शराब के दुष्परिणाम, शराब पीने से शरीर पर क्या असर पड़ता है

हालांकि शराब एक अवसाद है, लेकिन इसका प्रारंभिक प्रभाव उत्तेजक होता है क्योंकि मस्तिष्क की निरोधात्मक क्षमता शुरू में धीमी हो जाती हैं। अच्छे होने का सामान्य अनुभव होता है, सामाजिक संयम खत्म होने लगता है और लोग अधिक खुशमिजाज हो जाते हैं। उच्च स्तर पर, यह मस्तिष्क के उत्तेजक न्यूरोट्रांसमीटर यानी ग्लूटामेट को बाधित करके मस्तिष्क के कामकाज को प्रभावित करता है। इससे उच्च स्तर के संज्ञानात्मक काम जैसे निर्णयात्मक कार्य, तर्कसंगत सोच , आत्म नियंत्रण, निषेध आदि कम हो जाते है। उदाहरण के लिए, शराब पीने वाला यौन उन्मुक्त व्यवहार में लिप्त हो सकता है, जो अन्यथा दबा हुआ होता है। कार चलाने की अपनी क्षमता को वे गलत आँक लेते हैं। ठंड, दर्द और अन्य बेचैनियों का प्रत्यक्षीकरण कम हो जाता है। 

अल्कोहल गर्मजोशी, खुशहाली और बड़े होने की सामान्य भावना को जन्म देता है, जिसके कारण व्यक्ति अपने परिवार और दोस्तों के प्रति ज्यादा प्रेम दिखाना शुरू कर देता है। व्यक्तिगत अनुभवों में मोटर चलाने की क्षमता में कमी, बातचीत में गड़बड़ी, दृष्टि दोष, और विचार प्रक्रियाओं का भ्रमित होना हैं। जब अल्कोहल रक्त सांद्रता में 0.5 प्रतिशत तक पहुंच जाता है, तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। आमतौर पर 0.55 प्रतिशत से अधिक अल्कोहल सांद्रता घातक होती है। शराब का प्रभाव (क) पेट में भोजन की मात्रा (ख) पीने की अवधि (ग) शारीरिक स्थिति (घ) शराब की चयापचय दर पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में यह कम होता है। अत्यधिक और नियमित अल्कोहल सेवन करने वालों के मस्तिष्क में कार्बनिक क्षति के बावजूद अत्यधिक जैविक क्षति के लक्षण नहीं दिखते हैं। 

अल्कोहल पीने से मस्तिष्क के उत्तेजक न्यूरोट्रांसमीटर यानी ग्लूटामेट को बाधित करके मस्तिष्क के कामकाज को प्रभावित करता है। 

बहुत से लोग शराब का सेवन जीवन की शुरूआत में ही प्रारम्भ कर देते हैं। किशोरावस्था में उम्र से बड़ा दिखने की चाहत अथवा प्रयोग के तौर पर साथियों के बीच शराब प्रयोग करने की आदत या तनाव पूर्ण स्थिति में, या अपने साथियों के बीच सामाजिक महत्व की इच्छा, शराब का सेवन शुरू करने से जुड़े हुए कुछ कारण हैं। वयस्क अपने दैनिक जीवन के तनाव से मुक्ति अथवा खुशी के पलों में शराब का प्रयोग करते हैं। अलग-अलग व्यक्तियों पर शराब की मात्रा का अलग-अलग असर पड़ता है। कुछ लोगों पर सीमित मात्रा में शराब पीने के भी दुष्प्रभाव होते हैं, चाहे वो जल्दी सामने ना आएं। लेकिन कुछ लोगों पर शराब की थोड़ी सी मात्रा का भी बुरा असर तुरंत पड़ जाता है। यह भी याद रखें कि देश के कुछ इलाकों में शराब पीना स्थानीय रिवाज़ का हिस्सा है। 

शराब पीने के दुष्परिणाम

  1. हृदय को नुकसान, हृदय रोग, स्ट्रोक एवं रक्तचाप
  2. कुछ विशेष प्रकार के कैंसर जैसे- मुख, खाने वाली नली (ग्रास नली), गला, लीवर और स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।
  3. लीवर, किडनी एवं पेन्क्रियाज के रोगों में वृद्धि
  4. प्रतिरोधक क्षमता की कमी
  5. मानसिक रोग जैसे- शराब के सेवन पर निर्भरता, आत्महत्या की प्रवृत्ति, व्यावहारिक समस्यायें जैसे- हिंसा, चिड़चिड़ापन, अवसाद, दुर्घटना एवं चोट, जिससे मौत भी हो सकती है आदि।
  6. नशे की लत वाले व्यक्ति को परिवार एवं दोस्तों द्वारा छोड़ देना।
  7. आजीविका का नुकसान - जिससे पूरा परिवार परेशान होता है।
  8. गर्भवती महिला द्वारा शराब का सेवन करने से प्रसव के समय जटिलतायें हो सकती हैं। साथ ही बच्चे में भी जन्मजात दोष होने की संभावना भी हो सकती है।

