जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर वर्ष 1992 में ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियों में सम्पन्न ‘पृथ्वी
सम्मेलन’ के दौरान पहला कदम उठाया गया। इस शिखर सम्मेलन में 192 देशों के प्रतिनिधियों ने
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क को स्वीकार किया था। इस संधि में जलवायु परिवर्तन के
लिए जिम्मेदार कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए अन्तर्राश्ट्रीय प्रयासों की बात कही गई थी। इसमें
दुनिया के तापमान को 2 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक नहीं बढ़ने देने पर सभी देशों से कार्बन उत्सर्जन में
स्वैच्छिक कटौती करने की बात कही।
विश्व में सालाना कार्बन उत्सर्जन की मात्रा के आधार पर चीन
दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है जबकि अमरीका दूसरे व भारत पाँचवे स्थान पर है। संधि पर
हस्ताक्षर करने वाले राष्ट्रों को इसमें पार्टी या पक्ष के रूप में जाना जाता है। इसलिए 1995 के बाद
इसके वार्षिक सम्मेलनों को ‘पार्टियों के सम्मेलन’ या ‘कोप’ (कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज) या ‘कोपेनहेगन
सम्मेलन’ के नाम से जाना जाता है।
हाल ही में 18 दिसम्बर 2009 को 15 वाँ कोपेनहेगन सम्मेलन
डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में सम्पन्न हुआ।
Tags:
कोपेनहेगन सम्मेलन 2009