डाक्यूमेंट्री फिल्म क्या है || डाक्यूमेंट्री फिल्म के प्रकार || Documentary Film in Hindi

डाक्यूमेंट्री फिल्म किसी व्यक्ति, संस्था, समाज, संस्कृति, स्थान, देश, क्षेत्र या ऐसे ही किसी अन्य विषय के बारे में सम्पूर्ण प्रामाणिक जानकारी, सत्य तथ्यों एवं कथ्य का संयोजित प्रस्तुतिकरण डाक्यूमेंट्री फिल्म होता हैं। इसमें साक्षात्कार, संवाद, वृतान्त, संगीत एवं ध्वनि प्रभावों का सुविधानुसार उपयोग किया जा सकता है। डाक्यूमेंट्री फिल्म की सफलता इस बात में है कि वह गागर में सागर की भांति विषय के बारे में सारी जानकारी किस तरह प्रस्तुत करता है। डाक्यूमेंट्री फिल्म में स्क्रिप्ट अथवा आलेख का बहुत महत्व है क्योंकि आलेख के आधार पर ही डाक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण होता है। डाक्यूमेंट्री फिल्म, जैसा नाम से ही स्पष्ट है, दृश्य माध्यम में अभिव्यक्ति का एक रूप है। 
डाक्युमेंटरी शब्द डाक्यूमेटंस से निकला है। जिसका अर्थ होता है दस्तावेज। डाक्युमेटरी फिल्म या डाक्यूमेंट्री फिल्म भी एक प्रकार का दस्तावेज ही है, जिसे चित्रों और ध्वनि प्रभावों से रचा जाता है। डाक्यूमेंट्री फिल्म किसी भी विषय पर बनाया जा सकता है और यह उस विषय पर एक प्रमाणिक दस्तावेज जैसा होता है। पश्चिमी देशों में डाक्यूमेंट्री फिल्म जन संचार माध्यमों के साथ-साथ जन शिक्षण के लिए भी बनाए जाते हैं। 

डाक्यूमेंट्री फिल्म के प्रकार

विषय वस्तु के आधार पर डाक्यूमेंट्री फिल्म को अनेक वर्गों में बाॅंटा जा सकता है। 
  1. व्यक्तिपरक डाक्यूमेंट्री फिल्म (Personal documentary film)
  2. विज्ञान विषयक डाक्यूमेंट्री फिल्म (Science Documentary Film)
  3. ऐतिहासिक डॉक्यूमेंट्री फिल्म (Historical documentary film)
  4. सांस्कृतिक डाक्यूमेंट्री फिल्म और (Cultural documentary film)
  5. विशेष प्रयोजन के लिए बनाए गए डाक्यूमेंट्री फिल्म (Special purpose documentary film)

1. व्यक्तिपरक डाक्यूमेंट्री फिल्म

मुख्य रूप से किसी व्यक्ति की जीवनी, उसके जीवन की किसी प्रमुख उपलब्धि, उसके व्यक्तित्व के विशिष्ट गुणों या उसके जीवन की किसी खास घटना को केन्द्र में रख कर बनाये जाते हैं। इस तरह के डाक्यूमेंट्री फिल्मों में उस व्यक्ति के जीवन से जुड़े लोगों से बातचीत, उसके व्यक्त्वि के विभिन्न पहलुओं का प्रदर्शन और उसके जीवन की प्रमुख घटनाओं का चित्रण होता है। जैसे स्वर कोकिला लता मंगेशकर को भारत रत्न मिलने पर लता के जीवन पर बना वृत्तचित्र। 

2. विज्ञान विषयक डाक्यूमेंट्री फिल्म

विज्ञान विषयक डाक्यूमेंट्री फिल्म मुख्यतः विज्ञान से जुड़े विषयों से सम्बन्धित होते है। इस तरह के डाक्यूमेंट्री फिल्मों में मल्टीमीडिया और ग्राफिक्स का खूब इस्तेमाल किया जाता है। इनके जरिए विज्ञान की उपलब्धियों, खोजों, प्रयोगों और परीक्षणों को दर्शक तक पहुॅंचाया जाता है जैसे बिग बेंग सिद्धान्त के आधार पर पृथ्वी के जन्म की कहानी बताता डाक्यूमेंट्री फिल्म। जीव-जगत, वनस्पति जगत, पर्यावरण, वन्य जीवन, अन्तरिक्ष विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान आदि विज्ञान विषयक डाक्यूमेंट्री फिल्मों के प्रमुख विषय हैं। 

