मधुमेह (डायबिटीज, शुगर) के कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपचार

जब किसी व्यक्ति के रक्त में ग्लूकोज (जो भी भोजन हम खाते हैं उससे शरीर में मिलकर शर्करा बनती है, जिसे हम ग्लूकोज कहते हैं।) की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है तो उस व्यक्ति को मधुमेह (शुगर) रोग से ग्रसित कहा जाता है। व्यक्ति के शरीर में ग्लूकोज की मात्रा 80-100 मिली ग्राम प्रति 100 मिली लीटर (रक्त मे) होती है। जब रक्त में ग्लूकोज की मात्रा 180 मिली ग्राम/100 मि.ली. से अधिक हो जाती है तो ग्लूकोज गुर्दे की कोशिकाओं से छनकर पेशाब में आने लगता है और शरीर से बाहर विसर्जित होने लगता है, जब ग्लूकोज की बहुत अधिक मात्रा पेशाब में आने लगती है तो पेशाब गाढ़ा होकर शहद की तरह हो जाता है। इसीलिये इस बीमारी को मधुमेह कहते हैं। मधुमेह एक चयापचय संबंधित रोग है। 

मधुमेह क्या है?

जब किन्हीं कारणों से क्लोम ग्रन्थि से निकलने वाले इंसूलिन की मात्रा कम हो जाती है या इन्सुलीन निकलना बन्द हो जाता है तो फिर रक्त शर्करा का चयापचय ठीक ढंग से न होने के कारण रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। बढ़ी हुई शर्करा की यह मात्रा गुर्दों द्वारा भी अवशोषित नहीं हो पाती जिससे मूत्र द्वारा भी शर्करा निकलने लगती है रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक हो जाने की इस स्थिति को ही मधुमेह या डायबिटीज कहते हैं।

मधुमेह के प्रकार

1. बच्चों का मधुमेह या (इन्सूलिन डिपेन्डेट डायबिटीज) - मधुमेह दो प्रकार के बताये गये हैं। प्रथम बचपन एवं कम उम्र के लोगों में पाये जाने वाले, जो कि अपेक्षाकृत विरले तथा अधिक घातक माना जाता है। इसे जुविनाइल डायबिटीज कहते हैं। यह रोग अनुवांशिक गड़बड़ी, विषाणु संक्रमण या अत्यधिक कष्टप्रद भावानात्मक पीड़ा एवं मानसिक आघात के कारण भी होता है। 

2. प्रौढ़ावस्था का मधुमेह (नोन इन्सूलिन डिपेन्डेट डायबीटिज) - द्वितीय प्रकार है इन्सुलिन पर अनिर्भर मधुमेह (Non-insulin dependent diabetes mellitus, NIDDM) -यह रोग उन लोगों में देखा जाता है, जो तनावग्रस्त जीवनशैली, मोटापे से ग्रस्त, शारीरिक रूप से कम क्रियाशील रहते हों जिनके भोजन में शक्कर, शर्करायुक्त तथा वसायुक्त पदार्थ की अधिकता रहता हो। प्रौढ़ावस्था के लोगों में इसी प्रकार के मधुमेह देखा जाता है।

मधुमेह के प्रमुख लक्षण

रक्त में बढ़ी हुई शर्करा की मात्रा मूत्र के साथ बाहर आने लगता है जिससे मूत्र की अधिकता, भूख-प्यास की अधिक होते हैं। मधुमेह के प्रमुख लक्षण बिन्दुवार इस प्रकार हैं-
  1. अधिक भूख लगना 
  2. अधिक प्यास लगना
  3. अत्यधिक यूरिन होना 
  4. निरन्तर थकान बनी रहना
  5. कमजोरी लगना ताकत की कमी
  6. मुंह का स्वाद मीठा रहना
  7. जिव्हा पर सफेद मल की परत जमना
  8. घाव का देर से भरना तथा घावों में बार-बार पीव बनना
  9. त्वचा पर रूखापन
  10. हाथ पैरों में झुनझनाहट
  11. पैरों की पिंडलियों में दर्द
  12. नजर कमजोर होना
  13. पैरों के तलवों में जलन होना
  14. पानी की कमी - मूत्र द्वारा पानी की ज्यादा मात्रा निकल जाने के कारण कोशिकाओं में पानी की कमी हो जाती है।
  15. प्रतिरोधक क्षमता में कमी - शरीर की रोगरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिस कारण संक्रामक या अन्य रोगो से बचाव की शक्ति कम हो जाती है 
मधुमेह जितना ही तेज होगा, उसका लक्षण उसी रफ्तार से होता जाता है। शारीरिक कोशिकाएं ग्लूकोज नहीं मिलने पर या इसके अभाव में उर्जा हेतु वसा को ही ग्रहण करने लगते हैं। परिणामस्वरूप रोगी के रक्त में अम्लता बढ़ती जाती है। रक्त में बढ़ा हुआ अम्ल एवं शरीर में निर्जलीकरण हो जाने पर मधुमेहिक अचेतनता या डायबिटीक कोमा भी आ सकता है। इस स्थिति में यदि उपयुक्त मात्रा में तुरन्त इन्सुलिन नहीं दिया गया तो रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। 

