सर्वप्रथम, प्रशासनिक सुधारों के लिए कई समितियों का गठन
किया गया। इन समितियों ने प्रशासन के विभिन्न पहलुओं के सम्बन्ध में सुझाव दिए।
प्रशासनिक सुधार आयोग इस ओर लिए गए कदमों में एक महत्वपूर्ण संस्थान है। भारत
सरकार ने दो आयोगों का गठन किया, जिसमें पहला प्रशासनिक सुधार आयोग 1966-70 की अवधि में
स्थापित किया गया और दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग 2005 में स्थापित किया गया।
सबसे पहले पहला प्रशासनिक सुधार आयोग की चर्चा करेंगे।
पहला प्रशासनिक सुधार आयोग 1966-1970
पहला प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन गृह मंत्रालय द्वारा 5 जनवरी 1966 को भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा लोक प्रशासनिक व्यवस्था की समीक्षा हेतु किया गया था। श्री मोरारजी आर. देसाई इसके अध्यक्ष थे और बाद में श्री हनुमन्थैया इसके अध्यक्ष बने। प्रस्ताव में आयोग के जनादेश के बारे में विवरण सम्मिलित था।पहला प्रशासनिक सुधार आयोग का जनादेश
पहला प्रशासनिक सुधार आयोग को सार्वजनिक प्रशासन में सरकार की सामाजिक और आर्थिक नीतियों को आगे बढा़ ने और विकास के सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए साथ ही साथ एक सार्वजनिक साधन माना गया ताकि सार्वजनिक सेवाओं में दक्षता और अखंडता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर विचार करने के लिए मजबूर किया जा सके और वे भी, जो लोगों के प्रति उत्तरदायी है।विशेष
रूप से आयोग को निम्नलिखित विषयों पर विचार व उनकी समीक्षा करना था और इन क्षेत्रों
में अपने सुझाव प्रस्तुत करने थे:
- भारत सरकार की मशीनरी और इसकी कार्य प्रक्रियाएँ
- सभी स्तरों पर योजना मशीनरी
- केन्द्र और राज्य सम्बन्ध
- राज्य स्तर पर प्रशासन
- वित्तीय प्रशासन
- कार्मिक प्रशासन
- आर्थिक प्रशासन
- जिला प्रशासन
- कृषि प्रशासन
- नागरिकों की शिकायतों का निवारण
पहला प्रशासनिक सुधार आयोग के अपवाद
आयोग रक्षा, रेलवे, विदेश मंत्रालय, सुरक्षा और खुफिया तंत्र से जुड़ी सविस्तार जाँच को अपने सीमा क्षेत्र से अलग कर सकता है क्योंकि इनके पास अपने स्वयं के आयोग हैं। हालाँकि, आयोग, समग्र सरकारी मशीनरी के पुनर्गठन के सुझाव देते हुए इन क्षत्रे ों को ध्यान में रखने के लिए स्वतंत्र होता है।पहला प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट
आयोग ने 20 रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जो कि इस प्रकार है:- नागरिकों को शिकायतों के निवारण के मुद्दे
- योजना के लिए मशीनरी
- योजना के लिए मशीनरी (अंतिम)
- सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम
- वित्त, लेखा और लेखा परीक्षण
- आर्थिक प्रशासन
- भारत सरकार की मशीनरी और इसकी कार्य प्रक्रियाएँ
- जीवन बीमा प्रशासन
- केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर प्रशासन
- केन्द्र शासित प्रदेशों और नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (एन.ई.एफ.ए.) का प्रशासन
- कार्मिक प्रशासन
- वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों का प्रत्यायोजन
- केन्द्र-राज्य संबंध
- राज्य प्रशासन
- लघु स्तर सेक्टर
- रेलवेस
- कोषागार
- भारतीय रिजर्व बैंक
- डाक एवं तार
- वैज्ञानिक विभाग
दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग 2005
दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग 2005 में भारत सरकार के इस संकल्प के साथ स्थापित किया गया था कि लोक प्रशासन प्रणाली को नया रूप देने के लिए एक विस्तृत खाका तैयार किया जा सके। एक अध्यक्ष, तीन अन्य सदस्य, तथा एक सदस्य सचिव इस आयोग में थे। इसके अध्यक्ष श्री वीरप्पन मोइली थे।दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग को जनादेश
