सर्वनाम किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं ?

संज्ञा के बदले में आने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम का शाब्दिक अर्थ है - सबका नाम। जैसे - वह, मैं, तुम, तू, आप इत्यादि। सर्वनाम शब्द का अर्थ है- सब का नाम। वाक्य में संज्ञा की पुनरुक्ति को दूर करने के लिए संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं जैसे- गुंजन विद्यालय जाती है। वह वहाँ पढ़ती है। पहले वाक्य में ‘गुंजन’ तथा ‘विद्यालय’ शब्द संज्ञाएँ हैं, दूसरे वाक्य में ‘गुंजन’ के स्थान पर ‘वह’ तथा ‘विद्यालय’ के स्थान पर ‘वहाँ शब्द प्रयुक्त हुए हैं। अतः ‘वह’ और ‘वहाँ शब्द संज्ञाओं के स्थान पर प्रयुक्त हुए हैं इसलिए इन्हें सर्वनाम कहते हैं। 

सर्वनाम के भेद 

सर्वनाम की संख्या हिन्दी में ग्यारह है, मैं, तू, आप, यह, वह, कोई, कुछ, क्या, कौन, जो, सों। प्रयोग के आधार पर सर्वनाम को निम्नलिखित भागों में विभक्त किया गया है। 
  1. पुरुष वाचक सर्वनाम - मैं, तू 
  2. निश्चय वाचक सर्वनाम - यह, वह 
  3. सम्बंधक वाचक - जो 
  4. नित्य वाचक - सो 
  5. प्रश्न वाचक - कौन का 
  6. अनिश्चयवाचक - कुछ कोई 
  7. निज वाचक - अपना स्वयं 
  8. आदरवाचक - आप 
1. पुरुषवाचक सर्वनाम - ये सर्वनाम पुरुषों के बदले आते हैं, यहां पुरुष शब्द से श्पुरुष्य तथा स्त्री दोनों का ही बोध होता है - पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं- 
  1. उत्तम पुरुष या प्रथम मैं, हम 
  2. मध्यम पुरुष तू, तुम आप 
  3. अन्य पुरुष वह, वे आप, यह ये 
2. निजवाचक सर्वनाम - निजवाचक सर्वनाम का प्रयोग निज का अर्थ ज्ञान कराने के लिए होता है, जहाँ श्आप्य का प्रयोग कर्ता के रूप में आता है, वहां पुरुष वाचक सर्वनाम होता है, वहां वह स्वयं कार्य नहीं, करता, पर अपने विषय में कुछ संकेत का बोध करता है। वहां निजवाचक सर्वनाम होता है, यह कार्य उसने आप ही किया है। यहां आप श्खुद्य श्स्वयं्य निज का बोधक है। 

3. निश्चयवाचक - यह सर्वनाम किसी निश्चित वस्तु का ज्ञान कराते हैं, उसे निश्चय वाचक सर्वनाम कहते हैं। पास या दूर की वस्तु का ज्ञान कराने को आधार मानकर इसके दो भेद किये गये हैं। निकटवर्ती पदार्थ का वाचक सर्वनाम और दूरवर्ती पदार्थ का वाचक सर्वनाम ही है। किंतु ये निकटवर्ती एवं दूरवर्ती सर्वनाम है। निकट की वस्तु के लिए - यह गाय मेरी है। दूर की वस्तु के लिए - काम, करो, वह आवश्यक है। 

4. अनिश्चयवाचक सर्वनाम - अनिश्चय वाचक सर्वनाम उसे कहते हैं, जिससे किसी निश्चित वस्तु का बोध नहीं होता है, जैसे - कोई गीत गा रहा है। उसे कुछ तो दे दो। 

5. प्रश्नवाचक - कौन? क्या प्रश्नवाचक सर्वनाम है उनका व्यक्तियों या वस्तुओं के संबंध में प्रश्न करने के लिए होता है- यथा - कौन, क्या, आदि। 

6. संबंध वाचक - जिस सर्वनाम से वाक्य में किसी अन्य सर्वनाम या संज्ञा का संबंध बोध हो उसे संबंध वाचक सर्वनाम कहते हैं - जो, वे, सो आदि शब्द प्रधान वाक्य को आश्रित वाक्य से जोड़ते हैं- यथा - 
  1. मैं वहीं करूंगा, जो तुम कहोगे। 
  2. जो पढ़ता है वह अवश्य उत्तीर्ण होते हैं। 
  3. यह वही मकान है, जो हरि ने खरीदा था। 

Post a Comment

Previous Post Next Post