महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के मुख्य उद्देश्य

वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार हमारे देश के लगभग 70 प्रतिशत लोग गाँवों में निवास करते हैं। इसलिए स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि गाँवों में लोगों के लिए रोजगार जुटाए बिना भारत को विकसित नहीं किया जा सकता। यह सच है कि विश्व में भारत ऐसा पहला देश है कि जिसने ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सुनिश्चित करने के लिए 7 दिसम्बर, 2005 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम पारित किया। यह योजना पूरे देश में लागू है। 

वर्ष 1993-94 के अनुसार 2.70 करोड़ बेरोजगार थे। तथा 2006-07 को देखते हुए भारत सरकार ने मनरेगा में तेजी लाने का निर्देश दिया। छ: वर्ष के भीतर इस योजना से वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर बदल गयी। मनरेगा की सफलता का एक और आयाम यह है कि इसकी बदौलत गाँवों के विकास कार्यों तथा स्थाई दूसरी संपत्तियों के निर्माण की व्यवस्था को मजबूत बन रही है। इसे चलाने में पंचायती राज संस्थाओं की सक्रिय भूमिका के चलते ग्रामीण प्रशासन का विकेन्द्रीकरण हो रहा है। इस प्रकार आपसी सामंजस्य तथा लोकतन्त्र की जडे़ मजबूत हो रही हैं।

गाँवों को बेरोजगारी के अभिशाप से विमुक्त करने के लिए आवश्यक है कि एक तरफ गाँवों में आधारभूत सुविधाओं बिजली, पानी, सिंचाई स्वास्थ्य व शिक्षा आदि की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए दूसरी तरफ पशु पालन एवं संबद्ध क्षेत्रों के विकास हेतु प्रभावी कदम उठाए जाय साथ ही साथ कृषि अर्थव्यवस्था के स्थायी संवृद्धि के विकास को प्रोत्साहन दिया जाय। सूखा वनों की कटाई और मृदाक्षरण जैसे अन्य गरीबी के कारणों को दूर करने वाले कार्यों के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को अपनाया जाय। 

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम के मुख्य उद्देश्य 

इसी आधार पर मनरेगा का मुख्य उद्देश्य कुछ इस प्रकार बना है-
  1. ग्राम पंचायत द्वारा ग्रामीण की खुली बैठक कर विकास कार्यों की जानकारी देना।
  2. ग्राम पंचायत द्वारा पंचायत के बेरोजगार को चिन्हित करना।
  3. ग्रामीण बेरोजगार को जाब कार्ड उपलब्ध कराना।
  4. जल संरक्षण एवं जल संचय।
  5. सूखे से बचाव के लिए वृक्षारोपण और संरक्षण।
  6. सिंचाई के लिए सूक्ष्म एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं सहित नहरों का निर्माण ।
  7. अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जन जाति परिवारों या भूमि सुधारों के लाभार्थियों की जमीन तक सिंचाई की सुविधाएं पहुंचाना।
  8. गाँवों में सड़कों का व्यापक जाल बिछाना ताकि सभी गाँवों तक 12 महीने सहज आवा-जाही हो सके सड़क निर्माण परियोजना में जरूरत के हिसाब से पुलिया भी बनायी जा सकती है और गांवों के भीतर सड़कों के साथ-साथ नालियाँ भी बनाई जा सकती है।
  9. ग्रामीण की अर्थ व्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास करना।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम की विशेषताएं

  1. ग्राम पंचायत के विधिवत सत्यापन के बाद रोजगार कार्ड जारी किया जाता है।
  2. इस अधिनियम के तहत एक वित्तीय वर्ष में परिवार के एक सदस्य को 100 दिन का रोजगार उपलब्धता की गारंटी होती है।
  3. रोजगार कार्ड आवेदन को तारीख से 15 दिनों के भीतर जारी किया जाता है।
  4. यदि रोजगार 5 किमी0 से दूर उपलब्ध कराया जा रहा है, तो इसके वेतन में 10 प्रतिशत अतिरिक्त वेतन देना पड़ता हैं
  5. यदि रोजगार 15 दिन में उपलब्ध नहीं होता है तो बेरोजगारी भत्ते का भुगतान किया जाता है।
  6. कार्य स्थल पर झूला घर, विश्राम गृह, जैसे सुविधाएं होती हैं।
  7. उत्तरदायी कार्यान्वयन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए शिकायत निवारण तंत्र बनाया जाता है।
  8. योजना से संबंधित सभी खाते और रिकार्ड सार्वजनिक जॉच के लिए उपलब्ध कराया जाता है।
पंजीकरण के लिए सादे कागज पर आवेदन दिया जा सकता है। यह आवेदन स्थानीय ग्राम पंचायत के पास जमा कराया जायेगा आवेदन पत्र में परिवार के उन सभी वयस्क सदस्यों के नाम होने चाहिए जो अकुशल शारीरिक श्रम करने को तैयार हैं। उनकी उम्र, लिंग और अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जन जाति, श्रेणी आदि का भी उल्लेख होना चाहिए। पंजीकरण हेतु राज्य सरकार द्वारा छपे हुये फार्म, सादे कागज पर या पंचायत के समक्ष मौखिक रूप से भी आग्रह भी आवेदन के रूप में स्वीकार किये जायेंगे। साथ ही साथ आवेदन पंजीकरण और पुष्टि की उपरोक्त पद्धति के बावजूद अधिनियम का क्रियान्वयन शुरू होने से पहले ग्राम सभा की एक बैठक बुलाई जाएगी। 

