जीव विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य

किसी विषय की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक है कि उसके उद्देश्यों के ज्ञान के अभाव में शिक्षक का कार्य उचित रूप से नही हो पाता है इस विषय में बी.डी. भाटिया का कथन है कि ‘‘उद्देश्यों के ज्ञान के बिना शिक्षक उस नाविक के समान है जिसे अपने लक्ष्य का ज्ञान नही है तथा शिक्षार्थी उस पतवार विहीन नौका के समान जो समुद्र ही लहरों के थपेडे खाती तट की ओर बढती है। उद्देश्यों के निर्धारित हो जाने पर अध्यापक तथा छात्र दोनों लाभान्वित होते है विद्यालयों में जीव शिक्षण के निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किए जा सकते है।

जीव विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य

1. व्यावहारिक उद्देश्य-जीव विज्ञान शिक्षण का उद्देश्य केवल यही तक सीमित नही होना चाहिए कि बच्चों को वैज्ञानिक सिद्धान्तों एवं तथ्यों का ज्ञान करा दिया जायें बल्कि इस ज्ञान के द्वारा वे अपने परिवेश को ठीक प्रकार से समझ सकें तथा उसे अपने दैनिक जीवन में काम ला सकें। अर्थात् दैनिक जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का वैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित स्पष्टीकरण देने की बालकों में क्षमता उत्पन्न हो।

2. अनुशासनात्मक उद्देश्य- बालक में आत्मविश्वास जिज्ञासा, आत्म दृढता, तथा संयम जैसे गुण जाग्रत होते है किसी घटना का निरीक्षण कर अपने प्रेक्षणों के आधार पर उसके परिणाम प्राप्त करें। वैज्ञानिक विधि से कार्य करने वालों में मानसिक अनुशासन, अन्धविश्वासों से परे, निरीक्षण तर्क तथा प्रयोगात्मक शक्ति का विकास किया जाता है शिक्षक उसके सामने विभिन्न समस्याएं प्रस्तुत करते है तथा छात्र अपनी बौद्धिक क्षमता द्वारा उन्हें हल करने का प्रयास करते है, इस प्रकार इनमें मानसिक अनुशासन उत्पन्न किया जाता है।

3. सांस्कृतिक उद्देश्य- मानव सभ्यता एवं संस्कृति की पृष्ठभूमि जीव विज्ञान के इतिहास ओर संहिता में छिपी पडी है। किसी भी देश में किसी भी समय वैज्ञानिक उन्नति उस देश की सभ्यता ओर संस्कृति का स्पष्ट चित्र उपस्थित कर सकती है विद्यार्थियों को जीव विज्ञान के इतिहास ओर साहित्य को इस प्रकार पढना चाहिए कि जिससे आविष्कार एवं जीवन में उन्नति में सहायता मिल सके। जीव विज्ञान के द्वारा ही मनुष्य ने प्राकृतिक शक्तियों पर विजय प्राप्त की है। वास्तव में जीव विज्ञान ने आधुनिक संस्कृति को अत्यधिक प्रभावित किया है।

4. सामाजिक उद्देश्य- जीव विज्ञान के अध्ययन द्वारा बच्चों में समाज के गुणों का विकास होना चाहिए। साधारण जीवन में दिन प्रतिदिन काम आने वाले वैज्ञानिक जानकारी व्यावहारिक रूप में दी जानी चाहिए। समाज सुखी जीवन यापन करने ओर उसको निरन्तर उन्नति पथ पर अग ्रसर करने में जीव विज्ञान का ही हाथ रहा है प्रयोगशाला तथा कक्षा में जो कुछ भी छात्र सीखें उसका व्यावहारिक उपयोग उन्हें समाज में रह कर ही करना चाहिए। जीव विज्ञान के विद्यार्थियों में स्वास्थ्य के नियमों के प्रति जानकारी तथा स्वास्थ्यप्रद वातावरण में जीवन व्यतीत करने की आदत का निर्माण हो जाना चाहिए।

5. जीविकोपार्जन सम्बन्धी उद्देश्य- आज बच्चे भविष्य में कुछ जमा कर सकने योग्य बन सके। अतः शिक्षा को समय की इस मांग को पूरा करने वाला भी होना चाहिए। आज विज्ञान ओर तकनीकी के ज्ञान के उपयोग से भी व्यवस्थाओं की कुंजी विज्ञान के हाथ में है विज्ञान के अध्ययन द्वारा विद्यार्थी के लिये विभिन्न व्यवसायों ओर रोजी रोटी कमाने के द्वारा खुल जाते हैं अतः जीव विज्ञान की पढाई इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर ही की जानी चाहिए।

6. अवकाश के समय का सदुपयोग-
जीव विज्ञान के अध्ययन द्वारा मनोरंजन ओर अवकाश के समय के सदुपयोग की शिक्षा दी जानी चाहिए। बच्चों के अन्दर स्वस्थ व्यक्तित्व का विकास करने के लिये आवश्यक है कि वह अपना समय व्यर्थ नष्ट न करें बल्कि उपयोगी कार्यों में लगाए। जीव विज्ञान की शिक्षा द्वारा खाली समय का सदुपयोग भलीभांति हो सकता है विद्यार्थियों में ऐसी रूचि पैदा करनी चाहिए जिससे वह अवकाश का समय रूचिपूर्वक, क्रियात्मक ढंग से व्यतीत कर सकें।

