Section 7 of the RBI Act क्या है?

Section 7 of the RBI Act

भारत सरकार भारतीय रिजर्व बैंक को विशेष निर्देश देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के अनुभाग 7 (Section 7 of the Reserve Bank of India Act) का प्रयोग करने जा रही है। ऐसा कयास भी लगाया जा रहा है कि RBI के गवर्नर उर्जित पटेल इस धरा के अंतर्गत एक विशिष्ट दिशानिर्देश जारी किए जाने के कारण इस्तीफा दे सकते हैं।

Section 7 of the RBI Act क्या है?

RBI Act के अनुभाग 7 के अनुसार केंद्र सरकार को यह शक्ति है कि वह समय-समय पर RBI गवर्नर से परामर्श करके भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को ऐसे निर्देश दे सके जो उसकी दृष्टि में लोकहित में आवश्यक है. The Central Government may from time to time give such directions to the Bank as it may after consultation with the Governor of the Bank consider necessary in the public interest]¸ Section 7(1) of the RBI Act reads-

RBI Act ds Section 7  में एक उप-अनुभाग भी जो कहता है कि - भारत सरकार चाहे तो बैंक के सामान्य पर्यवेक्षण और कारोबार को वह एक केन्द्रीय निदेशक बोर्ड (Central Board of Directors) को सौंप सकती है जो बैंक द्वारा किये जाने वाले सभी कार्य कर सकता है और बैंक की सारी शक्तियों का प्रयोग कर सकता है.

RBI Board का स्वरूप

RBI Board एक ऐसा निकाय है जिसमें निम्नलिखित प्राधिकारी होते हैं।
  1. रिजर्व बैंक का गवर्नर
  2. चार डिप्टी गवर्नर 
  3. विभिन्न क्षेत्रों के अधिकतम 10 गैर-सरकारी निदेशक जिन्हें भारत सरकार नामित करती है 
  4. दो सरकारी अधिकारी
  5. RBI के चार स्थानीय बोर्डों से एक-एक निदेशक 

RBI Board के सदस्यों का कार्यकाल

  1. बोर्ड के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर का कार्यकाल अधिकतम 5 वर्ष का होता है। 
  2. भारत सरकार द्वारा नामित 10 निदेशकों का कार्यकाल चार वर्ष का होता है।
  3. बोर्ड के सरकारी अधिकारियों का कार्यकाल सरकार के प्रसाद-पर्यन्त होता है।

बोर्ड का कार्य

RBI नियमों के अनुसार रिजर्व बैंक के कार्यों का सामान्य पर्यवेक्षण और दिशा-निर्देश का कार्य इस बोर्ड को सौंपा गया है। इस प्रकार रिजर्व बैंक जो भी कार्यकलाप करता है वे सभी कार्यकलाप यह बोर्ड भी कर सकता है। बोर्ड का काम सरकार को बैंक नोटों की रूपरेखा, आकार और इनके लिए प्रयुक्त सामग्री के विषय में अनुशंसा करना भी है। 

बोर्ड कब बैठता है?

रिजर्व बैंक का गवर्नर एक वर्ष में कम-से-कम छह बार बोर्ड की बैठक आहूत करता है। यह बैठक प्रत्येक तिमाही में कम-से-कम एक बार होना आवश्यक है। यदि कम-से-कम चार निदेशक ऐसा चाहें तो गवर्नर को बैठक बुलानी होती है. किसी कारण से यदि गवर्नर उपस्थित नहीं होता है तो उसके द्वारा प्राधिकृत डिप्टी गवर्नर बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करता है। यदि मत-विभाजन होता है तो गवर्नर एक अलग से दूसरा वोट भी दे सकता है जो कि निर्णायक होगा।

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