26 नवंबर को संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है?

भारत में हर साल 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन डाॅ. भीमराव अंबेडकर को याद किया जाता है। उन्होंने भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया है।

मुख्य तथ्य

भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति की स्थापना 29 अगस्त 1947 को की गई थी और इसके अध्यक्ष के तौर पर डाॅक्टर भीमराव अंबेडकर की नियुक्ति हुई थी।

देश के संविधान निर्माण की 69वीं वर्षगांठ पर पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित किये गये। 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाते हुए सभी सरकारी कार्यालयों और शिक्षण संस्थाओं में संविधान के प्रति जागरूकता के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये गये।

26 नवंबर को संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है?

भारतीय संविधान सभा की तरफ से इसे 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था। इसके बाद 26 नवंबर 1950 को इसे लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था। यही वजह है कि 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति

संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित और काॅलीग्राफ्रड थी। इसमें किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था।

संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे पिफर दो दिन बाद इसे लागू किया गया था। भारत के लोग अपना संविधान शुरू करने के बाद अपना इतिहास, स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और शांति का जश्न मनाते है।

भारतीय संविधान

भारतीय संविधान दुनिया के सभी संविधानों को बारीकी से परखने के बाद बनाया गया। इसे विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है, जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनु सूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं। यह हस्तलिखित संविधान है जिसमें 48 आर्टिकल हैं। इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लग गया था।

संविधान दिवस

आंबेडकरवादी और बौद लोगों द्वारा कई दशकों पूर्व से ‘संविधान दिवस’ मनाया जाता है। भारत सरकार द्वारा पहली बार वर्ष 2015 में डाॅ. भीमराव आंबेडकरवादी के इस महान योगदान के रूप में 26 नवम्बर को ‘संविधान दिवस’ मनाया गया। 26 नवंबर का दिन संविधान के महत्व का प्रसार करने और डाॅ. भीमराव अंबेडकर के विचारों और अवधरणाओं का प्रसार करने के लिए चुना गया था।

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