पंडित जसराज का जन्म और मृत्यु

‘पंडित जसराज का जन्म 20 जनवरी 1930 को हिसार में हुआ था। इनके पिता का नाम मोती राम था, जो कश्मीर राज्य के दरबारी गायक थे। सर्वप्रथम पंडित जी की संगीत शिक्षा तबला वादन से प्रारंभ हुई, पंडित जी के दो बड़े भाई थे, प्रताप नारायण जिनसे इन्होंने तबले की शिक्षा प्रारंभ की व दूसरे भाई पंडित मणिराम, जो एक कुशल गायक थे। पंडित जसराज अपने भ्राता पंडित मणिराम के साथ तबले पर संगत करते थे परंतु धीरे-धीरे इनकी रुचि तबले से हटती गई और इन्हें तबले पर संगत करना अच्छा नहीं लगता था उनका मन हीनता का अनुभव करने लगा उनके मन में एक कुशल गायक बनने की इच्छा जाग्रत हुई और उन्होंने अपने बड़े भ्राता पंडित मणिराम से नियमपूर्वक गायन सीखना आरंभ किया उनका प्रशिक्षण लगभग दस वर्षों तक चला। 

वर्तमान समय में पंडित जसराज मेवाती घराने का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अपनी मेहनत व लगन से धीरे-धीरे पंडित जी अच्छे गायकों में अपना स्थान बनाने लगे थे। इनका प्रथम सार्वजनिक कार्यक्रम सन् 1952 में नेपाल में महाराजा त्रिभुवन विक्रम के समक्ष हुआ। भारत में 1954 में मुम्बई में स्वामी हरिदास संगीत सम्मेलन में इन्होंने भाग लिया। इसके बाद वे विभिन्न संगीत के कार्यक्रमों में आमंत्रित किए जाने लगे। प्रारंभ में वे कई वर्षों तक अपने बड़े भाई पंडित मणिराम के साथ जुगलबंदी कार्यक्रम पेश करते रहे। 

सन 1963 में पंडित जसराज स्थायी रूप से मुम्बई में रहने लगे। आकाशवाणी पर तीन-चार राष्ट्रीय कार्यक्रमों के अंतर्गत दोनों भाइयों ने युगलबंदी में काफी प्रसिद्धि प्राप्त की। सन 1963 से पंडित जसराज ने युगलबंदी गाना छोड़कर एकल गायन प्रस्तुत करना प्रारंभ किया और भारतवर्ष में अपनी कला को प्रतिष्ठित किया। इनके गाए हुए रागों के विभिन्न रिकार्ड कैसेट बनकर तैयार हो चुके हैं। 

सन् 1974 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री अलंकरण से विभूषित किया।’

पंडित जसराज की मृत्यु 17 अगस्त 2020 हुई?

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