शराब का शरीर पर प्रभाव

शराब शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करती है। यह पेट में आरै फिर छोटी आँत में जाती हे जहां यह रक्त प्रवाह में अवशोषित हो जाती है। परिसचंरण प्रणाली इसे पूरे शरीर में वितरित करती है। अंत में, जब यह यकृत में जाता है, यह अवशोषित (उपापचयी) और टूट जाता है। इस प्रक्रिया में (अल्कोहल का मेटाबोलाइजेशन) बहुत सारे पानी का उपयोग होता है, जो बदन में जल की कमी (निर्जलीकरण), सिरदर्द, शुष्क मुंह और थकावट का कारण बन सकता है, जिसे ‘हैंगओवर’ के रूप में अनुभव किया जाता है। बड़ी मात्रा में शराब लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है और सिरोसिस का कारण बन सकती है। बहुत ज्यादा शराब पीने वालों में लगभग 15-30% को लिवर का सिरोसिस हो जाता है। 

अल्कोहल उच्च कैलोरी युक्त ड्रग है, लेकिन यह ‘‘ कैलोरी मुक्त’’ होती है, जिसका अर्थ है कि इन मादक पेय पदार्थों में कोई पोषण नहीं होता है। यही कारण है कि कई ज्यादा और लबें समय तक पीने वाले कुपोषण से पीडित़ हाते हैं। लंबे समय तक, शराब का सेवन, पोषक तत्वों को अवशोषित करने की शरीर की क्षमता को बाधित करता है, इसलिए विटामिन की गोलियाँ पोषक तत्वों की कमी की भरपाई नहीं कर सकती। शराब का सेवन वाले लोगों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएँ भी सामान्य हैं। कुल मिलाकर, शराब एक व्यक्ति के जीवन काल को आसैत व्यक्ति की तुलना में 12 वर्ष कम कर देता है।

शारीरिक प्रभावों के अलावा, एक पुराना और ज्यादा पीने वाला शराबी आमतौर पर अति सवेंदनशीलता, अवसाद और चिरकालिक थकान से पीडित़ होता है। कई लोगों के लिए, अस्थायी रूप से जीवन के तनावों से निपटने के लिए शराब को एक संवेगात्मक मुकाबला करने की रणनीति के रूप में प्रयोग किया जाता हे क्योंकि यह सुख और स्वयं के महत्वपूर्ण होने की भावनाओं को बढ़ाता है। हालांकि, कमजोर के अत्यधिक और लगातार उपयोग से गलत निर्णय, खराब तर्क शक्ति और व्यक्तित्व बिगड़ सकता है। जो लोग लंबे समय से शराब का उपयोग कर रहे हैं, वे गैर जिम्मेदार बन जाते हैं, उनका व्यक्तित्व और स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है, और वे पति/पत्नी और परिवार की उपेक्षा करने लगते हैं। शराब लोगो की कई तरह की चोटों, अपराध, एवं अंतरंग साथी से हिंसक बर्ताव का कारण बनता है। रोजगार और संबंधों का नुकसान का एक कारण शराब भी है। 

शराब के अत्यधिक और लंबे समय तक उपयोग से गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती है। लोगों को मानसिक विकृतियों जैसे वास्तविकता से दूर होना, भ्रम, उत्तेजना और उन्मत्तता का अनुभव हो सकता है। जो लोग लंबे समय तक अत्यधिक शराब पीते हैं, उनमें ‘अल्कोहल विद्ड्राअल डेलीरियम’ नामक लक्षण देखा जा सकता है। यदि व्यक्ति वापसी की स्थिति में प्रवेश करता है। ‘अल्कोहल विदड्रॉवल डेलीरियम’ में व्यक्ति को समय, स्थान का बोध नहीं होता, पागलपन (साँप, छिपकली, कॉकरोच जैसे जंतु), अत्यधिक सुझाव, भय, हाथ कांपना, बुखार, दिल की तजे धड़कन आदि लक्षणों का अनुभव करता है। यह 3-6 दिनों तक चल सकता है, और व्यक्ति बुरी तरह से डर जाता है। ऐंठन और दिल के रुक जाने के कारण भी मृत्यु हो सकती है। 

लबें समय से शराब पीने वालों में एक अन्य शराब संबंधी मनोविकृति ‘अल्कोहल एमनेस्टिक विकार (जिसे पहले कोर्साकॉफ सिंड्रोम कहा जाता था) है। इस स्थिति में व्यक्ति के पास गलत यादों के साथ स्मृति दोष भी होते हैं। व्यक्ति भ्रामक, पागल और भटका हुआ लगता है। वह उन वस्तुओं और लोगों को पहचानने में असमर्थ है, जिन्हें उन्होंने अभी देखा है इसलिए वे याददाश्त के रिक्त स्थानों (’मेमोरी गैप’) को भरने की बातें करता है। 

‘अल्कोहल एमनेस्टिक डिसऑर्डर’ के लक्षण अब विटामिन-बी (थायमिन) की कमी और अन्य आहार संबंधी कमियों से जुड़ी मानी जाती है। हालांकि, विटामिन और खनिजों से भरपूर आहार आमतौर पर रोगी की सामान्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार नहीं पाता। शोध से पता चलता है कि व्यक्तित्व में गिरावट के साथ-साथ कुछ स्मृति हानि भी बनी रह जाती हैं।

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