सरकारी स्तर पर देश के लिए एक सक्रिय, उत्तरदायी, जबाव देह, सतत और कुशल प्रशासन प्राप्त करने के लिए आयोग को जनादेश दिया गया था। आयोग ने निम्नलिखित विषयों की समीक्षा की:- भारत सरकार की संगठनात्मक संरचना
- शासन में नैतिकता
- कार्मिक प्रशासन का नवीनीकरण
- वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को सशक्त बनाना।
- राज्य स्तर पर प्रभावी प्रशासन
- प्रभावी जिला प्रशासन
- स्थानीय स्वशासन/पंचायती राज संस्थायें
- सामाजिक पूंजी, विश्वास, और सार्वजनिक सेवाओं में भागीदारी
- नागरिक केंद्रित प्रशासन
- ई-शासन को बढ़ावा देना
- संघीय राजनीति के मुद्दे
- संकट प्रबंधन
- 1सार्वजनिक व्यवस्था
दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग के अपवाद
आयोग रक्षा, रेलवेस, विदेशी मामले, सुरक्षा, और गुप्तचर कार्य से जुड़ी सविस्तार जाँच को अपने सीमा क्षेत्र से अलग कर सकता है। ये ऐसे विषय हैं, जिनके स्वयं के आयोग हैं। हालाँकि, आयोग, समग्र सरकारी मशीनरी के पुनर्गठन की सुझाव करते हुए इन क्षत्रे ों को ध्यान में रखने के लिए स्वतंत्र होता है।दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट
आयोग ने सरकार को विचारार्थ 15 रिपोर्ट प्रस्तुत किए हैं। सरकार ने मार्च 30, 2007 को मंत्रियों के एक समूह का विदेश मंत्री के अध्यक्षता में गठन किया। इसका कार्य दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग के सुझावों पर विचार करना, सुझावों के कार्यान्वयन की गति की समीक्षा करना, तथा इन सुझावों के कार्यान्वयन में संबंधित मंत्रालयों और विभागों का मार्गदर्शन करना था। अगस्त 21, 2009 से वित्त मंत्री की अध्यक्षता में इसका पुनर्गठन किया गया।कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में प्रशासनिक सुधार के लिए एक कोर समूह ने सभी 15
रिपोर्टों की जाँच की और इन रिपोर्टों पर विचार भी किया गया। ये रिपोर्ट हैं:
- पहली रिपोर्ट : सूचना का अधिकार सुशासन की कुंजी
- दूसरी रिपोर्ट : मानव-पूंजी का अनावरण पात्रता और शासन- नरेगा से सम्बन्धित केस अध्ययन
- तीसरी रिपोर्ट : संकट प्रबंधन- निराशा से आशा तक
- चौथी रिपोर्ट : शासन में नैतिकता
- पाँचवीं रिपोर्ट : लोक व्यवस्था-सभी के लिए न्याय, सभी के लिए शांति
- छठी रिपोर्ट : स्थानीय शासन
- सातवीं रिपोर्ट : संघर्ष के लिए क्षमता निर्माण
- आठवीं रिपोर्ट : आतंकवाद का मुकाबला (गृह मंत्रालय के अंतर्गत)
- नौवीं रिपोर्ट : सामाजिक पूंजी-एक साझा कर्म
- दसवीं रिपोर्ट : कार्मिक प्रशासन का नवीनीकरण-नई ऊँचाई को मापना
- ग्यारहवीं रिपोर्ट : ई-गवर्नेंस को बढ़ावा-आगे बढ़ने का तीक्ष्ण तरीका
- बारहवीं रिपोर्ट : नागरिक केन्द्रस्थ प्रशासन-प्रशासन का केन्द्र
- तेरहवीं रिपोर्ट : भारतीय सरकार की संगठनात्म्क संरचना
- चौदहवी रिपोर्ट : वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को मजबूत बनाना
- पंद्रहवी रिपोर्ट : राज्य और जिला प्रशासन
संदर्भ और अन्य उपयोगी पुस्तकें -
- सिंह, होशियार, 2011, इण्डियन एडमिनिस्ट्रेशन, डोरलिंग किडरस्ले, (इंडिया) प्राइवेट लिं., नई दिल्ली
- भगवती, जे. और टी.एन. श्रीनिवासन, 1993, इण्डियन इकॉनोमिक रिफार्मस, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली
- हेनरी, निकोलस, 2007, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड पब्लिक अफेयर्स, प्रैटिस हॉल ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली
- स्यूली सरकार, 2010, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इन इंडिया, प्रैटिस हॉल ऑफ इंडिया लर्निंग प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली।
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