स) और स्वायत्त केन्द्रों के बीच सूचना स्थानांतरित करके यह शरीर में पानी के संतुलन को भी बनाए रखता है और शरीर की सभी कोशिकाओं के कार्यों को नियंत्रित करता है, क्योंकि यह अंत: स्रावी ग्रथियों को भी नियंत्रित करता है। चूंकि हाइपोथैलेमस उत्तेजना या सतर्कता को नियंत्रित करता है, इसलिए जाग्रत अवस्था बनाये रखने में भी सहायता करता है।

हाइपोथैलेमस में खाने के व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए भूख का केन्द्र है। यदि हाइपोथैलेमस को कोई नुकसान होता है, तो इसके कारण शरीर के तापमान में भिन्नता आती है और यह सामान्य स्तर से ऊपर बढ़ जाता है।

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