क्या है पुरुष नपुंसकता ?- कारण और उपचार

नपुंसकता लिंग उत्थान विकार लिंग से जुड़ा विकार है, लिंग में कामोत्तेजना नहीं आती, कामेच्छा का इससे कुछ भी लेना देना नहीं हैं। ऐसे रोगियों में कामेच्छा भरपूर होती है, संभोग करने अच्छा भी होती है परन्तु समस्या यह है कि जब लिंग, जो सम्भोग का साधन है उसमें कामोत्तेजना के कारण उत्थान ही नहीं आता तो, सम्भोग कैसे हो। कोई भी पुरुष जिसकी लिंग के संभोग करने के लिए जरूरी उत्थान नहीं आ पाता, उसे लिंगोत्थान विकार से पीड़ित या नपुंसक माना जाता है । 

यह विकार मनोजन्य व प्राकाल्पनिक होता है; संभोग सफलतापूर्वक सम्पन्न हो पायेगा या तन मन में ऐसा विचार या आशंका आने से लिंग में उत्थान नहीं आ पाता। (लेटर बारलो एवं उनके अन्य सहयोगी, 1983, 1996) का यह मानना है कि ऐसी चिंता से एंग्जायटो उत्पन्न हो जाती हैं जिससे सम्बंधित नसों में संकोच व अनिश्चिता के कारण भरपूर रक्त संचरण नहीं हो पाता और इसीलिए लिंग में संभोग करने के लिए वांछित उत्थान नहीं आ पाता। (2002) बारलो ने इस बात पर जोर दिया था कि मन में सकं ाचे और तत्जनित एग्ंजाइयटी के कारण अच्छे भले पुरुष भी कामोत्तजे ना प्राप्त नहीं कर पाते, उन्हें संभोग करने में बाधा उत्पन्न हो जाती है। पिछले बार किये गये सम्भोग की असफलता से उपजे नकारात्मक विचार भी उनके लिए सफल सम्भोग में बाधक बन जाते हैं।

इस प्रकार उनका अनमनापन उससे उपजे नकारात्मक विचार ऊपर से एग्ं जायटी उन्हें भरपूर कामोत्तेना उत्पन्न नहीं होने देते और लिंग में उत्थान नहीं आ पाता । उत्थान से मन में ऐसी धारणा आ जाती हैं कि अब तो सम्भोग संभव ही नहीं। इसीलिए ज्यादातर पुरुष उत्तेजना उत्पन्न पैदा करने वाली दवाइयाँ लेते हैं, परन्तु इसके अतिरिक्त प्रभाव हाते हैं। बढ़ी उम्र में प्राय:  लिंग उत्थान में कठिनाइयाँ आती है ।  

नपुंसकता के कारण

लिंग उत्थान विकार के ज्यादातर मामले बड़ी आयु में प्राय: नाडी़ जनित रोगों के कारण सामने आते है। इससे नस नाड़ियों में  लिंग उत्थान से समुचित रक्त संचार नहीं होता हे और वे संभोग से वंचित रह जाते हैं।

बूढ़े लोगों के लिंगोंत्थान विकार का सबसे सामान्य कारण नसों में पैदा होने वाला कोई रोग ही है, जिसके कारण रक्त संचार का स्तर बहुत बना रहता है और लिंग को उत्थान के लिए ए वांछित रक्त नहीं मिल पाता और इस कारण एक बार लिंगोत्थान हो भी जाय तो उसे बनाये रखे पाने के लिए लिंग लगातार बनाये नहीं रख पाता है।

उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि बीमारियों के कारण धमनियों में सूजन या अवरोध आ जाने से ही रक्त संचार में बाधा आ जाती है और समुचित रक्त न मिलने के कारण लिंगोत्थान नहीं हो पाता। धूम्रपान, मोटापा, नशे की लत व गलत जीवन शैली से उपजा समुचित बदलाव लाने से फिर से लिंगोंत्थान प्राप्त कर लेना संभव है ।

नपुंसकता का उपचार

लिंग और उत्थान प्राप्त करने के लिए अनेक औषधि व विधियाँ अपनायी जाती हैं। जहां व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए किये गये उपाय सफल नहीं हो पाते तो तर्क भी काम नहीं करता तो दवाएं  तथा पद्धतियां अपनाई जाती हैं इनमें शामिल दवाओं के नाम हैं ब्याग्रा, लेविट्रा फाइलिस। उत्थान कोशिकाओं के उत्थान बढ़ाने वाली दवाओं के इंजैक्शन दिये जाते हैं, नसों को लालने के लिए वेक्यूम पम्म का उपयोग किया जाता है । नसों के नष्ट हो जाने/नसों में चोट लग जाने के कारण यदि उनमें रक्त संचार नहीं हो पाता है तो उनकी चिकित्सा की जाती है। कभी कभी लिंग प्रतिस्थान पद्धति भी अपनाई जाती है, सिलिकॉन या रबड़ से बने अवयवों को अंदर प्रवेश करवाकर कोशिकाओं को रक्त संचार के लिए खोला जाता है जिसमें लिंगोत्थान संभव हो सके।

बाजार में वियाग्रा व सिलाजीत जैसी दवाओं की बढ़ती हुई माँग बताती है कि दवाई कितनी सफल रही है और पुरुषों में सम्भोग के लिए लिंग अक्षमता विकार कितना ज्यादा बढ़ा है तथा यह भी इसके बावजूद पुरुष सम्भोग हेतु कोई न कोई उपाय करते हो, उनके लिए जीवन में यौन क्रिया कितनी आवश्यक है। संभोग या काम संतुष्टि पर होने वाले अनुसंधान पर भी बताते हैं कि ये दवाइयाँ तर्कों के आधार पर व्यवहार चिकित्सा पद्धति की मदद से और अधिक कारगर साबित होती हैं ।

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