Low blood pressure निम्न रक्तचाप के लक्षण क्या है ?

निम्न रक्त चाप शब्द का प्रयोग प्रायः ऐसे स्थिति की ओर संकेत करता है जहाॅं शरीर का रक्त दाब सामान्य स्तर से कम हो जाता है। यह स्थिति कुछ उम्र की सामान्य घटना है। उच्च रक्त चाप की तरह ही निम्न रक्त चाप को सही-सही परिभाषित करना कठिन होगा क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति अलग-अलग होती है तथा विभिन्न परिस्थिति में वे भिन्न-भिन्न तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। प्रधानतः दो मुख्य परिस्थितियों में निम्न रक्त चाप की स्थिति उत्पन्न होती है- 

1. प्रथम अवस्था वह है जहाॅ नियमित शारीरिक जाॅच के दौरान यह प्रकट होता है। इसके अलावा स्वस्थ युवा में यदि रक्त दाब 100/60 mmHg या इससे कम पाया जाय। इस अवस्था में चिकित्सक रक्त दाब की माप रोगी को खड़ा कर या लिटाकर करते हैं एवं दोनों शारीरिक स्थिति में मापी गई रक्त दाब की तुलना की जाती है। दोनों की शारीरिक स्थितियों में यदि किसी प्रकार का अंतर पाया जाता है तो यह अंतर स्वायत्त तंत्रिका तंत्रकी अस्थिरता की ओर संकेत करता है एवं शरीर के सामान्य एवं तनाव पूर्ण स्थिति में इसकी सामंजस्य स्थापित करने में अक्षम होने की ओर संकेत करता है। वह व्यक्ति जिसमें शारीरिक रूप से खड़े एवं लेटने की स्थिति में रक्त दाब बराबर या सामान हो, जिसमें रक्त दाब सामान्य सीमा के निम्न स्तर पर हों तथा इससे किसी प्रकार की कोई कठिनाई न हों तो वह व्यक्ति भाग्यशाली होगा क्योंकि यह निम्न रक्त चाप उसके शरीर के आंतरिक अंगों पर कम से कम तनाव या दाब डालेगा जिससे वह लम्बे समय तक स्वस्थ बना रहेगा। 

2. द्वितीय अवस्था वह है जहाॅं व्यक्ति तब निम्न रक्त चाप के लक्षण प्रदर्शित करते हैं जब वह प्रायः लेटने या बैठने के बाद एकाएक उठकर खड़ा होता है। ऐसे स्थिति में जो लक्षण दिखाई देते हैं वह है- कमजोरी महसुस होना, सर खाली-खाली लगना, जी मितलाना, उदर के उपरी भाग में क्षीणता महसुस होना, मूर्छा, बेहोशी आना आदि। ये लक्षण प्रायः कुछ सैकेण्ड या मिनट तक रहता है, कभी-कभी यह देर तक भी रहता है। 

Low blood pressure निम्न रक्तचाप क्या है

 निम्न रक्तचाप-किसी भी कारण से उत्पन्न रक्तदाब की कमी की अवस्था को हाइपोटेन्शन (Hypotension) अथवा ‘लो ब्लड-प्रेशर’ (Low blood pressure) कहते हैं। निम्न रक्तचाप (Low blood pressure) को रक्तचाप - न्यूनता, न्यून रक्तदाब, रक्तचाप-क्षीणता आदि नामों से भी जाना जाता हैं। वयस्कों में सिस्टोलिक ब्लड-प्रेशर 100 100 mm Hg. से कम मिलने पर भी उन्हें अल्प रक्तदाब का रोगी माना जा सकता है। 

उच्च रक्तचाप की भाँति निम्न रक्तचाप से भी स्वास्थ्य और जीवन के लिए भय बना रहता है। किन्तु निम्न रक्तचाप की अवस्था सदैव ही हानिकारक सिद्ध नहीं होती। स्वस्थ व्यक्तियों में प्रायः 3-4 प्रतिशत व्यक्तियों को निम्न रक्तचाप की शिकायत होती है। इसे स्वाभाविक निम्न रक्तचाप कहते हैं। यह संपूर्ण रूप से एक विकाररहित अवस्था होती है। ऐसे व्यक्तियों के दीर्घ जीवन की प्राप्ति में कोई बाधा अथवा अवरोध उत्पन्न नहीं होता। वरन् उल्टे साधारण व्यक्तियों की अपेक्षा ये लोग अधिक दिनों तक जीवित रहते हैं। अतः इन्हें किसी चिकित्सा की आवश्यकता नहीं होती। किन्तु किसी-किसी समय शरीर की विभिन्न रूग्णावस्था में रक्तचाप काफी नीचे उतर आता है, जिसे अवश्य ही रोग समझना चाहिए। 

