संविधान के अनुच्छेद 74 में केवल मंत्रिपरिषद की व्यवस्था है और केबिनेट का कोई वर्णन नहीं है। केबिनेट एक अतिरिक्त संवैधानिक संस्था है। यह मंत्रिपरिषद का एक भाग है जिसमें 15 से 20 तक उच्च स्तर के मंत्री ही शामिल होते हैं। इन मंत्रियों तक उच्च स्तर के मंत्री ही शामिल होते हैं। इन मंत्रियों को केबिनेट मंत्री कहा जाता है। तथा ये मिलकर साझे रूप में नीति-निर्माण का कार्य प्रधानमंत्री के नेतृत्व में करते हैं। केबिनेट के द्वारा लिए गये निर्णयों को सदैव ही मंत्रिपरिषद के निर्णयों के नाम से पुकारा जाता है और सभी मंत्रियों का यह कर्तव्य होता है कि वे उन निर्णयों का समर्थन करें। प्रत्येक असहमति रखने वाले मंत्री को अपना पद छोड़ना पड़ता है जैसा कि अगस्त 1991 में श्री राममूर्ति ने किया था।
मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद में अंतर
मंत्रिपरिषद वास्तव में भारतीय राजनीतिक प्रणाली में शक्ति का वास्तविक केन्द्र होती है। मंत्रिपरिषद और मंत्री-मंडल में अन्तर है-
- केबिनेट मंत्रिपरिषद का भाग है। मंत्रिपरिषद एक बड़ी संस्था है जबकि केबिनेट छोटी, परन्तु यह मंत्रिपरिषद का सबसे महत्त्वपूर्ण और शक्तिशाली भाग होती है।
- सभी मंत्री मिलकर मंत्रिपरिषद बनाते हैं, जबकि केबिनेट में 15 से 20 तक उच्च स्तर के महत्त्वपूर्ण मंत्री होते हैं जिनको केबिनेट मंत्री का स्तर मिला होता है।
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता के अधीन केबिनेट की बैठकों, जो निरन्तर (कम-से-कम सप्ताह में एक बार) होती है, में केवल केबिनेट मंत्री केबिनेट मंत्री ही भाग लेते हैं। दूसरे मंत्री केबिनेट की बैठक में तभी भाग लेते हैं जब प्रधानमंत्री के द्वारा विशेष रूप में उनको ऐसा करने के लिए कहा जाए। पूर्ण मंत्रिपरिषद की बैठक बहुत ही कम होती है।
- नीति-निर्माण करना केबिनेट का कार्य होता है, मंत्रि-परिषद् का नहीं।
- अनुच्छेद 74 के अनुसार संविधान में मंत्रिपरिषद की व्यवस्था है केबिनेट की नहीं। केबिनेट का संगठन और कार्य करने ढंग संसदीय प्रणाली की परम्पराओं पर निर्भर रहता है। तकनीकी रूप में केबिनेट एक अतिरिक्त सम्वैधानिक संस्था है, लेकिन भारतीय राजनीतिक प्रणाली की एक सबसे अधिक शक्तिशाली संस्था है।
मंत्रिमंडल के कार्य और शक्तियां
1. मंत्रिमंडल के नीति निर्धारण का कार्य - केबिनेट अथवा मंत्रिमण्डल का सबसे उल्लेखनीय कार्य शासन की आन्तरिक तथा विदेश नीति का निर्माण करना है। संसदीय पद्वति के अनुसार, केबिनेट को अपनी नीतियों का संसद द्वारा अनुमोदन कराना पड़ता है। संसद यदि केबिनेट की नीतियों को अस्वीकार कर दे तो मंत्रिमंडल को त्यागपत्र देना होता है। केबिनेट का लोक सभा का विश्वास प्राप्त होने का यही अभिप्राय है।- महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों करना, जैसे-राज्यों के राज्यपाल, सर्वोच्च व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, एटॉर्नी जनरल, सेनापति आदि। यद्यपि संविधान द्वारा इन नियुक्तियों का अधिकार राष्ट्रपति को है, परन्तु व्यवहार में ये नियुक्तियाँ मन्त्रि-मण्डल द्वारा ही होती हैं। मन्त्रि-मण्डल द्वारा इन पदों पर जिन व्यक्तियों की सिफारिश की जाती है, राष्ट्रपति उन्हें स्वीकार कर लेता है तथा इस आशय की घोषणा कर देता है।
- अपराधियों को क्षमा प्रदान करना।
- विभिन्न सेवाओं के लिए उच्च पदक देना।
- संविधान में संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव रखना और उन्हें स्वीकृति देना।
- युद्व और शान्ति की घोषणा।
- राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग। टास्क मंत्रिमंडल की शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
मंत्रिपरिषद के तानाशाही के पीछे लोक सभा में सत्तारुढ़ दल को प्रबल बहुमत होना है। मंत्रिपरिषद की इस तानाशाही को केवल जागरुक जनमत ही रोक सकता है।