ग्राम सभा की इस बैठक में पंजीकरण के लिए प्राप्त आवेदन प्रस्तुत किये जायेंगे और उनकी जाँच की जायेगी। प्राय: अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकरण कराने के इच्छुक व्यिक्त्यों की पहचान के लिए घर-घर जाकर भी सर्वेक्षण किया जा सकता है। सर्वेक्षण करने वाली टीम ग्राम पंचायत के मुखिया की देख-रेख में काम करेगी उसमें वार्ड सदस्यों, ग्राम स्तरीय सरकारी कर्मचारियों, सचिव की भी सक्रिय हिस्सेदारी रहेगी। जो परिवार साल में कुछ समय के लिए रोजी रोटी के लिए अन्यत्र पलायन करते हैं, ऐसे परिवारों को रोजगार का मौका उपलब्ध कराने के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया ग्राम पंचायत कार्यालय में पूरे साल जारी रहेगी।

रोजगार कार्ड धारक मूल कार्ड खो जाने या क्षतिग्रस्त हो जाने पर रोजगार कार्ड की नकल (डुप्लीकेट) की माँग कर सकता है। उसकी मांग पर वैसे ही कार्यवाही की जायेगी जिस तरह आवेदन पर कार्यवाही की गयी थी। इस बार एक मात्र फर्क यह होगा कि आवेदक से संबंधित जानकारियों की पुष्टि के लिए पंचायत के पास पहले से मौजूद रोजगार कार्ड की डुप्लीकेट प्रति का ही इस्तेमाल किया जायेगा। इसी प्रकार पंचायती कामों के लिए ग्राम पंचायत को कार्य आदेश जारी करके काम शुरू करने का अधिकार होगा। इस विषय मं पंचायत ही काम के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों को रोजगार दे सकती है। कामों के आवंटन में ग्राम पंचायत के भीतर रहने वाले निवासियों को प्राथमिकता दी जायेगी। कार्यक्रम अधिकारी भी कार्य आदेश जारी करके काम शुरू कर सकता है। 

इस श्रेणी में उन परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी जो इन पंचायतों के आस-पास लागू होने वाली है। साथ ही साथ महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए यह आवश्यक है कि रोजगार पाने वालों में कम से कम एक तिहाई संख्या महिलाओं की हो।

ग्राम पंचायत में ग्राम पंचायत अध्यक्ष अपने पंचायत में खुली बैठक कर ग्राम पंचायत के सभी कार्यों तथा ग्राम पंचायत में आने वाले सरकार द्वारा स्वीकृत धन को अवगत कराये और ग्राम पंचायत के कार्यों का एक ब्यौरा बनाकर ग्राम पंचायत के सदस्यों का सामूहिक हस्ताक्षर कराके ग्राम पंचायत अधिकारी को प्रस्तुत करें। क्योंकि किसी भी योजना का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन तभी किया जा सकता है। जब इस योजना की जानकारी ग्राम पंचायत के सम्पूर्ण लोगों को हो। पहले इस योजना को नाटक, नुक्कड़ तथा दूर संचार के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता था। लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समाज धीरे-धीरे जागरूक हो चुका है। ग्राम पंचायत अध्यक्ष का यह दायित्व बनता है कि अपने ग्राम पंचायत से सम्पूर्ण विकास के लिए ब्लाक, जिला प्रदेश तथा देश स्तर से नयी-नयी योजनाएं महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से लाये और ग्राम पंचायत के लोगों को अवगत कराये।

उपरोक्त तथ्यों के आधर पर यह कहा जा सकता है कि ग्रामीण बेरोजगारी दूर करने, गरीबी दूर करने, ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करने की योजना मनरेगा अपने उद्देश्यों में सफल रही है। लेकिन महॅगाई जैसी वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इसमें संशोधन करना जरूरी भी है। जैसे 100 दिन से बढ़ाकर 150 दिन रोजगार देना। रोजगार 5 किमी0 से दूर है तो वेतन में 20 प्रतिशत अतिरिक्त वेतन भुगतान किया जाय।

सन्दर्भ ग्रन्थ-
  1. कुरूक्षेत्र ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार, फरवरी 2013.
  2. महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम 2005.
  3. आर्थिक समीक्षा (वार्षिक) वित्त मंत्रालय भारत सरकार, 2013।

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