मधुमेह के कारण

  1. आयु बढ़ने के साथ साथ मधुमेह के होने की भी संभावना बढ़ती जाती है। यह नवजात शिशु से लेकर किसी भी उम्र के व्यक्ति में हो सकती है। स्त्री तथा पुरुष दोनों में इसकी संभावना समान होती है।
  2. मधुमेह रोग वंशानुक्रम का रोग है। यदि मधुमेह 40 वर्ष की अवस्था के पहले हो जाता है तो तात्पर्य है कि वंशागत कारक इसकी उत्पत्ति का कारण है।
  3. मोटे व्यक्तियों में यह रोग अधिक होता है। जो व्यक्ति मीठे खाद्य पदार्थ, आलू, चावल, का ज्यादा सेवन करते है, उन व्यक्तियों के रक्त में ग्लूकोज की मात्रा अधिक बढ़ जाती है जिससे पित्ताशय को अधिक इन्सूलिन का स्त्राव करना पड़ता है। काफी समय तक पित्ताशय के अधिक क्रियाशील होने से आइसलेट आॅफ लैंगरहेन्स के कोष थक जाते हैं तथा में नष्ट होने लगते हैं जिससे इन्सुलिन कम बनने लगता है और मधुमेह का रोग हो जाता है।
  4. मानसिक तनाव या चिन्ता मधुमेह की उत्पत्ति में यह सहायक होते हैं।
  5. वह स्त्रियाँ जिनमें मधुमेह की सम्भावना अधिक होती है उनमें गर्भावस्था के समय मधुमेह रोग हो जाता है क्योकि गर्भावस्था कार्बोहाईट के चयापचय पर प्रभाव डालती है।

मधुमेह से संभावित दुष्परिणाम

मधुमेह ऐसा रोग है जिसके दुष्प्रभाव इस प्रकार हैं -
  1. गुर्दे या यकृत की खराबी
  2. तंत्रिका तंत्र एवं स्नायविक विकृतियाॅ
  3. दृष्टि दोष
  4. मधुमेही मुच्र्छा
  5. नपुंसकता आदि
रक्त शर्करा को कोशिकाओं के भीतर पहुँचाने हेतु इन्सुलिन की आवश्यकता होती है। इसके बिना हमारे शारीरिक उतक ग्लूकोज ग्रहण नहीं कर सकते। इन्सुलिन की अपर्याप्त मात्रा या कमी से शर्करा रक्त प्रभाव में प्रवाहित होती रहती है, फिर भी इसका उपयोग नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में शारीरिक कोशिकाएं ग्लूकोज के बदले वसा का ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रयोग करना शुरू करती है। यकृत से भी अधिक मात्रा में वसा एवं वसायुक्त पदार्थों का उत्सर्जन होने लगता है यह वसा रक्त नलिकाओं के भीतर जमने लगती है। इससे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अंधापन, नपुंसकता, गुर्दे की खराबी, धमनियों का कड़ापन आदि समस्याएं पनपने लगती हैं। 

मस्तिष्क तथा अन्य तंत्रिकाओं पर चयापचय असंतुलित होने से स्नायविक कमजोरी, अंगों का सुस्त होना, लकवा आदि लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर पड़ने से संक्रमण, फोड़े-फुंसियाॅ, खुजली, घावों का न भरना, घावों में पीव पड़ कर लम्बे समय तक रिसना, अंगों का सड़ना आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं। 

कभी-कभी तो रक्त में अम्लों की मात्रा बढ़ने से गहरी बेहोशी (डायबिटिक कोमा) तथा अचानक मृत्यु का भी खतरा बना रहता है। 