निम्न रक्तचाप में रक्त का प्रवाह मस्तिष्क में कम होने लगता है। साथ ही नाड़ी संस्थान पर इस रोग का प्रभाव पड़ता है। अतः कुछ विद्वान इसकी गणना शिरोरोग में करते हैं। 

Low blood pressure निम्न रक्तचाप के लक्षण

निम्न रक्तचाप के रोगी में लक्षणों की उत्पत्ति अनिवार्य नहीं है। साधारणतः रोगी को इससे विशेष कष्ट नहीं होता है। प्रायः जब शरीर किसी रोग से आक्रान्त होता है तो उसके लक्षणस्वरूप उस शरीर का रक्तचाप सामान्य से नीचे उतर आता है और उसे रोग की संज्ञा दे दी जाती है। शरीर की यह दशा प्रायः हृदयगति बंद होने के वक्त, विभिन्न संक्रामक रोग, रक्तहीनता, अजीर्ण तथा क्षयरोग में होती है। 

स्नायुदौर्बल्य के रोगी को भी अक्सर निम्न रक्तचाप की शिकायत होते देखी गई है। निम्न रक्तचाप में शरीर के रक्तपरिभ्रमण का कार्य सुस्त पड़ जाता है। निम्न रक्त चाप के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
  1. प्रायः लेटने या बैठने के तुरत बाद खड़े होने पर कमजोरी या थकान महसुस होना।
  2. सर में खालीपन लगना
  3. जी मितलाना
  4. उदर के उपरी हिस्सों में क्षीणता महसुस होना
  5. मूर्छा, बेहाशी आदि।
रक्त का दबाव न्यून होने पर विविध संस्थानों और कोष्ठांगों में रक्त प्रविष्ट नहीं हो पाता है जिसके फलस्वरूप अवयव निष्क्रिय रहते है। 

लाक्षणिक अल्प रक्तदाब के लक्षण तथा चिन्ह:- इस प्रकार के अल्प रक्तदाब में रोग की तीव्रता के अनुसार मृदु तथा तीव्र प्रकार के लक्षण तथा चिन्ह प्रकट होते हैं। सामान्य रूप से यह निम्न प्रकार के होते हैं:- 
  1. हाथ-पैर का ठंडा पड़ जाना। 
  2. माथे तथा शरीर के अन्य भागों में पसीना होना। 
  3. त्वचा का पीला पड़ जाना। 
  4. श्रोगी चुपचाप पड़ा रहता है, परन्तु वह होश में रहता है। 
  5. रोगी की आँखे गड्ढे में धँसी हुई प्रतीत होती है। साथ ही आँखों की स्वाभाविक चमक गायब हो जाती है। 
  6. रोगी की दृष्टि-शक्ति कम हो जाती है। तारा विस्फारित अवस्था में रहता है, ऐसे में उस पर प्रकाश डालने से भी वह बिलकुल नहीं विकुड़ता। 
  7. रोगी की नाड़ी तीव्र गति वाली सूत्र के समान होती है। 
  8. शरीर में ऐंठन होती है ; विशेषकर हाथों में कप्मन होता है। 
  9. रोगी को मूत्र कम आता है। प्रायः मूत्र में अल्बुमिन की उपस्थिति मिलती है। 
  10. रोगी का ब्लड-प्रेशर और अधिक गिरने से वह बेहोश हो जाता है तथा उसकी मृत्यु हो जाती है। 
अज्ञात हेतुक अल्प रक्तदाब के लक्षण तथा चिन्ह:- 
  1. इस प्रकार का अल्प रक्तदाब बिना किसी लक्षण के उत्पन्न होता है।
  2. ऐसा रक्तदाब प्रायः स्त्रियों में मिलता है। 
ऊध्र्व-स्थितिज अल्प रक्तदाब के लक्षण तथा चिन्ह:- 
  1. इसमें अस्थाई मूर्छा की उपस्थिति मिलती है। यह केवल 4 से 30 सेकेण्ड के लिए रहती है। 
  2. रोगी लेटने के पश्चात जैसे ही खड़ा होता है, उसे एकाएक मूर्छा आ जाती है और वह गिर जाता है। इस प्रकार की स्थिति प्रायः गर्मियों के मौसम में धूप में खड़े हो जाने से रोगी के कुछ देर लेटने पर मूर्छा स्वतः शांत हो जाती है और रक्त-चाप भी अपनी सामान्य अवस्था में आ जाता है। 
  3. इस प्रकार के अल्प रक्तदाब में सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि रोगी के खड़े होने पर रक्तचाप एकाएक कम हो जाता है, किन्तु नाड़ी की गति नाॅर्मल ही रहती है। 
  4. रोगी में बेहोशी के समय पसीना बिल्कुल नहीं मिलता। 
  5. कुछ-एक रोगियों में ऐसा भी देखने में आया है कि खड़े होने पर 2-3 मिनट के लिए अपनी भुजाओं को हृदय के स्तर पर रखने से उनका सिस्टोलिक ब्लड-प्रेशर एकाएक कम होकर 50 50 mm Hg रह जाता है और रोगी में मूर्छा उत्पन्न हो जाती है।
  6. कुछ रोगियों में इस प्रकार के अल्प रक्तदाब की प्रवृत्ति वर्षों तक चलती रहती है।

