कलेक्टर की शक्तियां और कार्य

कलेक्टर के पद का सृजन 200 वर्षों से अधिक समय पहले किया गया था। यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण पदों में से है। यह पद स्वतंत्र भारत की लोक प्रशासन प्रणाली को उपनिवेशी शासकों से विरासत में मिला है। वह देश में ज़िला/जिला प्रशासन का सर्वोच्च अधिकारी होता है। 

कलेक्टर की शक्तियां और कार्य

कलेक्टर का कार्यालय एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो ब्रिटिश शासकों से भारतीय प्रशासन प्रणाली को मिली। वह परम्परागत राजस्व संबंधी कार्य और विकास संबंधी कार्य भी करता है। कलेक्टर निम्नलिखित कार्य करता है।

i) कलेक्टर ने राजस्व अधिकारी के रूप में कार्य आरंभ किया, और वह अब भी प्रधान राजस्व अधिकारी तथा जिले के राजस्व प्रशासन का प्रमुख है। स्वतंत्रता के बाद यद्यपि विकास प्रशासन पर अधिक बल दिए जाने के कारण राजस्व प्रशासन का महत्व गौण हो गया है, फिर भी राजस्व संबंधी कार्य अभी भी ज़िला कलेक्टर के पास हैं। 

राजस्व संग्रह करने के अलावा, कलेक्टर भूमि सुधारों और राजस्व प्रशासन (सरकारी भूमि की अभिरक्षा सहित) से संबंधित सभी मामलों का प्रहस्तन करता/करती है। राजस्व प्रशासन के कार्यों में कई अधिकारी जैसे अपर कलेक्टर/संयुक्त कलेक्टर उसकी सहायता करते हैं। वह राज्य उत्पाद शुल्क अधिनियम के अधीन ज़िले का प्रभारी अधिकारी है।

ii) ज़िला कलेक्टर, ज़िला आपदा प्रबंधन समिति का अध्यक्ष है जो आपदाओं के प्रभाव को दूर करने तथा प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ित लोगों को तात्कालिक तथा दीर्धावधिक सहायता प्रदान करने के लिए अग्रिम योजना बनाने के लिए उत्तरदायी है। वह जिले में राहत कार्य का प्रमुख अधिकारी होता है। बाढ़ जैसी आपात स्थिति में कलेक्टर बहुत महत्वपूर्ण  भूमिका निभाता है। आपात स्थिति के संबंध में, अधिकतर कलेक्टर के आकलन के आधार पर सरकार राहत की मात्रा/राशि और वितरण के तरीकों पर निर्णय लेती है।

iii) ज़िला कलेक्टर, ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में भी कार्य  करता है, और वह जिले में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उत्तरदायी होता  है। कार्यकारी से न्यायपालिका अलग होने के बाद कलेक्टर दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) के निवारक अनुभाग से संबंधित है। वह विशेष अपराध-रोधी  सुरक्षा अधिनियमों या राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अधीन अभिरक्षा/कैद में रखने का वारंट जारी करने वाला/वाली प्राधिकारी है। उसके कार्य में, जिले में पुलिस प्रशासन का प्रमुख - पुलिस अधीक्षक उसकी सहायता करता है। पुलिस अधीक्षक सभी महत्वपूर्ण मामलों में, कलेक्टर से आदेश लेता है। 

बिहार पुलिस अधिनियम, 2007 के अधीन कलेक्टर ज़िला ज़िम्मेदारी प्राधिकरण का अध्यक्ष है, जो विभागीय और कनिष्ठ पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कदाचार की शिकायतों की जांच से संबंधित मुद्दों का अनुवीक्षण करता/करती है। कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के बीच तनावपूर्ण संबंधों की घटनाएं सामने आई हैं। कुछ परिस्थितियों में, इन दोनों में यथोचित तालमेल की कमी सम्पूर्ण ज़िला प्रशासन को प्रभावित करती है।

iv) ज़िला कलेक्टर, ज़िला प्रशासन का प्रमुख है। ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में  वह कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उत्तरदायी है। मुख्य राजस्व अधिकारी के रूप में, वह भूिम सुधारों तथा राजस्व प्रशासन (सरकारी भूमि की अभिरक्षा सहित) से संबंधित सभी मामलों का प्रहस्तन करता है। वह कई अन्य विभागों जैसे ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, सामाजिक कल्याण, आदि से भी संबद्ध है। कई राज्यों में, पंचायती राज निकायों से उसके बहुत महत्वपूर्ण संबंध हैं। 

