वर्तमान में युवा पीढ़ी में वित्त प्रबन्धन के प्रति जागरूकता बढ़ने
से आर्थिक समीक्षा की लोकप्रियता भी तेजी से बढ़ रही है। अनेक समाचार पत्र अब दैनिक या साप्ताहिक रूप में आर्थिक समीक्षाएं प्रकाशित करने लगे हैं, जिन्हें प्रायः अर्थ और बाजार विशेषज्ञ ही लिखते हैं। चूंकि आर्थिक समीक्षा सीधे-सीधे आदमी की जेब पर असर करती है इसलिए आर्थिक समीक्षा बेहद गम्भीरता से और तथ्यों
के गहन विश्लेषण के साथ ही की जानी चाहिए। आर्थिक समीक्षा के अनेक रूप हैं। वर्तमान में ‘‘ कैसा रहेगा आज बाजार का हाल?’’ जैसी समीक्षाएं पाठकों में अधिक लोकप्रिय हैं क्योंकि इनके जरिए पाठक शेयर बाजार में निवेश की योजना बना सकता है, अपनी योजना को संशोधित कर सकता है।
इसी तरह साप्ताहिक आर्थिक समीक्षाओं के आधार पर भी पाठक अपने
निवेश, भूमि-भवन या उपभोक्ता वस्तुएं खरीदने आदि के फैसले कर सकता है। इसलिए अगर किसी पत्र-पत्रिका में आर्थिक समीक्षाएं सटीक होती हैं, तर्क पूर्ण और तथ्यों पर आधारित होती हैं तो ऐसी पत्र-पत्रिकाओं के प्रति उनके पाठकों का भरोसा भी बढ़ जाता है। आर्थिक समीक्षा की विश्वसनीयता पाठक के प्रकाशन के
प्रति विश्वास को भी मजबूत करती है।
आर्थिक समीक्षा का काम एक विशेषज्ञ का काम है। इसके लिए समीक्षक को
पर्याप्त अनुभव और अभ्यास होना चाहिए। उसे बाजार के हर कदम के दूरगामी प्रभावों को समझने और पूर्वानुमान लगाने का विशेषज्ञ होना चाहिए।
- आर्थिक समीक्षा में अत्यधिक आंकड़ों के इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए।
- तुलनात्मक आंकडे सरल भाषा में समझाने चाहिए। उदाहरणार्थ ‘शहर के 41 लाख लोगों में से 1013175 लोगों के पास मोबाइल कनेक्शन हैं’ के बजाय ‘शहर के 41 लाख लोगों में से हर चौथे आदमी के पास मोबाइल कनेक्शन है’ अधिक आसानी से समझ में आ जाता है।
- तकनीकी शब्दों के प्रयोग कम से कम होने चाहिए और जहां आवश्यक हो वहां भी उनकी सरल रूप से व्याख्या की जानी चाहिए।
- समीक्षा करते समय पाठक की रूचि का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए।
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आर्थिक समीक्षा