सावधानियां

मधुमेह के रोगी को सभी प्रकार के मीठा पदार्थ, घी, अत्यधिक मीठे फल, मैदा से तैयार खाद्य पदार्थ, संरक्षित डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, धूम्रपान, तम्बाकू, अल्कोहल का सेवन बिल्कुल वर्जित माना गया है। भोजन सात्विक, शाकाहारी एवं अत्यंत सुपाच्य होना चाहिए। चावल, आलू, मसाले, दूध या दूध से बनी खाद्य पदार्थ कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। चोकर युक्त आटे की रोटी एवं हरी पत्तेदार सब्जियाॅ हल्की उबली हुई अवस्था में लेनी चाहिए। सलाद का सेवन भी नियमित करना चाहिए। 
  1. नियमित खुली हवा में सुबह शाम टहलना भी स्वास्थप्रद माना गया है। 
  2. रक्त एवं मूत्र शर्करा का नियमित अंतराल पर जाॅच कराते रहना चाहिए तथा चिकित्सक के निर्देशानुसार इन्सुलिन की मात्रा कम करते जाना चाहिए। 
  3. योगाभ्यास एवं भोजन की नियमित्ता कम से कम छः महीने तक जारी रखना चाहिए इससे मधुमेह रोग पुनः लौटने की संभावना कम हो जाती है। 
मधुमेह एक दुःसाध्य रोग है किन्तु नियमित योगाभ्यास एवं प्राकृतिक जीवनशैली से इसको नियंत्रित करके इससे छुटकारा पाया जा सकता है। 

इस प्रकार उपयुक्त पथ्य आहार एवं नियमित योगाभ्यास के द्वारा मधुमेह से मुक्त होकर स्वास्थ्य लाभ एवं निरोग जीवन का आनंद प्राप्त कर सकते हैं।

मधुमेह की रोकथाम एवं नियन्त्रण 

जीवन शैली में बदलाव करके मधुमेह के प्रभाव और जटिलताओं को रोका जा सकता है। इनमें शामिल हैंः 
  1. शरीर का वज़न संतुलित रखना अत्यधिक वज़न बढ़ने से रोकना स सप्ताह में पांच दिन कम से कम 30 मिनट तक शारीरिक व्यायाम करना जिससे वज़न संतुलित रह सके। वज़न को कम करने के लिये ज्यादा शारीरिक गतिविधि करने की आवश्यकता है।
  2. थोड़े-थोड़े समय पर कम मात्रा में भोजन करना चाहिए। भोजन न करने या छोड़ देने से शरीर में रक्त शर्करा का स्तर कम हो सकता है। स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन करना चाहिये और चीनी, नमक और वसा की ज्यादा मात्रा भोजन में लेने से बचना चाहिए। 
  3. ऐसे भोजन/खाद्य पदार्थ खाने चाहिए जिसमें रेशे (फाइबर) की मात्रा अधिक हो जैसे कि फल, हरी सब्जी, छिलके वाले अनाज, छिलके वाली दाल या उससे बने अन्य खाद्य पदार्थ। 
  4. किसी भी प्रकार का धूम्रपान नहीं करना चाहिए 
  5. रक्त शर्करा के स्तर की जांच नियमित कराते रहना चाहिए। 
  6. चिकित्सक द्वारा दी गयी सलाह का पालन करना चाहिए।

मधुमेह में पोषक तत्वों की आवश्यकता

1. कैलोरी - मधुमेह में अलग अलग वजन के रोगी को तथा अलग अलग क्रियाशीलता वाले व्यक्ति को दी जाने वाली कैलोरी की मात्रा भी भिन्न भिन्न होती है। व्यक्ति यह कैलोरी या ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट, वसा व प्रोटीन से प्राप्त करता है।

2. कार्बोहाइडेªट - सामान्यता मधुमेह के रोगी के आहार में कार्बोहाइड्रेट की अधिक कमी नही की जाती है लेकिन उन रोगियो के आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा घटायी जाती है जिनको इन्सुलिन देने की आवश्यकता नहीं होती है। 

3. प्रोटीन - रोगी को सामान्य एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह प्रोटीन की आवश्यकता होती है। 

4. वसा - इसमें रोगी के आहार में वसा की कम मात्रा देनी चाहिये। 

5. विटामिन - अन्य विटामिनों की सामान्य मात्रा के साथ विटामिन बी समूह की मात्रा बढा देनी चाहिए। 

6. खनिज लवण - इसकी सामान्य मात्रा देनी चाहिए, परन्तु उच्च रक्तचाप के रोगियों को सोडियम लवण की मात्रा कम लेनी चाहिए। 

7. मधुमेह के रोगी को देने योग्य भोज्य पदार्थ - गेहूँ, जौ, आटा, चनादाल, सभी प्रकार की सब्जी व पत्तेदार सब्जी, जामुन, सन्तरा, अनार, बेर वसारहित - दूध, दही, मठठा, छैना, सैकरीन, सभी प्रकार का मांस, मुर्गी, मछली, अण्डा आदि। 

8. मधुमेह के रोगी के लिए वर्जित भोज्य पदार्थ - चीनी, गुड़, गन्ने का रस, शहद, सभी प्रकार की मिठाईयाँ और शर्करा युक्त पेय पदार्थ, आलू, अरबी, जिमीकन्द, शकरकन्द, चुकन्दर चावल, किशमिश, छुआरा, खुवानी, अंजीर, पेस्ट्री, केक, चाॅकलेट, आईस्क्रीम आदि।

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