ज़िला प्रशासन के प्रमुख के रूप में, वह विभिन्न विभागों जैसे राजस्व, पुलिस और अन्य विभागों के बीच समन्वयकारी भूमिका निभाता/निभाती है। यदि स्थानीय निकाय सार्वजनिक शान्ति का खतरा बनते हैं तो उसे उनके प्रस्तावों को निलम्बित करने की शक्ति प्राप्त है। वह जिले के कई आधिकारिक तथा गैर- आधिकारिक निकायों का अध्यक्ष हाते ा है। ज़िला कलेक्टर, ज़िला राष्ट्रीय सूचना केन्द्र पर अधीक्षण का कार्य करता है। वह उन्हें कितना समय देता है, यह उसकी अपनी व्यक्तिगत रुचि पर निर्भर करता है।

v) उसे ज़िला स्तर पर सरकार के प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है। वह स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय झंडा फहराता है। उसे कई नयाचार (प्रोटोकॉल) के कार्य भी करने होते हैं, जैसे जिले में मंत्रियों और अति-विशिष्ट व्यक्तियों के दौरों के समय उनसे मुलाकात करना। बाढ़ जैसी आपात स्थिति में, वह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह प्रभावित व्यक्तियों को सहायता देने के लिए ज़िला प्रशासन की किसी भी शाखा को किसी भी विशिष्ट कार्य करने के लिए आदेश दे सकता है। जनगणना कार्य और संसद से ग्राम पंचायत तक विभिन्न लाके तंत्रीय निकायों का निर्वाचन कराना उसका एक और महत्वपूर्ण  कार्य है। 

कलेक्टर उन कुछ जिलों में, जहाँ अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं, राज्यपाल के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है। ऐसे कई अन्य कार्य है जिनसे कलेक्टर पूर्णत: संबद्ध होता है जैसे सामाजिक सुरक्षा, पेंशन, लाइसेंस प्रदान करना, आदि। अनिवार्य वस्तुओं की कमी और बढ़ते हुए मूल्य के कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली ज़िला प्रशासन का महत्वपूर्ण भाग बन गई है। वह प्रत्यक्ष रूप से, सभी अनिवार्य वस्तुओं के वितरण और सामग्री के नियंत्रण के लिए उत्तरदायी होता  है। 

अधिकांश राज्यों में  कलेक्टर के अधिकार क्षत्रे में ज़िला स्तर पर खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के कार्यकरण में वह प्रत्यक्ष भूमिका निभाता है। वितरण प्रणाली के प्रमुख के रूप में, उससे यह आशा की जाती है कि वह दुर्लभ सामग्री का समय पर और समान रूप से वितरण सुनिश्चित करे। ज़िला कलेक्टर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्यान्वयन की निगरानी करता है और उसे अनिवार्य वस्तु अधिनियम के उपबंधों तथा संबद्ध नियमों और आदेशों को लागू करने की शक्तियां प्राप्त है। 

कलेक्टर कृषि, पशुपालन, पशु चिकित्सा, हथकरघा, सिंचाई और उद्योग विभागों की बहुत-सी समितियों की बैठकों की अध्यक्षता करता है। कलेक्टर के लिए ये समितियाँ उत्कृष्ट मंच सिद्ध होती हैं, क्योंकि इन समितियों की बैठकों के माध्यम से उसे नीति कायार्न्वयन के तरीकों; और स्थानीय लोगों की समस्याओं को समझने का अवसर मिलता है।

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