Low blood pressure निम्न रक्तचाप के कारण

शरीर क्रिया विज्ञान की दृष्टि से यदि देखें तो मूर्छा या बेहोशी का दो मूख्य कारण है। ये दोनों कारण त्वचा एवं उदर में स्थिर रक्त वाहिनियों के रिफलेक्स परिधिय वेसोडाइलेसन (रक्त वाहिनयों का आवश्यकता से अधिक फैल जाना) है। जिसके परिणामस्वरूप शरीर के निचले भाग का रक्त पर्याप्त मात्रा में हृदय में नहीं पहुॅंच पाने से मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति कम हो जाता है। इसके अलावा अन्य कारण भी माने गये हैं-

1. वैसोवेगल दौरा पड़ना: जो मुख्यतः संवेगात्मक असंतुलन जैसे भय, आश्चर्य प्रकट करना आदि के कारण होता है। दर्द, भोजन की कमी, गर्म वातावरण, एक ही शारीरिक स्थिति में लम्बे समय तक खड़ा रहना भी इसके कारण हो सकते हैं। इस दौरे के समय व्यक्ति निस्तेज हो जाता है, रक्त दाब एवं हृदय गति मंद हो जाती है। ऐसे स्थिति में उस व्यक्ति को किसी भी आरामदायक स्थिति में लिटा देना चाहिए ताकि रक्त प्रवाह मस्तिष्क की ओर सुचारू हो सके। ऐसी स्थिति में कुछ समय छोड़ने के पश्चात् दौरा अपने आप समाप्त हो जाता है।

2. पोस्चरल निम्न रक्त चाप: इस प्रकार का निम्न रक्त चाप वृद्ध लोगों में, जो कि रोगों से पीडि़त हैं या स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं, में देखा जाता है। कुछ दवा के विपरीत प्रभाव का असर भी इस रूप में हो सकता है। इस प्रकार के निम्न रक्तचाप प्रायः एकाएक खड़े होने या लम्बे समय तक एक ही स्थिति में खड़े रहने, अत्यधिक गर्म वातावरण के कारण भी हो सकता है। इस कारण सैनिक परेड के दौरान लम्बे समय तक एक ही स्थिति में खड़े रहने के कारण प्रायः बेहोश हो जाते हैं।

उच्च रक्त चाप के रोगी में भी कभी-कभी आवश्यकता से अधिक मात्रा में एण्टीहाइपरटेंसीव दवा लेने के कारण भी निम्न रक्त चाप के यह लक्षण प्रकट हो सकता है। लम्बी बीमारी के कारण कमजोर होने की स्थिति में भी निम्न रक्त चाप के लक्षण देखे जाते हैं। कुछ व्यक्ति में रक्त दाब 210/110 mmHg या 160/110 mmHg तक बढे होने के बावजूद भी निम्न रक्त चाप के लक्षण देखे गये हैं। जबकि सामान्य रक्त दाब 120/80 mmHg माना गया है। इसका कारण यह है कि उस व्यक्ति का शरीर बढ़े हुए रक्त दाब के प्रति समायोजित हो चुका है। यह स्थिति प्रायः रक्त धमनियों के सक्त होने की स्थिति में होता है।

निम्न रक्त चाप के कुछ प्रमुख कारण और भी हैं जैसे-कुछ हृदय रोग, रक्ताल्पता आदि। ऐसे रोगी जो इस प्रकार के लक्षण से पीडि़त हों उसे कुशल चिकित्सक के मार्गदर्शन में जाॅंच करवाना चाहिए। 

संदर्भ -
  1. रोग और योग - स्वामी सत्यानन्द सरस्वती
  2. योग द्वारा रोगों की चिकित्सा - डाॅ. फुलगेंदा सिन्हा
  3. योग महाविज्ञान- डाॅ. कामाख्या कुमार
  4. शरीर-रचना एवं शरीर-क्रिया विज्ञान - श्रीनन्दन बन्सल

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