लोकगाथा / लोककथा के विभिन्न प्रकारों का विवेचना

लोकगाथा लोकगीतों का ही एक विस्तारित और परिवर्धित स्वरूप है। लोकगाथा में लोक तत्व, गेयता और कथा तत्व का संतुलित सामंजस्य होता है। लोकगाथाएं इस तरह की गेय रचनाएं हैं, जिनमें कोई लोकप्रिय कथा हो और उसे सजीव ढंग से कहा गया हो। इस दृष्टि से लोकगाथाएं लोकगीतों की तुलना में एक संचार माध्यम के रूप संदेश के प्रसारण में अधिक सफल मानी जाती हैं। इनका आकार भी लोकगीतों की तुलना में कहीं बड़ा होता है। 

लोकगीतों में एक ही विषयवस्तु होती है जबकि लोकगाथाओं में विविध घटनाओं और अनुभूतियों का चित्रण होता है। लोकगाथाओं में अनेक बार उपकथाएं भी होती हैं और कई बार कथा विस्तार में कई पीढ़ियों का अन्तराल भी। लोकगीत में एक ही रस होता है जबकि लोकगाथाओं में अनेक रस एक साथ मिलते हैं। 

लोकगाथाओं में परम्परा, व्यक्तित्व चित्रण, ऐतिहासिकता, अलौकिकता आदि प्रभावों का समावेश होता है।

लोकगाथा के प्रकार

लोकगाथा को मुख्यत: तीन वर्गो में बांटा जा सकता है।
  1. प्रेमकथात्मक लोकगाथाएं उदाहरणार्थ हीर रांझा, ढोला मारू आदि ।
  2. वीरगाथात्मक लोकगाथाएं, यथा आल्हा, लोरिकायन आदि।
  3. रोमांचपूर्ण लोकगाथाएं यथा सोरठी आदि।

भारतीय लोकगाथा की विशेषताएं

भारतीय लोकगाथाओं की अनेक विशेषताएं हैं, जिनमें प्रमुख इस प्रकार हैं :-
  1. प्राय: इनके रचनाकार और रचनाकाल अज्ञात होते हैं।
  2. लोकगाथाएं गेय होती हैं।
  3. प्राय: इनकी रचना लोकछन्दों में होती है।
  4. इनमें स्थानीय बोलियों, कहावतों तथा मुहावरों का प्रयोग होता है।
  5. इनकी कथाएं स्थानीय नायकों पर आधारित होती हैं।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

1 Comments

  1. Lokkatha or lokgatha me difference publish kr do

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