7. वैज्ञानिक दृष्टिकोण- जीव विज्ञान की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बालकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करना तथा उसके विकास के लिये उपयुक्त अवसर देना है। विद्यार्थियों में वैज्ञानिक ढंग से सोचने समझने ओर कार्य करने की आदत होनी चाहिए। उन्हैं सभी प्रकार को अन्धविश्वासों से दूर रहकर किसी भी बात को बिना प्रयोग परीक्षण अथवा भलीभांति निरीक्षण किए ह ुए स्वीकार नहीं करना चाहिए।

8. वैज्ञानिक जानकारी बढानाः- जीव विज्ञान की शिक्षा द्वारा विज्ञान के विद्यार्थियों में ज्ञान भण्डार की वृद्धि होनी चाहिए। तथा साधारण रूप में काम आने वाले कुछ वैज्ञानिक तथ्यों एवं सिद्धांतों का ज्ञान स्पष्ट हो सके जो सामान्य जीवन यापन के लिये आवश्यक हो, उसी जानकारी को अपना लक्ष्य बनाना चाहिए।

9. मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति- जीव विज्ञान की शिक्षा यदि ठीक प्रकार से दी जाए, तो इससे बालक की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं ओर उनकी स्वाभाविक रूचियों की पूर्ति में सहायता मिलती है जिज्ञासा, रचनात्मक एवं संग्रह की प्रवृतियां तथा आत्म संतुष्टि एवं आत्म प्रकाशन आदि मन की भावनाओं की तृप्ति का विज्ञान एक सफल साधन है।

10. अन्य विषयों के अध्ययन में सहायकः- स्कूलों में अध्ययन के लिये जो भी विषय है वे प्रत्यक्ष ओर अप्रत्यक्ष रूप से एक दूसरे से बहुत हद तक सम्बन्धित है गणित का जीव विज्ञान में निकटता का सम्बन्ध (सह सम्बन्ध) है इसके अध्ययन के द्वारा अन्य विषयों के अध्ययन में सहायता मिलती है अतः जीव विज्ञान की शिक्षा द्वारा इस उद्देश्य की पूर्ति को भी ध्यान में रखा जाता है।

11. प्रयोग सम्बन्धी कुशलता उत्पन्न करनाः- जीव विज्ञान के अध्ययन द्वारा बच्चों में प्रयोग सम्बन्धी कुशलता आनी चाहिए। छोटी कक्षाओं में वे सरल और सामान्य उपकरण ओर सामग्री से भली भांति अवगत हो जाएं ओर छोटे छोटे प्रयोग करके वैज्ञानिक तथ्यों को समझनें ओर उन्हैं प्रयोग एवं परीक्षण की कसोटी पर परख सकने के योग्य हो सकें।

जीव विज्ञान शिक्षण के अन्य उद्देश्य

इन उद्देश्यों के अन्तर्गत कुछ अन्य उद्देश्य भी हो सकते हैं जिनका विकास विद्यालयों में अधिक सम्भव है व उद्देश्य निम्नलिखित हो सकते हैं:-

1. विद्यार्थियों में वैज्ञानिक अभिवृति तथा कार्यविधि की क्षमता उत्पन्न करनाः- हमारा शिक्षण इस प्रकार से नियोजित हो कि जीव विज्ञान पढनें से विद्यार्थी में वैज्ञानिक अभिवृति का विकास हो तथा बालक में परीक्षण, जांच, तर्क वितर्क व तथ्यों से आधारित निष्कर्षो पर पह ुचनें की आदत भी पड़ जाए। इस प्रकार दैनिक जीवन में होने वाली घटनाओं को हल करने हैतु पुष्टि की गई विधि का भी ज्ञान हो जाए।

2. विस्तृत संबोध, सामान्यनुपात तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकासः-हमारा जीवन अन्धविश्वास से घिरा ह ुआ है बालक क्रियात्मक कार्यो एवं प्रयोगों में रूचि लेता है जीव विज्ञान के तथ्यों पर आधारित संबोध बहुत धीरे धीरे हमारे विचारों में स्थान ले रहें है जीव विज्ञान के विद्यार्थी निरीक्षण व प्रेक्षण ने आधार पर नियमों एवं सिद्धांतों के माध्यम से सामान्यनुमान करनें में दक्षता प्राप्त कर लेते है उसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण व्यापकता व सार्वभौमिकता उत्पन्न होती है वह सही ढंग से चिन्तन व व्यवहार करता है।

3. कार्यों में रूचि एवं आत्म संतोषः-नवीन व्यवहारिक ज्ञान से विद्यार्थी में रूचि उत्पन्न होती है बालक क्रियात्मक कार्यों द्वारा अपने ज्ञान वृद्धि करता है रूचि जाग्रत करने के लिये संग्रहालय, प्रयोगशाला तथा पर्यटन आदि साधनों का सहारा लिया जा सकता है।

4. बालक नइे खोजों को समझने एवं हल करने का प्रयत्न करें। बालक नवीन समस्या पर विचार करें वैज्ञानिक विधि द्वारा उसे हल करता है ओर दक्षता प्राप्त करता है।

जीव विज्ञान के प्रमुख उद्देश्य

  1. प्रकृति की कार्यशैली को समझना एवं उसकी समुचित व्याख्या करना। 
  2. प्रयोग और अध्ययन द्वारा प्रकृति के नियमों को निर्धारित करना। 
  3. प्रकृति पर नियन्त्रण पाने के लिये आवश्यक प्रयोग करना, प्रेक्षण लेना तथा उसके निष्कर्ष निकालना। 
  4. प्रकृति में उपलब्ध साधनों का समस्याओं के निराकरण में उपयोग कर मानव जीवन को उत्कृष्ट बनाना। 
  5. मानव समाज में व्याप्त अन्धविश्वासों से समाज को मुक्त कराना।

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