3. ऐतिहासिक डाक्यूमेंट्री फिल्म

ऐतिहासिक डाक्यूमेंट्री फिल्म हमें इतिहास के रहस्यों को बताते हैं। इतिहास के महत्वपूर्ण क्षणांें, भूलों और घटनाओं के बारें में हमें जानकारी देते हैं। इस तरह के वृत्तचित्र अतीत की घटनाओं को जीवन्त भी बना देते हैं और दर्शक के ज्ञान में भी वृद्धि करते हैं। आजाद हिन्द फौज के नेतृत्व में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत भूमि पर पहली बार अंग्रेजों को पराजित कर तिरंगा फहराने की घटना पर बना डाक्यूमेंट्री फिल्म। इस तरह के डाक्यूमेंट्री फिल्मों का एक उदाहरण है। 

4. सांस्कृतिक डाक्यूमेंट्री फिल्म

सांस्कृतिक डाक्यूमेंट्री फिल्म, कला, संस्कृति और सामाजिक उत्सवों से जुडे तथ्यों और घटनाओं को दर्शक तक पहुॅंचाते हैं। देश दुनिया की अलग-अलग संस्कृतियों, सभ्यताओं, खान-पान, त्योहारों, उत्सवों, रीति-रिवाजों, कलाओं आदि आदि जीवन के विभिन्न रंगों पर आधारित सांस्कृतिक डाक्यूमेंट्री फिल्म विश्व की अलग-अलग जातीयताओं को एक दूसरे के करीब लाते हैं। भारत के किसी आदिवासी समाज के रहन-सहन पर आधारित डाक्यूमेंट्री फिल्म या देश की किसी नृत्य शैली पर आधारित डाक्यूमेंट्री फिल्म इसी श्रेणी में आते हैं । 

5. विशेष प्रयोजन के लिए बनाए जाने वाले डाक्यूमेंट्री फिल्म

इन सब श्रेणियों के अलावा डाक्यूमेंट्री फिल्मों की एक और प्रमुख श्रेणी है और यह श्रेणी हैं विशेष प्रयोजन के लिए बनाए जाने वाले डाक्यूमेंट्री फिल्म या सोद्देश्य डाक्यूमेंट्री फिल्म। हालांकि हर डाक्यूमेंट्री फिल्म का एक उद्देश्य होता है कि वह दर्शक को ज्ञानवान बनाए, उसकी जानकारियों को बढ़ाए। मगर सोद्देश्य डाक्यूमेंट्री फिल्म में पूरा ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि उसके जरिए दर्शक को किसी खास विषय पर जागरूक बनाया जाए। उसे कोई खास काम करने से रोका जाए या कोई खास काम करने के लिए प्रेरित किया जाए। 

उदाहरणार्थ पानी के संरक्षण का सवाल। इस तरह के डाक्यूमेंट्री फिल्म में पानी का महत्व, पानी की उपलब्धता और पानी के संकट की बात बताते-बताते दर्शक को पानी बचाने के लिए भी प्रेरित किया जा सकता है। इसी तरह किसी खास बीमारी, कुप्रथा या सामाजिक बुराई के खिलाफ बने डाक्यूमेंट्री फिल्म भी इसी श्रेणी में आते हैं।

 निर्माण तकनीक के आधार पर भी डाक्यूमेंट्री फिल्मों को दो श्रेणियों में बाॅंटा जा सकता है:- 
  1. वास्तविक दृश्यों और सामग्री के आधार पर बनाए गए डाक्यूमेंट्री फिल्म और 
  2. दृश्यों की पुर्नरचना, कलाकारों के अभिनय और प्रतीकात्मक बिम्बों के आधार पर निर्मित डाक्यूमेंट्री फिल्म।
वास्तविक दृश्यों और सामग्री के आधार पर बनाए जाने वाले डाक्यूमेंट्री फिल्मों में वास्तविकता का चित्रण अधिक आसान होता है। जीवित व्यक्तियों के जीवन से जुड़े डाक्यूमेंट्री फिल्म, प्राकृतिक सौन्दर्य, पर्यटन स्थलों से जुडे विषयों पर आधारित वृत्तचित्र, पर्वों, उत्सवों और समरोहों, लोक नृत्यों, खान-पान आदि विषयों से जुड़े डाक्यूमेंट्री फिल्म इसी श्रेणी में आते हैं। 

दूसरी श्रेणी में प्रायः ऐतिहासिक विषयों के डाक्यूमेंट्री फिल्म, अपराध और विज्ञान के प्रयोगों से जुड़े डाक्यूमेंट्री फिल्म, प्राकृतिक दुर्घटना, खगोल विज्ञान आदि विषयों के डाक्यूमेंट्री फिल्म आते हं।ै इस तरह के डाक्यूमेंट्री फिल्मों के निमाणर््ा मंे निर्देशक की कल्पना के लिए बहुत सम्भावनाएं होती हैं। लेकिन इस तरह के डाक्यूमेंट्री फिल्मों का निर्माण तुलनात्मक रूप से अधिक खर्चीला है। 

उदाहरणार्थ यदि सिकन्दर के जीवन या सम्राट अशोक के जीवन पर कोई डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाना है तो तत्कालीन सामाजिक जीवन, वेशभूषा, परिवेश की हू बहू पुर्नरचना करनी होगी, युद्ध के दृश्यों के लिए हाथी-घोड़ों का इन्तजाम करना होगा आदि-आदि। 

हालांकि अब वीडियोग्राफी की सुविधा घर-घर पहुॅंच जाने के कारण किसी भी तरह के दृश्य, डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माताओं को उपलब्ध होने लगे हैं और डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माताओं के लिए ऐसे फुटेज का इन्तजाम करने वाली एजेंसियों की भी कमी नहीं रह गई है फिर भी डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण एक खर्चीली विधा ही है। हांॅ डिजिटल फोटोग्राफी ने इसे आसान अवश्य बना दिया है। 

एक जमाना था जब सिनेमाघरों में फिल्म कि शुरूआत और मध्यान्तर में भारत सरकार के फिल्म्स डिवीजन की बनाई न्यूज रील और डाक्यूमेंट्री फिल्म आवश्यक रूप से दिखाए जाते थे। लेकिन अब बड़े पर्दे का स्थान छोटे पर्दे ने ले लिया है और मल्टीप्लैक्स कल्चर में ये फिल्में दिखाई नहीं जाती। मगर अब टेलीविजन एक ऐसा जन संचार माध्यम बन बया है जिसके जरिए डाक्यूमेंट्री फिल्मों का खूब उपयोग हो रहा है। कई प्रमुख विदेशी न्यूज चैनल, डिस्कवरी और नेशनल जियोग्राफिक जैसे चैनल और पर्यटन से जुड़े कई चैनल अपने-अपने पाठक वर्ग की रूचि के वृत्त चित्रों को अक्सर प्रदर्शित करते रहते हैं । 

डाक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण किसी एक विषय के दस्तावेजों, अनुसंधानों, खोजबीन और विशेषज्ञों की राय के आधार व्यापक शोध ओर टेबलवर्क के बाद किया जाता है इसलिए ये दर्शक को उस विषय के बारे में पर्याप्त जानकारी दे देते हैं। इसलिए डाक्यूमेंट्री फिल्म की स्क्रिप्ट अथवा आलेख तैयार करने में कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि डाक्यूमेंट्री फिल्म में बताए जा रहे सभी तथ्य प्रमाणिक हों। गलत तथ्य न बताए जाएं। आलेख तैयार करने के दो मुख्य तरीके हैं। 
  1. डाक्यूमेंट्री फिल्म के छायांकन या फिल्मांकन से पहले आलेख तैयार करना और
  2. छायांकन या फिल्मांकन के बाद दृश्यों के आधार पर आलेख तैयार करना। 
हालांकि अब व्यवहार में इन दोनों ही तरीकों को एक साथ इस्तेमाल किया जाने लगा है। अच्छे निर्देशक फिल्मांकन से पूर्व आलेख तैयार कर लेते हैं और फिल्मांकन के बाद जब डाक्यूमेंट्री फिल्म की एडिटिंग शुरू की जाती है तो उस वक्त पुनः दृश्यों के हिसाब से आलेख में पुर्नपरिवर्तन कर लिए जाते हैं। इस तरह के आलेख, एडिटिंग स्क्रिप्ट कहलाते हैं। 

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